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Auratein - औरतें By रमाशंकर यादव विद्रोही | Women Empowerment Poems

The Darkling Thrush - ISC Class 12 Poems | ISC English Poems

 The Darkling Thrush

ISC Class 12 Poems

ISC Boards Class 12 English Poem 

I leant upon a coppice gate

When Frost was spectre-grey,

And Winter's dregs made desolate

The weakening eye of day.

The tangled bine-stems scored the sky

Like strings of broken lyres,

And all mankind that haunted nigh

Had sought their household fires.

The land's sharp features seemed to be

The Century's corpse outleant,

His crypt the cloudy canopy,

The wind his death-lament.

The ancient pulse of germ and birth

Was shrunken hard and dry,

And every spirit upon earth

Seemed fervourless as I.

At once a voice arose among

The bleak twigs overhead

In a full-hearted evensong

Of joy illimited;

An aged thrush, frail, gaunt, and small,

In blast-beruffled plume,

Had chosen thus to fling his soul

Upon the growing gloom.

So little cause for carolings

Of such ecstatic sound

Was written on terrestrial things

Afar or nigh around,

That I could think there trembled through

His happy good-night air

Some blessed Hope, whereof he knew

And I was unaware.

-

Thomas Hardy

ISC Class 12 Poems

ISC Boards Class 12 English Poem 

Famous Poems

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

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सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

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Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...