सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

New !!

Auratein - औरतें By रमाशंकर यादव विद्रोही | Women Empowerment Poems - Kuch Auraton Me Apni Ichha Se...

Bhaagya - भाग्य | अनुष्का कसौधन - Anushka Kasaudhan

Bhaagya - भाग्य

भाग्य पर हिंदी निबंध

Essay On Serendipity

Bhaagya - भाग्य | अनुष्का कसौधन - Anushka Kasaudhan

भाग्य एक ऐसा शब्द है जिसके पीछे हम अपनी सारी कमियों को छिपाने का प्रयास करते हैं । मनुष्य की यह प्रवृत्ति होती है कि वह जिस कार्य में सफल नहीं होता है या जिन महत्वाकांक्षाओं को वह पूरा नहीं कर पाता है उसके लिए वह भाग्य को दोषी ठहरा था है। अक्सर हमने लोगों को यह कहते हुए सुना है "हमारा तो भाग्य ही खराब है या हमारे भाग्य में यही लिखा था" । परंतु वास्तव में यह बात सत्य नहीं है भाग्य के ऊपर कर्म होता है हम अपने पुरुषार्थ या कर्म से अपने भाग्य को बदल सकते हैं क्योंकि यदि इंसान किसी वस्तु अथवा स्थान की चाहत कर ले और उसे पाने के लिए सच्ची लगन से मेहनत करता रहे तो वह उसे अवश्य ही प्राप्त कर सकता है। द्वारिका प्रसाद महेश्वरी जी ने सच ही कहा है "मन के हारे हार , मन के जीते जीत "

द्वारिका प्रसाद महेश्वरी जी

यदि हमारे अंदर जीतने की लगन होगी तो हम उसके लिए हर संभव प्रयास करेंगे परंतु यदि हम सिर्फ भाग्य के भरोसे अकर्मण्य होकर बैठे रहेंगे तो हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते।

मैं इस कहानी के माध्यम से इसका चित्रण करना चाहूंगी।

एक बार की बात है एक छोटे से शहर में दो दोस्त रहते थे हेमंत और रवि दोनों बहुत ही मेहनती और अच्छे मित्र थे दोनों का सपना था कि दोनों बड़े होकर बड़े व्यापारी बने । हेमंत की आवाज बहुत सुरीली थी वह बहुत ही मधुर गाना गाता था । परंतु वह गायकी सिर्फ अपने शौक के लिए करता था । धीरे-धीरे समय बीता दोनों दोस्त बड़े हो गए और उन्होंने कपड़े का व्यापार शुरु किया | दोनों इतने मेहनती थे कि जल्दी उन्हें सफलता प्राप्त हुई और बड़े बड़े व्यापारियों से उनकी जान पहचान हो गई । 

भाग्य - अनुषा कसौधन

एक दिन दुर्भाग्य से उनके गोदाम में आग लग जाने के कारण उनका पूरा व्यापार नष्ट हो गया और वे पूरी तरह से बर्बाद हो गए । उनकी सारी जमा-पूंजी भी खत्म हो गई और वह बुरी तरह से कर्ज में आ गया । इतने बड़े हादसे के बाद अपने आप को संभालना बड़ा कठिन होता है । परंतु दोनों ने हार नहीं मानी और जैसे-तैसे मेहनत करके दोनों ने अपने सपने को पूरा करने का संकल्प लिया । खूब मेहनत करके दोबारा से नया व्यापार शुरू किया । इस बार उनके पास समस्या यह थी कि उन्होंने पूरा व्यापार बैंक से लोन लेकर शुरू किया था । 

भाग्य - अनुषा कसौधन

इस बार फिर उनके साथ बुरा हुआ और वह बैंक से लोन की रकम को ना भर पाए और उनका व्यापार बैंक द्वारा सील कर दिया गया । इस बार उन्हें जो नुकसान हुआ उसके पश्चात तो हेमंत और रवि की स्थिति बड़ी बुरी हो गई। उनके लिए अपने परिवार का पालन-पोषण करना भी कठिन हो गया था । हेमंत बहुत ही हिम्मती और खुद पर भरोसा रखने वाला व्यक्ति था । जबकि रवि कमजोर हृदय वाला और हार मानने वाली प्रवृत्ति का था। हेमंत ने ठान लिया " मैं कुछ भी करके फिर से अपना व्यापार खड़ा करूंगा " जब कि रवि ने दूसरी जगह पर नौकरी करके अपने परिवार का पालन पोषण किया।

हेमंत दिन में गायकी करता था और रात में नए व्यापार का साधन एकत्र करने की कोशिश में नए नए लोगों से मिलता जुलता था । 1 दिन उसको सड़क पर गाता देख कर एक मशहूर गायक को उसकी आवाज बड़ी मधुर और दिल को छू गई। उन्होंने उसे अपने ऑफिस बुलाया और उसे गाने के नए-नए कॉन्ट्रैक्ट दिलाया जिससे उसे बहुत लोग जानने और उसकी गायिका को पसंद करने लगे। इस प्रकार उसे अपने व्यापार को शुरू करने में बहुत सहायता मिली और जल्द ही उसने धन एकत्रित कर लिया और एक नया व्यापार शुरु किया। इस बार उसे वह पाए में बहुत सफलता मिली और वह एक बड़ा व्यापारी बन गया ।

भाग्य - अनुषा कसौधन

इस कहानी के माध्यम से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि चुकी हेमंत ने हार नहीं मानी और मेहनत करता रहा । इसलिए अंततः वह अपने सपने को पूरा कर पाया लेकिन रवि ने भाग्य को दोषी ठहरा कर अपने कर्म पर भरोसा नहीं किया और हार मान ली । इसीलिए अंततः वह अपने सपने को पूरा ना कर पाया

अंत में मैं श्री शिवमंगल सिंह जी की कविता ' चलना हमारे काम है ' से कुछ पंक्तियां प्रस्तुत करना चाहूंगी जो इस प्रकार हैं-

 " किसको नहीं बहना पड़ा,

 सुख-दुख हमारी ही तरह,

किसको नहीं सहना पड़ा ।

फिर व्यर्थ क्यों कहता फिर मुझ पर विधाता वाम है ।"

-

 अनुष्का कसौधन

|| LITERARY CLUB - SETH M.R. JAIPURIA ||

Famous Poems

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||