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भली सी एक शक्ल थी - Bhali Si Ek Shakl Thi | अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

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Mana Halaat Pratikool Hain - माना हालात प्रतिकूल हैं | Motivational Poems In Hindi

Mana Halaat Pratikool Hain -  माना हालात प्रतिकूल हैं Motivational Poems In Hindi माना हालात प्रतिकूल हैं, रास्तों पर बिछे शूल हैं रिश्तों पे जम गई धूल है पर तू खुद अपना अवरोध न बन तू उठ…… खुद अपनी राह बना… माना सूरज अँधेरे में खो गया है…… पर रात अभी हुई नहीं, यह तो प्रभात की बेला है तेरे संग है उम्मीदें , किसने कहा तू अकेला है तू खुद अपना विहान बन, तू खुद अपना विधान बन… सत्य की जीत हीं तेरा लक्ष्य हो अपने मन का धीरज , तू कभी न खो रण छोड़ने वाले होते हैं कायर तू तो परमवीर है, तू युद्ध कर – तू युद्ध कर… इस युद्ध भूमि पर, तू अपनी विजयगाथा लिख जीतकर के ये जंग, तू बन जा वीर अमिट तू खुद सर्व समर्थ है, वीरता से जीने का हीं कुछ अर्थ है तू युद्ध कर – बस युद्ध कर …

हो गई है पीर पर्वत - Ho Gayi Hai Peer Parvat | दुष्यंत कुमार

हो गई है पीर पर्वत -  Ho Gayi Hai Peer Parvat Dushyant Kumar Hindi Poems दुष्यंत कुमार हिंदी कविता  हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए आज यह दीवार , परदों की तरह हिलने लगी शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर , हर गाँव में हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही हो कहीं भी आग , लेकिन आग जलनी चाहिए - दुष्यंत कुमार Dushyant Kumar Hindi Poems दुष्यंत कुमार हिंदी कविता  

आज वीरान अपना घर देखा - Aaj Veeraan Apna Ghar Dekha | दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल

आज वीरान अपना घर देखा - Aaj Veeraan Apna Ghar Dekha दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल आज वीरान अपना घर देखा  तो कई बार झाँक कर देखा  पाँव टूटे हुए नज़र आए  एक ठहरा हुआ सफ़र देखा  रास्ता काट कर गई बिल्ली  प्यार से रास्ता अगर देखा  नालियों में हयात देखी है  गालियों में बड़ा असर देखा  उस परिंदे को चोट आई तो  आप ने एक एक पर देखा  हम खड़े थे कि ये ज़मीं होगी  चल पड़ी तो इधर उधर देखा | - दुष्यंत कुमार Aaj Veeran Apna G har Dekha To Kai Baar Jhank Kar Dekha Paun Toote Hue Nazar Aaye  Ek Thehra Hua Safar Dekha Raasta Kaat Har Gayi Billi Pyar Se Raasta Agar Dekha Naaliyon Me Hayat Dekhi Hai Gaaliyon Me Bada Asar Dekha Uss Parinde Ko Chote Aai To Aapne Ek-Ek Par Dekha Ham Khade The Ki Ye Zameen Hogi Chal Padi To Idhar Udhar Dekha

Wo Aadmi Nahi Hai Mukammal Bayan Hai - वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है | दुष्यंत कुमार

Wo Aadmi Nahi Hai Mukammal Bayan Hai - वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है  माथे पे उस के चोट का गहरा निशान है  वो कर रहे हैं इश्क़ पे संजीदा गुफ़्तुगू  मैं क्या बताऊँ मेरा कहीं और ध्यान है  सामान कुछ नहीं है फटे-हाल है मगर  झोले में उस के पास कोई संविधान है  उस सर-फिरे को यूँ नहीं बहला सकेंगे आप  वो आदमी नया है मगर सावधान है  फिस्ले जो उस जगह तो लुढ़कते चले गए  हम को पता नहीं था कि इतनी ढलान है  देखे हैं हम ने दौर कई अब ख़बर नहीं  पावँ तले ज़मीन है या आसमान है  वो आदमी मिला था मुझे उस की बात से  ऐसा लगा कि वो भी बहुत बे-ज़बान है  - दुष्यंत कुमार Wo Aadmi Nahi Hai Mukammal Bayan Hai - वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल vo aadmī nahīñ hai mukammal bayān hai māthe pe us ke choT kā gahrā nishān hai  vo kar rahe haiñ ishq pe sanjīda guftugū  maiñ kyā batā.ūñ merā kahīñ aur dhyān hai  sāmān kuchh nahīñ hai phaTe-hāl hai magar  jhole meñ us ke paas koī samvidhān hai  us sar-phire ko yuuñ nahīñ bahlā sakeñge aap  vo aadmī nayā

