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Mai Pal Do Pal Ka Shayar Hu Hindi Lyrics - मैं पल दो पल का शायर हूँ | Sahir Ludhiyanvi

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कविता और कविताओं के प्रकार: एक सूक्ष्म विश्लेषण | Kavita Aur Kavitayon Ke Prakaar

कविता और कविताओं के प्रकार: एक सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तावना: कविता, भाषा की सुंदरता और भावनाओं की गहराई का अद्वितीय साधन है। इस लेख में, हम कविता के विभिन्न प्रकारों के रहस्यों को सुलझाएंगे और इसकी रोचक दुनिया को समझेंगे। भूमिका: कविता के माध्यम से मैं अपनी भावनाओं को साझा करता हूं और इस आद्यतन में आपको विभिन्न प्रकारों की सुंदरता को अनुभव करने का मौका मिलेगा। विभिन्न प्रकारों की कविताएँ: 1. गाथा कविता: गाथा कविता मेरी भावनाओं को एक किस्से की भाषा में व्यक्त करने का एक अद्वितीय तरीका है। यह रूप मेरे अंतर की कहानियों को साझा करने का साधन है। 2. सोनेट: सोनेट एक छोटी, सुंदर रचना है जो एक विशिष्ट विचार या भाव को व्यक्त करने के लिए बनाई जाती है। इसमें 14 पंक्तियाँ होती हैं और एक निश्चित छंद का पालन किया जाता है। 3. हाइकू: हाइकू, जापानी परंपरागत रूप, अत्यंत संक्षेप में विशेष भावनाएं प्रकट करता है। यह तबीयत और प्राकृतिक सौंदर्य को सुंदरता से जोड़ता है। 4. अकान्त रचना: अकान्त रचना भावनात्मकता का एक उत्कृष्ट रूप है जो आत्मा की गहराईयों में लेने का प्रयास करती है। इसमें भावनाओं का आत्मीय अन्वेषण

Kaarwan Guzar Gya - कारवाँ गुज़र गया | Gopaldas Neeraj Hindi Kavita - गोपालदास नीरज

Kaarwan Guzar Gya - कारवाँ गुज़र गया Gopaldas Neeraj Hindi Kavita स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से, लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से, और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे। कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे! नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई, पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई, पात-पात झर गये कि शाख़-शाख़ जल गई, चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई, गीत अश्क बन गए, छंद हो दफन गए, साथ के सभी दिऐ धुआँ-धुआँ पहन गये, और हम झुके-झुके, मोड़ पर रुके-रुके उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे। कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे। Gopaldas Neeraj Hindi Kavita क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा, क्या सुरूप था कि देख आइना सिहर उठा, इस तरफ ज़मीन उठी तो आसमान उधर उठा, थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा, एक दिन मगर यहाँ, ऐसी कुछ हवा चली, लुट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली, और हम लुटे-लुटे, वक्त से पिटे-पिटे, साँस की शराब का खुमार देखते रहे। कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे। हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ, होठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ, दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ, और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी प

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्जुन के सिवा कौन था ? माना था माधव को वीर, तो क्यों डरा एकल

पुरानी लखनऊ के उन गलियों में - Purani Lucknow Ke Unn Galiyon Mein | Harsh Nath Jha

पुरानी लखनऊ के उन गलियों में - Purani Lucknow Ke Unn Galiyon Mein | Harsh Nath Jha पुरानी लखनऊ के उन गलियों में मुझे दुकानें बेशुमार दिखे  पहनावा, खाना, फैशन, मज़हब, मुझे खानदानी व्यापार दिखे।  उन पतली पगडंडियों पे चलकर, पुराने आशिक़ हज़ार दिखे टुंडे-कबाबी, पान-गिलौरी मुझे खानदानी व्यापार दिखे।  गुलाबी शामें, कुल्हड़ की चाय दुकानों पे हलचल, बहार दिखा दिखा लहज़ा, दिखी तहज़ीब मुझे खानदानी व्यापार दिखा।  पैसे की गमक, औ' दशकों की मेहनत वफादारी का कारोबार दिखा  पुरानी लखनऊ की उस शाम में मुझे खानदानी व्यापार दिखे।   - हर्ष नाथ झा

