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रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली
लाल गुलाबी पीले देखो
रंग सभी रंगीले देखों
पिचकारी भर-भर ले आते
इक दूजे पर सभी चलाते
होली पर अब ऐसा हाल
हर चेहरे पर आज गुलाल
आओ यारो इसी बहाने
दुश्मन को भी चलो मनाने
-गुलशन मदान
2. Holi Poetry Hindi
देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई।
बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।
दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।
होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।
बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।
श्रीमती ममता असाटी
साभार - देवपुत्र
3. मुट्ठी में है लाल गुलाल – प्रभुदयाल श्रीवास्तव
नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
4. सत्यनारायण सत्य
पिचकारी रे पिचकारी रे
कितनी प्यारी पिचकारी।
छुपकर रहती रोजाना,
होली पर आ जाती है,
रंग-बिरंगे रंगों को इक-दूजे पर बरसाती है।
कोई हल्की, कोई भारी,
कितनी प्यारी पिचकारी।
होता रूप अजब अनूठा,
कोई पतली, कोई छोटी,
दुबली दिखती, गोल-मटोल,
कोई रहती मोटी-मोटी।
देखो सुन्दर लगती सारी,
कितनी प्यारी पिचकारी।
होली का त्योहार तो भैया,
इसके बिना रहे अधूरा,
नहीं छोड़े दूजों पर जब तक,
मजा नहीं आता है पूरा।
करती रंगों की तैयारी
कितनी प्यारी पिचकारी।
- सुमित शर्मा
Holi Poem in Hindi Language
होली
के त्यौहार को मनाने के लिए अनेकों विधियां हैं। होली का त्यौहार केवल
रंगों से ही नहीं मनाया जाता उसे अपने तरीके से किसी भी तरह मनाया जा सकता
है जैसे कि होली की कविताएं, होली पर निबंध, होली के भाषण, होली पर शायरी आदि जोकि आपस में लोगों द्वारा साझा किया जाता है।
होली
के त्यौहार के दिन होली केवल उनके साथ ही मनाई जा सकती है जो आपके सामने
होते हैं और जो आपसे बहुत दूर है उनके साथ होली कैसे मनाएं?
जैसे कि
मान लीजिए हमारे सैनिक भाई जो हमारी रक्षा के लिए 24 घंटे भारतीय सीमा पर
तैनात रहते हैं। अगर हमसे होली खेलना चाहेंगे तो कैसे खेलेंगे वह तो हमारे
पास आने से और हम उनके पास जा नहीं पाते लेकिन हम खुशियां बांटते हैं, वो
कैसे?
Holi Poems in Hindi
5. Holi Quotes Poems
बड़े प्यार से अम्मा बोली।
खूब मनाओ भैया होली।।
नहीं करेंगे कभी कुसंग।
डालो सभी परस्पर रंग।।
एक वर्ष में होली आई।
जी भर खेलो खाओ मिठाई।।
ध्यान लगाकर सुनो-पढ़ो।
नए-नए सोपान चढ़ो।।
बच्चे शोर मचाए होली।
उछले-कूदें खेलें होली।।
बड़े प्यार से अम्मा बोली।
खूब मनाओ भैया होली।।
6. Holi Par Kavita
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग
खाओ गुजिया पी लो भांग
हर घर महके खुशियों की तरंग
हर गलियों में बाजे ढोल
और संग बाजे मृदंग
हिमांशु-शानू हो हर अंग खेलें
सब लाल, पीले रंगों के संग
हर गली में मचा दें हम सब
आज रंगों की हुडदंग
दे दो नफरत की होलिका में
आहूति रंगों से लगा दो हर माथे पर
भभूती नफरत के सब मिटा दो रंग
प्यार को जगा कर नई उमंग
खेलो सब संग प्यार के रंग
आओ मिलकर खेलो सब संग
सबको मिलकर भांग पिलाएं
पी कर कोई हसंता जाए
कोई देर तक हुडदंग मचाए
खेलों सब खुशियों के संग
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग!!!
7.
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली।
8.
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली|
कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली।
9.
“हिन्दुस्तान का कवि
कितना आसान है
दुश्मनी को भुलाना
बस दुश्मन को घेरना
और उसे रंग है लगाना...!
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
“मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा”
"अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा"
"आपको रंगों से एलर्जी है
चलिए आपको रंग नहीं लगाएंगे
मगर साथ तो बैठिएगा
रंगीन बातों से ही होली मनाएंगे"
Poem on Holi in Hindi
अक्सर
लोग होली के अवसर पर होली पर श्लोक, Holi Par Shlok, होली पर शेरो शायरी,
होली के दोहे भी सर्च करते हैं। साथ ही आप होली पर गीत भी देख सकते हैं।
10. होली खेले सिया की सखियां – स्व. शांति देवी वर्मा
होली खेलें सिया की सखियाँ,
जनकपुर में छायो उल्लास....
