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|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna || तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी || रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ || सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, एक धनुर्धारी की विद्या मानो चूहा कुतर गया | बोले पार्थ सुनो कान्हा - जितने
अरे ! कान खोल कर सुनो पार्थ Lyrics In Hindi Mahabharata Poem On Arjuna अरे ! कान खोल कर सुनो पार्थ Lyrics In Hindi - Mahabharata Poem On Arjuna तलवार,धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र मे खड़े हुये, रक्त पिपासू महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुये | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महासमर की प्रतिक्षा में सारे टाँक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी || रणभूमि के सभी नजारे देखने में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पाञ्चजन्य उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सबका गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ || अरे ! कान खोल कर सुनो पार्थ Lyrics In Hindi - Mahabharata Poem On Arjuna सुनी बात माधव की तो अर्जु
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna || अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte सारा जीवन श्रापित-श्रापित , हर रिश्ता बेनाम कहो, मुझको ही छलने के खातिर मुरली वाले श्याम कहो, तो किसे लिखूं मैं प्रेम की पाती, किसे लिखूं मैं प्रेम की पाती, कैसे-कैसे इंसान हुए, अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte || माँ को कर्ण लिखता है || अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte कि मन कहता है, मन करता है, कुछ तो माँ के नाम लिखूं , एक मेरी जननी को लिख दूँ, एक धरती के नाम लिखूं , प्रश्न बड़ा है मौन खड़ा - धरती संताप नहीं देती, और धरती मेरी माँ होती तो , मुझको श्राप नहीं देती | तो जननी माँ को वचन दिया है, जननी माँ को वचन दिया है, पांडव का काल नहीं हूँ मैं, अरे! जो बेटा गंगा में छोड़े, उस कुंती का लाल नहीं हूँ
अरे! खुद को ईश्वर कहते हो तो जल्दी अपना नाम बताओ || Mahabharata Par Kavita || तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी || रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ || सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, एक धनुर्धारी की विद्या मानो चूहा कुतर गया | बोले पार्थ सुनो कान्हा - जितने ये सम्मुख खड़े हुए है, हम तो इन से सीख-स
सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ ? जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर ना
|| कृष्ण की चेतावनी - KRISHNA KI CHETAWANI || || रश्मिरथी - रामधारी सिंह " दिनकर " || | MAHABHARATA POEMS | | MAHABHARATA POEMS IN HINDI | Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप - घाम , पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर । सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है || Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये || Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी दो न्याय, अगर तो, आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम , रखों अपनी धरती तमाम | हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे !! दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य , साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है || जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है || Krishna Ki Chetawani - कृष्ण की चेतावनी हरि ने भ
देशभक्ति हिंदी कविता Patriotic Poems In Hindi रक्त हैं यह वीरों का --> HERE मिली हमें जो आज़ादी --> HERE हे भारत के राम जगो --> HERE स्वतंत्र दिवस पर हिंदी कवितायेँ --> HERE गणतंत्र दिवस पर हिंदी कवितायेँ --> HERE आज तिरगां फरहराते है --> HERE मेरे भारत में --> HERE आज सिन्धु में ज्वार उठा है --> HERE आए जिस-जिस की हिम्मत हो --> HERE कदम मिलाकर चलना होगा --> HERE मस्तक नहीं झुकेगा --> HERE कण्ठ-कण्ठ में एक राग है --> HERE Deshbhakti Hindi Kavita - Patriotic Poems In Hindi, देशभक्ति हिंदी कविता, Deshbahkti Poems In Hindi, Independence Day Poems In Hindi, Swatantra Diwas
Hindu Tan Man, Hindu Jeevan हिंदु तन मन, हिन्दु जीवन, रग-रग हिन्दु मेरा परिचय Atal Bihari Vajpayee Hindi Poems अटल बिहारी वाजपेयी की हिंदी कवितायेँ Hindu Tan Man, Hindu Jeevan हिंदु तन-मन, हिन्दु जीवन , रग-रग हिन्दु मेरा परिचय ॥ मैं शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार। डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार। रणचंडी की अतृप्त प्यास , मैं दुर्गा का उन्मत्त हास । मैं यम की प्रलयंकर पुकार , जलते मरघट का धुँआधार। फिर अंतरतम की ज्वाला से, जगती मे आग लगा दूं मैं। यदि धधक उठे जल, थल, अंबर, जड़, चेतन तो कैसा विस्मय ? हिन्दु तन मन, हिन्दु जीवन, रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मैं आदि पुरुष, निर्भयता का वरदान लिये आया भू पर। पय पीकर सब मरते आए, मैं अमर हुआ लो विष पीकर। अधरों की प्यास बुझाई है, पी कर मैने वह आग प्रखर । हो जाती दुनिया भस्मसात , जिसको पल भर में ही छूकर। भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन। मैं नर, नारायण, नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय । हिन्दु तन मन, हिन्दु जीवन, रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ Hindu Tan Man, Hindu Jeevan | हिंदु तन मन, हिन्दु जीवन, रग-
Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम, जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि, किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से, हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम, बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||