बिहार का परिचय | Bihar Ka Parichay Hindi Kavita - Bihar Par Hindi Kavita

बिहार का परिचय | Bihar Ka Parichay मैं उस भूमि से आता हूँ जिसने रक्त से भारत सींचा है मैं उस भूमि से आता हूँ जिसने विद्या को तम से खींचा है | मैं उस भूमि से आता हूँ जिसकी लेखनी युद्ध न हारी थीं मैं उस भूमि से आता हूँ नागार्जुन की धधक चिंगारी थी | मैं उस भूमि से आता हूँ जहाँ हर शत्रु को झुकना पड़ा मैं उस भूमि से आता हूँ जहाँ शंकर को रुकना पड़ा | मैं उस भूमि से आता हूँ जहाँ शिखा ने शौर्य को हराया था मैं उस भूमि से आता हूँ जहाँ यूनानियों को मौर्य ने हराया था | मीठे गीत सुनकर जिनके भद्रकाल भी दास बने  पाश्चात्य संस्कृति समक्ष जिनके एक तुच्छ उपहास बने | जहाँ आकर गाँधी जी भारत के महात्मा बने  जहाँ दिव्य ज्ञान प्राप्त कर बुद्ध एक परमात्मा बने | महावीर और अशोक ने जहाँ शांति का उपदेश दिया  अंदर ख़ुद जलते रहकर बस प्रेम का सन्देश दिया | नागार्जुन, मंडन मिश्र विद्यापति का अंश हूँ  मैं हर्ष नाथ, वेद व्यास और पराशर मुनि का वंश हूँ | मैं उस भूमि से आता हूँ जिसने रक्त से भारत को सींचा है  मैं उस भूमि से आता हूँ जिसने विद्या को तम से खींचा है | - हर्ष

Famous Poems

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, एक धनुर्धारी की विद्या मानो चूहा कुतर गया | बोले पार्थ सुनो कान्हा - जितने

कृष्ण की चेतावनी - KRISHNA KI CHETAWANI | रश्मिरथी - रामधारी सिंह " दिनकर " | Mahabharata Poems |

|| कृष्ण की चेतावनी - KRISHNA KI CHETAWANI || || रश्मिरथी - रामधारी सिंह " दिनकर " || | MAHABHARATA POEMS | | MAHABHARATA POEMS IN HINDI | Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी   वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप - घाम , पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर । सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है || Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये || Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी दो न्याय, अगर तो, आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम , रखों अपनी धरती तमाम | हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे !! दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य , साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है ||   जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है || Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी हरि

अरे! खुद को ईश्वर कहते हो तो जल्दी अपना नाम बताओ | Mahabharata Par Kavita

अरे! खुद को ईश्वर कहते हो तो जल्दी अपना नाम बताओ  || Mahabharata Par Kavita ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक   कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी  इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की  प्रतिक्षा  में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं  हाँक  रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे  देखन  में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास  लगे | कुरुक्षेत्र का  महासमर  एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ  शंखनाद  जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका  मर्दन   शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को  मीच  जड़ा, गाण्डिव   पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की  तासीर  यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, एक  धनुर्धारी  की विद्या मानो चूहा कुतर गया | बोले पार्थ सुनो कान्हा - जितने ये सम्मुख खड़े हुए है, हम तो इन से सीख-स

