Father's Day Poem In Hindi
Father Hindi Poems
पिता
वह पिता ही होता है,
जो खुद का खाना बाँट दे|
बेटे की थाली में पड़ोसे,
अपना भूख वह छांट दे||
वह पिता ही होता है,
जिसके स्वप्न अपूर्ण थे|
बताएं या बिन बताएं,
मेरे स्वप्न पूर्ण किये||
वह पिता ही होता है,
जो डांटता, कभी मारता है|
खुद को ही दर्द पहुंचाता,
खुद ही जाकर रोता है||
वह पिता ही होता है,
जो डांटकर, दोस्ती करता है।
आइसक्रीम या फिर टॉफी देकर,
फिर खुश कर देता है||
कष्ट सहे थे उसने जो,
उसने हमें नहीं सहने दिया।
वह खुद भूखा रहा,
उसने हमें नही रहने दिया||
वह अकेले रोता था ,
उसने न कभी रोने दिया|
कभी भी किसी चीज़ की,
कमी नही होने दिया||