रजत कलश में रंग घुले हैं, मलें अबीर सहास.
होली खेलें सिया की सखियाँ...
रंगें चीर रघुनाथ लला का, करें हास-परिहास.
होली खेलें सिया की सखियाँ...
एक कहे: 'पकडो, मुंह रंग दो, निकरे जी की हुलास'
होली खेलें सिया की सखियाँ...
दूजी कहे: 'कोऊ रंग चढ़े ना, श्याम रंग है खास.'
होली खेलें सिया की सखियाँ...
सिया कहें: 'रंग अटल प्रीत का, कोऊ न अइयो पास.'
होली खेलें सिया की सखियाँ...
सियाजी, श्यामल हैं प्रभु, कमल-भ्रमर आभास.
होली खेलें सिया की सखियाँ...
"शान्ति" निरख छवि, बलि-बलि जाए, अमिट दरस की प्यास.
होली खेलें सिया की सखियाँ...
11. होली खेले चारों भाई – स्व. शांति देवी वर्मा
होली खेले चारों भाई , अवधपुरी के महलों में...
अंगना में कई हौज बनवाये, भांति-भांति के रंग घुलाये.
पिचकारी भर धूम मचाएं, अवधपुरी के महलों में...
राम-लखन पिचकारी चलायें, भारत-शत्रुघ्न अबीर लगायें.
लखें दशरथ होएं निहाल, अवधपुरी के महलों में...
सिया-श्रुतकीर्ति रंग में नहाई, उर्मिला-मांडवी चीन्ही न जाई.
हुए लाल-गुलाबी बाल, अवधपुरी के महलों में...
कौशल्या कैकेई सुमित्रा, तीनों माता लेंय बलेंयाँ.
पुरजन गायें मंगल फाग, अवधपुरी के महलों में...
मंत्री सुमंत्र भेंटते होली, नृप दशरथ से करें ठिठोली.
बूढे भी लगते जवान, अवधपुरी के महलों में...
दास लाये गुझिया-ठंडाई, हिल-मिल सबने मौज मनाई.
ढोल बजे फागें भी गाईं,अवधपुरी के महलों में...
दस दिश में सुख-आनंद छाया, हर मन फागुन में बौराया.
"शान्ति" संग त्यौहार मनाया, अवधपुरी के महलों में...
12. काव्य की पिचकारी – आचार्य संजीव सलिल
रंगोत्सव पर काव्य की पिचकारी गह हाथ.
शब्द-रंग से कीजिये, तर अपना सिर-माथ
फागें, होरी गाइए, भावों से भरपूर.
रस की वर्षा में रहें, मौज-मजे में चूर.
भंग भवानी इष्ट हों, गुझिया को लें साथ
बांह-चाह में जो मिले उसे मानिए नाथ.
लक्षण जो-जैसे वही, कर देंगे कल्याण.
दूरी सभी मिटाइये, हों इक तन-मन-प्राण.
13. अबकी बार होली में – आचार्य संजीव सलिल
करो आतंकियों पर वार अबकी बार होली में,
न उनको मिल सके घर-द्वार अबकी बार होली में,
बना तोपोंकी पिचकारी चलाओ यार अब जी भर,
बना तोपोंकी पिचकारी चलाओ यार अब जी भर,
बहुत की शांति की बातें, लगाओ अब उन्हें लातें,
न कर पायें घातें कोई अबकी बार होली में,
पिलाओ भांग उनको फिर नचाओ भांगडा जी भर,
कहो बम चला कर बम, दोस्त अबकी बार होली में,
छिपे जो पाक में नापाक हरकत कर रहे जी भर,
करो बस सूपड़ा ही साफ़ अब की बार होली में,
न मानें देव लातों के कभी बातों से सच मानो,
चलो नहले पे दहला यार अबकी बार होली में,
जहाँ भी छिपे हैं वे, जा वहीं पर खून की होली,
चलो खेलें "सलिल" मिल साथ अबकी बार होली में॥
14. इस होली पर कैसे, करलूं बातें साज की – योगेश समदर्शी
अभी हरे हैं घाव,
कहां से लाऊं चाव,
नहीं बुझी है राख,
अभी तक ताज की
खून, खून का रंग,
देख-देख मैं दंग,
इस होली पर कैसे,
करलूं बातें साज की
उसके कैसे रंगू मैं गाल
जिसका सूखा नहीं रुमाल
उन भीगे होठों को कह दूं
मैं होली किस अंदाज की
इस होली पर कैसे,
करलूं बातें साज की...!