अग्निपथ (Agneepath) - हरिवंश राय बच्चन | Agnipath Poem By Harivansh Rai Bachchan

अग्निपथ - हरिवंश राय बच्चन  Agnipath Poem By Harivansh Rai Bachchan वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, एक पत्र छाँह भी, माँग मत, माँग मत, माँग मत, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ । अग्निपथ(Agneepath) - हरिवंश राय बच्चन | Agnipath Poem By Harivansh Rai Bachchan तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ । अग्निपथ(Agneepath) - हरिवंश राय बच्चन | Agnipath Poem By Harivansh Rai Bachchan यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है, अश्रु श्वेत रक्त से, लथपथ लथपथ लथपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ । Agneepath Poem By Harivansh Rai Bachchan Agneepath Poem In Hinglish Vriksh hon bhale khade, hon ghane hon bade, Ek patra chhah bhi maang mat, maang mat, maang mat, Agnipath, Agnipath, Agnipath. Tu na thakega kabhi tu na thamega kabhi tu na mudega kabhi, Kar shapath, Kar shapath, Kar shapath, Agnipath, Agnipath, Agnipath. अग्निपथ(Agneepath) - हरिवंश राय बच्चन | Agnipath Poem By Harivansh Rai Bachchan Ye Mahaan Drishya hai, Chal raha Manushya hai, Ashru, swed,

Hindi Poem On Technology - मैं टेक्नोलॉजी कहलाता हूं

Hindi Poem On Technology || मैं टेक्नोलॉजी कहलाता हूं ||

रानी पद्मिनी और गोरा, बादल पर नरेंद्र मिश्र की रुला देने वाली कविता | Gora Badal Poem

पद्मिनी गोरा बादल नरेंद्र मिश्र ( Narendra Mishra ) रानी पद्मिनी और गोरा, बादल पर नरेंद्र मिश्र की रुला देने वाली कविता

Talvar, Dhanush Aur Paidal Sainik Kavita - तलवार धनुष और पैदल सैनिक | Mahabharata Poem On Arjuna

  Talvar , Dhanush Aur Paidal Sainik Kavita तलवार धनुष और पैदल सैनिक महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता Mahabharata Poem On Arjuna   Talvar, Dhanush Aur Paidal Sainik Kavita तलवार धनुष और पैदल सैनिक तलवार, धनुष  और पैदल सैनिक   कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी  इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा समर की  प्रतीक्षा  में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं  हाँक  रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास   लगे | कुरुक्षेत्र का  महासमर  एक पल में तभी सजा डाला, पाचजण्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ  शंखनाद  जैसे ही सबका गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका  मर्दन  शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को  मीच  जड़ा, गाण्डिव   पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की  तासीर  यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    Talvar, Dhanush Aur Paidal Sainik Kavit

सूर्यपुत्र कर्ण पर कवि विनीत चौहान की अद्वितीय कविता | Mahabharata Poems In Hindi

|| सूर्यपुत्र कर्ण पर कवि विनीत चौहान की अद्वितीय कविता || || Mahabharata Poems In Hindi || ||Mahabharata Par Hi ndi Kavita || निज कवच और कुंडल जिसने सुरपति को हँस कर दिये दान, मरने तक वचन नहीं तोड़ा निज म्रत्यु का रख लिया मान | जिसके भुजबल मे बसते थे, युध्दो के सारे निर्णय भी, वो सूर्य पुत्र, वो रश्मिरथी, वो दान वीर अतुलित महान || रण के निर्णय मानव इतने नही कभी भी होते, धर्म बिछे यदि चौसर पर तो भाग्य मनुज के रोते | न्याय और अन्याय कभी जब एक तुला पर तुलते, पीड़ा और घुटन मिलकर जब आँसू भीतर घुलते || तो समझो उस महा म्रत्यु को तांडव रत होना है, कुरुक्षेत्र के प्रांगण मे तब महाभारत होना है | युद्धो ने मानव का लहु अनगिन बार पिया है, कुरुक्षेत्र मे भी प्राणोत्सव अनगिन बार जिया है || कुरुक्षेत्र भी न्याय और अन्याय युगल संगम था, हार और झूठ सत्य का ना कोई भी गम था | सूर्य पुत्र, वह रश्मिरथी भी इसी नियती का हिस्सा, दिवस अढाई रहा समर मे कीर्ति कथा का किस्सा | गुरु द्रोण के बाद कर्ण ही सेना का नायक था, और उधर अर्जुन के रथ पर गीता का गायक था |

वे खुद त्रेता के राम है - Hindi Poem On Shri Krishna | Mahabharata Poems

 वे खुद त्रेता के राम है Hindi Poem On Shri Krishna

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम ||   किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||