Mana Halaat Pratikool Hain - माना हालात प्रतिकूल हैं Motivational Poems In Hindi माना हालात प्रतिकूल हैं, रास्तों पर बिछे शूल हैं रिश्तों पे जम गई धूल है पर तू खुद अपना अवरोध न बन तू उठ…… खुद अपनी राह बना… माना सूरज अँधेरे में खो गया है…… पर रात अभी हुई नहीं, यह तो प्रभात की बेला है तेरे संग है उम्मीदें , किसने कहा तू अकेला है तू खुद अपना विहान बन, तू खुद अपना विधान बन… सत्य की जीत हीं तेरा लक्ष्य हो अपने मन का धीरज , तू कभी न खो रण छोड़ने वाले होते हैं कायर तू तो परमवीर है, तू युद्ध कर – तू युद्ध कर… इस युद्ध भूमि पर, तू अपनी विजयगाथा लिख जीतकर के ये जंग, तू बन जा वीर अमिट तू खुद सर्व समर्थ है, वीरता से जीने का हीं कुछ अर्थ है तू युद्ध कर – बस युद्ध कर …
|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna || तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी || रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ || सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, एक धनुर्धारी की विद्या मानो चूहा कुतर गया | बोले पार्थ सुनो कान्हा - जितने