बर्बरता की ढाल ठाकरे - Barbarta Ki Dhaal Thackeray
|| Nagaarjun Poem On Bal Thackeray ||
|| Nagaarjun Poems On Indian Politics ||
बाल ठाकरे! बाल ठाकरे!
कैसे फासिस्टी प्रभुओं की
गला रहा है दाल ठाकरे!
अबे संभल जा, वो पहुंचा बाल ठाकरे!
सबने हां की, कौन ना करे!
छिप जा, मत तू उधर ताक रे!
शिव-सेना की वर्दी डाटे, जमा रहा लय-ताल ठाकरे!
सभी डर गए, बजा रहा है गाल ठाकरे!
गूंज रहीं सह्याद्री घाटियां, मचा रहा भूचाल ठाकरे!
मन ही मन कहते राजा जी, जिये भला सौ साल ठाकरे!
चुप है कवि, डरता है शायद, खींच नहीं ले खाल ठाकरे!
कौन नहीं फंसता है देखें, बिछा चुका है जाल ठाकरे!
बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे!
बर्बरता की ढाल ठाकरे!
प्रजातंत्र का काल ठाकरे!
धन-पिशाच का इंगित पाकर, ऊंचा करता भाल ठाकरे!
चला पूछने मुसोलिनी से, अपने दिल का हाल ठाकरे!
बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे!
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बाबा नागार्जुन
|| बाबा नागार्जुन की बाल ठाकरे पर हिंदी कविता ||