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Auratein - औरतें By रमाशंकर यादव विद्रोही | Women Empowerment Poems

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Chetna Parik, Kaisi Ho - चेतना पारीक, कैसी हो | ट्राम में एक याद

Chetna Parik, Kaisi Ho - चेतना पारीक, कैसी हो?  ट्राम में एक याद - Traam Me Ek Yaad चेतना पारीक, कैसी हो? पहले जैसी हो? कुछ-कुछ ख़ुश कुछ-कुछ उदास कभी देखती तारे कभी देखती घास चेतना पारीक, कैसी दिखती हो? अब भी कविता लिखती हो? तुम्हें मेरी याद न होगी लेकिन मुझे तुम नहीं भूली हो चलती ट्राम में फिर आँखों के आगे झूली हो तुम्हारी क़द-काठी की एक नन्ही-सी, नेक सामने आ खड़ी है तुम्हारी याद उमड़ी है चेतना पारीक, कैसी हो? पहले जैसी हो? आँखों में उतरती है किताब की आग? नाटक में अब भी लेती हो भाग? छूटे नहीं हैं लाइब्रेरी के चक्कर? मुझ-से घुमंतू कवि से होती है कभी टक्कर? अब भी गाती हो गीत, बनाती हो चित्र? अब भी तुम्हारे हैं बहुत-बहुत मित्र? अब भी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हो? अब भी जिससे करती हो प्रेम, उसे दाढ़ी रखाती हो? चेतना पारीक, अब भी तुम नन्ही गेंद-सी उल्लास से भरी हो? उतनी ही हरी हो? उतना ही शोर है इस शहर में वैसा ही ट्रैफ़िक जाम है भीड़-भाड़ धक्का-मुक्का ठेल-पेल ताम-झाम है ट्यूब-रेल बन रही चल रही ट्राम है विकल है कलकत्ता दौड़ता अनवरत अविराम है इस महावन में फिर भी एक गौरैए की जगह ख़ाली है ...

युद्ध है समक्ष तो - महाभारत पर हिंदी कविता | Yudh Hai Samaksh To Mahabharata Poem Lyrics - Mahabharata Hindi Poems

युद्ध है समक्ष तो - Yudh Hai Samaksh To|महाभारत पर हिंदी कविता Mahabharata Hindi Poems युद्ध है समक्ष तो - Yudh Hai Samaksh To युद्ध है समक्ष तो, विपक्ष और पक्ष के, प्रत्येक दक्ष का भी धीर क्क्ष डोलने लगा | और देख दशा द्रोपदी की वीर पुत्र पांडवो के, धमनियों में बूँद-बूँद रक्त खोलने लगा || पांचजन्य की सुनी जो गूंज ले भुजाओ में,   हर एक वीर अस्त्र और शस्त्र तौलने लगा | धड़ गिरे विशाल हो बेहाल देख के कपाल , काल भी तो जय-जय महाकाल बोलने लगा || हे शंभू ,कहो !  विशाल समर में जीवन का उत्थान निकट है, युद्ध हुआ तो अधर्म के अंधियारे का अपमान निकट है | कटे शीश और कटी भुजाएं , फिर निश्चित ही बिखरेगी, नए भोर की सूर्य किरण फिर, श्रोणित पर ही पसरेगी || रण-भूमि में वीरों की गर्जन से अंबर डोलेगा, कटते धड़ हर एक मानो जय-जय शंभू की बोलेगा | गुरुजन के आशीषो का उत्तर , तलवारो से होगा, इंद्र विजयी वीरों का भी परिचय संहारो से होगा ||   बाण चलाये जायेगे फिर मेघ-मल्हार बुलाने को, शैया सजती जायेगी , वीरों को गले लगाने को | निर्दोष प्रजा पर मृत्यु के आलिंगन ...

प्रकृति, बचपन और मानवता: संवेदनाओं से सजी हिंदी कविताएँ | Nature Poems In Hindi

प्रकृति, बचपन और मानवता: संवेदनाओं से सजी हिंदी कविताएँ Nature Poems In Hindi 1. जंगल ये जंगल जंगल ये जंगल, हरियाली का घर, पेड़ों की छाया, नदियों का स्वर। पंछी जो चहके, जैसे गीत गाएँ, हर कोना बोले, बस शांति सुनाएँ। झरनों की बातें, फूलों की खुशबू, धरती की गोदी में सजी है सबू। हिरन की छलांगें, मोर की अदा, प्रकृति का ये रूप है सबसे जुदा। नीम, पीपल, साल, बबूल, खड़े हैं प्रहरी बन, रहते हैं कूल। जानवर, पक्षी, कीड़े भी यहाँ, सबका है हिस्सा, सबका है जहां। पर खतरे में है अब ये जादू भरा, मानव की लालच ने इसे भी मारा। कटते हैं पेड़, सिमटती हैं राहें, घटती हैं साँसें, मिटती हैं चाहें। संभालो इसे, बचालो इसे, जंगल की पुकार को सुनो ज़रा। ये सांसें हैं अपनी, ये जीवन का रंग, जंगल ये जंगल, है धरती का संग। 2. प्रकृति और मनुष्य प्रकृति थी माँ जैसी, निस्वार्थ दी सब कुछ, हरियाली, नदियाँ, आकाश का खुला रुख। फूलों की हँसी, चाँदनी की चुप बातें, हर साँस में बसी थीं उसकी सौगातें। पहाड़ों की गोदी में झूला झुलाता था, नदी की लहरों से गीत सुनाता था। बादल भी बरसते थे सुख-दुख समझकर, पेड़ भी लगते थे जैसे साया बनकर। पर मन...

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महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...