हालत-ए-हाल के सबब
|| John Elia Hindi Ghazal ||
|| John Elia Ki Hindi Ghazal ||
हालत-ए-हाल के सबब, हालत-ए-हाल ही गई,
शौक़ में कुछ नहीं गया, शौक़ की ज़िंदगी गई |
एक ही हादिसा तो है और वो ये के आज तक,
बात नहीं कही गयी, बात नहीं सुनी गई |
बाद भी तेरे जान-ए-जान दिल में रहा अजब सामान,
याद रही तेरी यहाँ, फिर तेरी याद भी गई |
उसके बदन को दी नमूद हमने सुखन में और फिर,
उसके बदन के वास्ते एक काबा भी सी गई |
उसकी उम्मीद-ए-नाज़ का हमसे ये मान था के आप,
उम्र गुज़ार दीजिये, उम्र गुज़ार दी गई |
उसके विसाल के लिए, अपने कमाल के लिए,
हालत-ए-दिल की थी खराब, और खराब की गई |
तेरा फ़िराक जान-ए-जान ऐश था क्या मेरे लिए,
यानी तेरे फ़िराक में खूब शराब पी गई |
उसकी गली से उठ के मैं आन पडा था अपने घर,
एक गली की बात थी और गली गली गई |
|| जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल ||
|| जौन एलिया की हिंदी ग़ज़ल ||