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Bhai Rahgir Ye Hum Konsi Gaadi Pe Chadh Gaye | भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए? - Rahgir Song Lyrics

तुम पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गाँव आओगे - Tum Pakad Ke Gaadi Shayad Mere Gaon Aoge | Rahgir Song Lyrics

तुम पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गाँव आओगे - Tum Pakad Ke Gaadi Shayad Mere Gaon Aaoge | Rahgir Song Lyrics

 तुम मुड़ तो पाओगे, पर लौट ना पाओगे

तुम मुड़ तो पाओगे, पर लौट ना पाओगे

मेरी याद आएगी उस मक़ाम पे कभी

तुम पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गाँव आओगे

तुम पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गाँव आओगे

मैं मिलूँगा ही नहीं उस मकान पे कभी

तुम पकड़ के गाड़ी शायद...

तुम पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गाँव आओगे - Tum Pakad Ke Gaadi Shayad Mere Gaon Aoge | Rahgir Song Lyrics

सूरत station के बाहर ठंडी bench थी, चाय गरम थी

बगल में एक ताऊ के हाथ में बीड़ी थी जो लगभग ख़तम थी

मैंने बस दो-चार चुस्कियाँ ली थी कि उतने में ताऊ ने दूसरी सुलगा ली थी

पहली को फ़ेंका ज़मीन पर और जूती से कुचल दिया

मुझे जाने क्यूँ तेरी याद आई, मैं उठा और चल दिया


शामों का काम तो ढलना है, ढलेंगी तब भी

हवाओं का काम तो चलना है, चलेंगी तब भी

ज़ुल्फ़ों की तो ये फ़ितरत है, उड़ेंगी तब भी

कोई और सँवारेगा तो भी मेरी याद आएगी


तुम सोच तो लोगे, पर बोल ना पाओगे

तुम सोच तो लोगे, पर बोल ना पाओगे

दिल की बात आएगी ना जबान पे कभी

तुम पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गाँव आओगे

मैं मिलूँगा ही नहीं उस मकान पे कभी


जैसलमेर में झाड़ के मिट्टी अपने जूतों-कपड़ों से

एक टीले पर मैं बैठा था, दूर जहाँ के लफ़ड़ों से

दूर कहीं वो ढलता सूरज मुझे छोड़ के तन्हा ढल गया

उस ठंडी रात में, उस ठंडी रेत पर मैं लेटे-लेटे जल गया

तुम पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गाँव आओगे - Tum Pakad Ke Gaadi Shayad Mere Gaon Aoge  Rahgir Song Lyrics

शब्द हैं, दर्द है, कलाकारी है, गीत बना लूँगा

उन गीतों की क़ीमत भारी है, मैं कमा लूँगा

ओ, तेरा नाम ना लूँगा, ख़ुद्दारी है, मैं छुपा लूँगा

कोई गुनगुनाएगा तो तुम समझ ही जाओगे

तुम पैसे-औहदों पर इतरा ना पाओगे

तुम पैसे-औहदों पर इतरा ना पाओगे

इतनी तालियाँ होंगी मेरे नाम पे कभी

तुम पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गाँव आओगे

मैं मिलूँगा ही नहीं उस मकान पे कभी

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राहगीर

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Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...

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