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Do Naavon Par Pair Pasare Aise Kaise - दो नावों पर पाँव पसारे ऐसे कैसे | Asad Akbarabadi Shayari

Do Naavon Par Pair Pasare Aise Kaise - दो नावों पर पाँव पसारे ऐसे कैसे | Asad Akbarabadi Shayari

Hindi Poem with Hinglish & English Translation Of Aise Kaise Poem

Poet: असद अकबराबादी
Insta Reel: Watch on Instagram
Writer's Instagram: @vaibhav_asad
दो नावों पर पाँव पसारे ऐसे कैसे - Aise Kaise

दो नावों पर पाँव पसारे ऐसे कैसे - Aise Kaise Original Hindi Poem:

दो नावों पर पाँव पसारे ऐसे कैसे
वो भी प्यारा हम भी प्यारे ऐसे कैसे

सूरज बोला बिन मेरे दुनिया अंधी है
हँस कर बोले चाँद सितारे ऐसे कैसे

तेरे हिस्से की ख़ुशियों से बैर नहीं पर
मेरे हक़ में सिर्फ ख़सारे ऐसे कैसे

गालों पर बोसा दे कर जब चली गई वो
कहते रह गए होंठ बिचारे ऐसे कैसे
असद अकबराबादी

Do Naavon Par Pair Pasare Aise Kaise Hinglish Transliteration (Romanized Hindi):

Do naavon par paanv pasaare aise kaise
Wo bhi pyaara, hum bhi pyaare – aise kaise?

Sooraj bola – bin mere duniya andhi hai
Hans kar bole chaand sitaare – aise kaise?

Tere hisse ki khushiyon se bair nahin par
Mere haq mein sirf khasaare – aise kaise?

Gaalon par bosa de kar jab chali gayi wo
Kehte reh gaye hoth bechaare – aise kaise?

Do Naavon Par Pair Pasare Aise Kaise English Translation:


How can one stretch legs on two boats like this?

He's dear to you, but so am I – how can this be?

The sun claimed – without me, the world is blind

The moon and stars laughed and said – how can this be?

I hold no grudge against your share of joy

But why is my fate only filled with loss – how can this be?

She kissed my cheeks and walked away

My lips kept wondering, broken – how can this be?

 

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 Why This Poem Resonates:

This poem strikes a chord with anyone caught between emotions, expectations, and heartbreak. With metaphors like the sun and moon, and innocent lips left behind after a fleeting kiss, Asad Akbarabadi paints a timeless picture of emotional paradoxes in love.

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 Published on: Sahityashala – Hub of Literature
 Contact us for more featured poets: kavitasadan@gmail.com

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