वामपन्थी सोच का आयाम है नागार्जुन - Nagaarjun अदम गोंडवी - Adam Gondvi वामपन्थी सोच का आयाम है नागार्जुन ज़िन्दगी में आस्था का नाम है नागार्जुन ग्रामगन्धी सर्जना उसमें जुलाहे का गुरूर जितना अनगढ़ उतना ही अभिराम है नागार्जुन हम तो कहते हैं उसे बंगाल की खाँटी सुबह केरला की ख़ूबसूरत शाम है नागार्जुन खास इतना है कि सर-आँखों पर है उसका वजूद मुफ़लिसों की झोपड़ी तक आम है नागार्जुन इस अहद के साथ कि इस बार हारेगा यजीद कर्बला में युद्ध का पैगाम है नागार्जुन | - अदम गोंडवी आज तक अप्रकाशित यह कविता ख़ुद अदम गोण्डवी के हाथ से लिखी मूल पाण्डुलिपि से नक़ल की गई है। 10 अप्रैल 2023
|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna || तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी || रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ || सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...