Kahan To Tay Tha Chiraga Lyrics - कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये

Kahan To Tay Tha Chiraga Lyrics - कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिये न हो क़मीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिये ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिये वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिये जियें तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिये | - दुष्यंत कुमार Kahan To Tay Tha Chiraga Har Rek Ghar Ke Liye Kahan to tay tha chiraga har ek ghar ke liye Kahan chirag mayssar nahin shahar ke liye Yahan darkhton ke saye main dhoop lagti hai Chalo yahan se chalen aur umar bhar ke liye Na ho kameez to ghutno se pet dhak lenge Ye log kitne munasib hain, is safar ke liye Khuda nahin, n sahi, aadmi ka khwab sahi Koi haseen nazara to hai nazar ke liye Ve mutmaeen hain ki ptthar pighal nahi sakta Main bekrar hoon aawa

बिछड़ भी जाएँ तो हाथों में हात रह जाए | Haathon Me Haath Reh Jaye - शकील आज़मी

बिछड़ भी जाएँ तो हाथों में हात रह जाए | Haathon Me Haath Reh Jaye Shakeel Azmi Poems In Hindi कुछ इस तरह से मिलें हम कि बात रह जाए  बिछड़ भी जाएँ तो हाथों में हात रह जाए  अब इस के बा'द का मौसम है सर्दियों वाला  तिरे बदन का कोई लम्स साथ रह जाए  मैं सो रहा हूँ तिरे ख़्वाब देखने के लिए  ये आरज़ू है कि आँखों में रात रह जाए  मैं डूब जाऊँ समुंदर की तेज़ लहरों में  किनारे रक्खी हुई काएनात रह जाए  'शकील' मुझ को समेटे कोई ज़माने तक  बिखर के चारों तरफ़ मेरी ज़ात रह जाए  - शकील आज़मी kuchh is tarah se mileñ ham ki baat rah jaa.e bichhaḌ bhī jaa.eñ to hāthoñ meñ haat rah jaa.e ab is ke ba.ad kā mausam hai sardiyoñ vaalā tire badan kā koī lams saath rah jaa.e maiñ so rahā huuñ tire ḳhvāb dekhne ke liye ye aarzū hai ki āñkhoñ meñ raat rah jaa.e maiñ Duub jā.ūñ samundar kī tez lahroñ meñ kināre rakkhī huī kā.enāt rah jaa.e 'shakīl' mujh ko sameTe koī zamāne tak bikhar ke chāroñ taraf merī zaat rah jaa.e

Famous Poems

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, एक धनुर्धारी की विद्या मानो चूहा कुतर गया | बोले पार्थ सुनो कान्हा - जितने

अरे ! कान खोल कर सुनो पार्थ Lyrics In Hindi - Mahabharata Poem On Arjuna

अरे ! कान खोल कर सुनो पार्थ Lyrics In Hindi Mahabharata Poem On Arjuna अरे ! कान खोल कर सुनो पार्थ Lyrics In Hindi - Mahabharata Poem On Arjuna तलवार,धनुष और पैदल सैनिक  कुरुक्षेत्र मे खड़े हुये, रक्त पिपासू महारथी  इक दूजे सम्मुख अड़े हुये | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महासमर की  प्रतिक्षा  में सारे टाँक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं  हाँक  रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे  देखने में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास  लगे | कुरुक्षेत्र का  महासमर  एक पल में तभी सजा डाला, पाञ्चजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ  शंखनाद  जैसे ही सबका गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका  मर्दन  शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को  मीच  जड़ा, गाण्डिव  पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की  तासीर  यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||   अरे ! कान खोल कर सुनो पार्थ Lyrics In Hindi - Mahabharata Poem On Arjuna सुनी बात माधव की तो अर्जु

अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte

अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna || अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte सारा जीवन श्रापित-श्रापित , हर रिश्ता बेनाम कहो, मुझको ही छलने के खातिर मुरली वाले श्याम कहो, तो किसे लिखूं मैं प्रेम की पाती, किसे लिखूं मैं प्रेम की पाती, कैसे-कैसे इंसान हुए, अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte || माँ को कर्ण लिखता है || अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte कि मन कहता है, मन करता है, कुछ तो माँ के नाम लिखूं , एक मेरी जननी को लिख दूँ, एक धरती के नाम लिखूं , प्रश्न बड़ा है मौन खड़ा - धरती संताप नहीं देती, और धरती मेरी माँ होती तो , मुझको श्राप नहीं देती | तो जननी माँ को वचन दिया है, जननी माँ को वचन दिया है, पांडव का काल नहीं हूँ मैं, अरे! जो बेटा गंगा में छोड़े, उस कुंती का लाल नहीं हूँ