होली पर कविता: Short Poem on Holi Festival in Hindi
होली
के दिन लोग अपने घरों से निकलकर एक दूसरे के घरों पर जाते हैं और होली का
त्यौहार रंगों के साथ खेलकर अपना त्यौहार संपूर्ण करते हैं ठीक उसी तरह ही
अगर लोगों को अपना त्यौहार अपने रिश्तेदारों के साथ मनाना होता है वह होली
की कविता का बेस्ट कलेक्शन लेकर व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम
आदि द्वारा शेयर कर देते है।
पहले क्या हुआ करता था कि होली का
त्यौहार मनाना होता है तो आपको एक चिट्ठी टेलीग्राम का प्रयोग करना पड़ता
था । होली के दिन पकवान, मिष्ठान आदि बनाया जाता है और अपने सभी
रिश्तेदारों आज पड़ोसियों में बांटा जाता है साथ ही यदि कोई व्यक्ति जो
काफी दूर रहता है तो उन्हें भी आप अपना सामान भिजवा कर अपनी होली का
त्यौहार मना सकते हैं।
15. नाना नव रंगों को फिर ले आयी होली – महेन्द्र भटनागर
नाना नव रंगों को फिर ले आयी होली,
उन्मत्त उमंगों को फिर भर लायी होली !
आयी दिन में सोना बरसाती फिर होली,
छायी, निशि भर चाँदी सरसाती फिर होली !
रुनझुन-रुनझुन घुँघरू कब बाँध गयी होली,
अंगों में थिरकन भर, स्वर साध गयी होली !
उर मे बरबस आसव री ढाल गयी होली,
देखो, अब तो अपनी यह चाल नयी हो ली !
स्वागत में ढम-ढम ढोल बजाते हैं होली,
होकर मदहोश गुलाल उड़ाते हैं होली !
16. रंग गुलाल लिये कर में निकली मतवाली टोली है – अजय यादव
रंग गुलाल लिये कर में निकली मतवाली टोली है
ढोल की थाप पे पाँव उठे औ गूँज उठी फिर ’होली है
कहीं फाग की तानें छिड़ती हैं कहीं धूम मची है रसिया की
गोरी के मुख से गाली भी लगती आज मीठी बोली है
बादल भी लाल गुलाल हुआ उड़ते अबीर की छटा देख
धरती पे रंगों की नदियाँ अंबर में सजी रंगोली है
रंगों ने कलुष जरा धोया जो रोक रहा था प्रेम-मिलन
मन मिलकर एकाकार हुये, प्राणों में मिसरी घोली है
सबके चेहरे इकरूप हुये, ’अजय’ न भेद रहा कोई
यूँ सारे अंतर मिट जायें तो हर दिन यारो होली है...!
17. का संग खेलूं मैं होरी – मोहिन्दर कुमार
का संग खेलूं मैं होरी.. पिया गयल हैं विदेस रे
पीहर मा होती तो सखियों संग खेलती
झांकन ना दे बाहर अटारिया से
सासू का सख्त आदेस रे
का संग खेलूं मैं होरी.. पिया गयल हैं विदेस रे
लत्ता ना भावे मोको, गहना ना भावे
सीने में उठती है हूक रे
याद आवे पीहर की रंग से भीगी देहरिया
और गुलाल से रंगे मुख-केस रे
का संग खेलूं मैं होरी.. पिया गयल हैं विदेस रे
अंबुआ पे झुलना, सखियों की बतियां
नीर बहाऊं और सोचूं मैं दिन रतियां
पिया छोड के आजा ऐसी नौकरिया
जिसने है डाला सारा कलेस रे
का संग खेलूं मैं होरी.. पिया गयल हैं विदेस रे...
18.