अरे! खुद को ईश्वर कहते हो तो जल्दी अपना नाम बताओ | Mahabharata Par Kavita

अरे! खुद को ईश्वर कहते हो तो जल्दी अपना नाम बताओ  || Mahabharata Par Kavita ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक   कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी  इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की  प्रतिक्षा  में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं  हाँक  रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे  देखन  में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास  लगे | कुरुक्षेत्र का  महासमर  एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ  शंखनाद  जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका  मर्दन   शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को  मीच  जड़ा, गाण्डिव   पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की  तासीर  यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, एक  धनुर्धारी  की विद्या मानो चूहा कुतर गया | बोले पार्थ सुनो कान्हा - जितने ये सम्मुख खड़े हुए है, हम तो इन से सीख-स

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता   सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ ? जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर ना

रानी पद्मिनी और गोरा, बादल पर नरेंद्र मिश्र की रुला देने वाली कविता | Gora Badal Poem

पद्मिनी गोरा बादल नरेंद्र मिश्र ( Narendra Mishra ) रानी पद्मिनी और गोरा, बादल पर नरेंद्र मिश्र की रुला देने वाली कविता

कृष्ण की चेतावनी - KRISHNA KI CHETAWANI | रश्मिरथी - रामधारी सिंह " दिनकर " | Mahabharata Poems |

|| कृष्ण की चेतावनी - KRISHNA KI CHETAWANI || || रश्मिरथी - रामधारी सिंह " दिनकर " || | MAHABHARATA POEMS | | MAHABHARATA POEMS IN HINDI | Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप - घाम , पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर । सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है || Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये || Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी दो न्याय, अगर तो, आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम , रखों अपनी धरती तमाम | हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे !! दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य , साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है ||   जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है || Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी हरि ने भ

देशभक्ति हिंदी कविता | Patriotic Poems In Hindi | Independence Day Poems In Hindi

देशभक्ति हिंदी कविता  Patriotic Poems In Hindi रक्त हैं यह वीरों का --> HERE  मिली हमें जो आज़ादी --> HERE हे भारत के राम जगो --> HERE स्वतंत्र दिवस पर हिंदी कवितायेँ --> HERE गणतंत्र दिवस पर हिंदी कवितायेँ --> HERE आज तिरगां फरहराते है --> HERE मेरे भारत में  --> HERE आज सिन्धु में ज्वार उठा है --> HERE आए जिस-जिस की हिम्मत हो --> HERE कदम मिलाकर चलना होगा --> HERE  मस्तक नहीं झुकेगा --> HERE  कण्ठ-कण्ठ में एक राग है --> HERE   Deshbhakti Hindi Kavita - Patriotic Poems In Hindi, देशभक्ति हिंदी कविता, Deshbahkti Poems In Hindi, Independence Day Poems In Hindi, Swatantra Diwas

Hindu Tan Man, Hindu Jeevan | हिंदु तन मन, हिन्दु जीवन, रग-रग हिन्दु मेरा परिचय

 Hindu Tan Man, Hindu Jeevan हिंदु तन मन, हिन्दु जीवन, रग-रग हिन्दु मेरा परिचय Atal  Bihari  Vajpayee  Hindi Poems अटल बिहारी वाजपेयी  की  हिंदी कवितायेँ  Hindu Tan Man, Hindu Jeevan हिंदु तन-मन, हिन्दु जीवन , रग-रग हिन्दु मेरा परिचय ॥ मैं शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार। डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार। रणचंडी की अतृप्त प्यास , मैं दुर्गा का उन्मत्त हास । मैं यम की प्रलयंकर पुकार , जलते मरघट का धुँआधार। फिर अंतरतम की ज्वाला से, जगती मे आग लगा दूं मैं। यदि धधक उठे जल, थल, अंबर, जड़, चेतन तो कैसा विस्मय ? हिन्दु तन मन, हिन्दु जीवन, रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मैं आदि पुरुष, निर्भयता का वरदान लिये आया भू पर। पय पीकर सब मरते आए, मैं अमर हुआ लो विष पीकर। अधरों की प्यास बुझाई है, पी कर मैने वह आग प्रखर । हो जाती दुनिया भस्मसात , जिसको पल भर में ही छूकर। भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन। मैं नर, नारायण, नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय । हिन्दु तन मन, हिन्दु जीवन, रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ Hindu Tan Man, Hindu Jeevan | हिंदु तन मन, हिन्दु जीवन, रग-

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||