बैगन जी की होली- कृष्ण कुमार यादव
टेढ़े-मेढ़े बैगन जी
होली पर ससुराल चले
बीच सड़क पर लुढ़क-लुढ़क
कैसी ढुलमुल चाल चले
पत्नी भिण्डी मैके में
बनी-ठनी तैयार मिलीं
हाथ पकड़ कर वह उनका
ड्राइंगरूम में साथ चलीं
मारे खुशी, ससुर कद्दू
देख बल्लियों उछल पड़े
लौकी सास रंग भीगी
बैगन जी भी फिसल पड़े
इतने में उनकी साली
मिर्ची जी भी टपक पड़ीं
रंग भरी पिचकारी ले
जीजाजी पर झपट पड़ीं
बैगन जी गीले-गीले
हुए बैगनी से पीले।
19. रंग रंगीली आई होली – सीमा सचदेव
नन्ही गुड़िया माँ से बोली
माँ मुझको पिचकारी ले दो
इक छोटी सी लारी ले दो
रंग-बिरंगे रंग भी ले दो
उन रंगों में पानी भर दो
मैं भी सबको रग डालूँगी
रंगों के संग मज़े करूँगी
मैं तो लारी में बैठूँगी
अन्दर से गुलाल फेंकूँगी
माँ ने गुड़िया को समझाया
और प्यार से यह बतलाया
तुम दूसरो पे रंग फेंकोगी
और अपने ही लिए डरोगी
रँग नहीं मिलते है अच्छे
हुए बीमार जो इससे बच्चे
तो क्या तुमको अच्छा लगेगा
जो तुम सँग कोई न खेलेगा
जाओ तुम बगिया मे जाओ
रंग- बिरंगे फूल ले आओ
बनाएँगे हम फूलों के रन्ग
फिर खेलना तुम सबके संग
रंगों पे खरचोगी पैसे
जोड़े तुमने जैसे तैसे
उसका कोई उपयोग न होगा
उलटे यह नुकसान ही होगा
चलो अनाथालय में जाएँ
भूखे बच्चों को खिलाएँ
आओ उन संग खेले होली
वो भी तेरे है हमजोली
जो उन संग खुशियाँ बाँटोगी
कितना बड़ा उपकार करोगी
भूखा पेट भरोगी उनका
दुनिया में नहीं कोई जिनका
वो भी प्यारे-प्यारे बच्चे
नन्हे से है दिल के सच्चे
अब गुड़िया को समझ में आई
उसने भी तरकीब लगाई
बुलाएगी सारी सखी सहेली
नहीं जाएगी वो अकेली
उसने सब सखियों को बुलाया
और उन्हें भी यह समझाया
सबने मिलके रंग बनाया
बच्चों सँग त्योहार मनाया
भूखों को खाना भी खिलाया
उनका पैसा काम में आया
सबने मिलकर खेली होली
और सारे बन गए हमजोली..!
होली की कहानी व होली क्यों मनाई जाती है।
होली
का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है। होली के पीछे बहुत ही
बड़ी और प्राचीन कहानी कहानी है। हिरण्यकश्यप नामक राजा जो कि अपने आप को
भगवान बोला करता था और सभी भगवानों से नफरत किया करता था और किस्मत की बात
है कि उसका अपना ही बेटा प्रहलाद जो कि श्री विष्णु जी को मानता था और उनकी
पूजा-अर्चना में सुबह से शाम तक लगा रहता था।
हिरण्यकश्यप ने अपने
बेटे को लाखों बार समझाया कि विष्णु जी की पूजा न करें लेकिन प्रहलाद
विष्णु जी का परम भक्त था और प्रह्लाद ने अपने पिता का घर छोड़ दिया था साथ
में कह दिया था कि मैं मरते दम तक विष्णु जी का नाम नहीं छोडूंगा।
हिरण्यकश्यप
इन बातों से परेशान था उसने अपने बेटे को मारने की हजारों कोशिश कि है
लेकिन असफल रहा। अंत में उसको कुछ नहीं समझ में आया तो उसने अपनी बहन होलिका जिसको भगवान शिव जी का वरदान था कि अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है।
हिरण्यकश्यप
ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को लेकर एक अग्नि कुंड में
बैठ जाए और प्रह्लाद का अंत कर दे लेकिन भगवान विष्णु जी को कुछ और ही
पसंद था। विष्णु जी ने होलिका का वरदान उठा कर रख दिया और होलिका दहन कर
दिया।
हरी हरी जप ले तेरा क्या जाता है राजा तो कोई भी बन जाता है।
हरि भक्त केवल वही कहलाता है जो हरी को दिल में बसाता है। होली का त्यौहार
खुशियों का त्योहार है इसे व्यर्थ ना जाने देना साल में एक बार आता है।
सबके साथ खुशियों के साथ मनाना होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है और एक
समानता फैलाने का त्यौहार है, होली खुशियों और उल्लास का त्यौहार है।
होली पर हिंदी कविता | होली पर हास्य कविता | Holi Kavita Hindi Main
20. सांझ से ही आ बैठी – प्रवीण पंडित
मन में भर उल्लास, मुट्ठियां भर भर रंग लिये
सांझ से ही आ बैठी, होली मादक गंध लिये
एक हथेली मे चुटकी भर ठंडा सा अहसास
दूजे हाथ लिये किरची भर नरम धूप सौगात
उजियारे के रंग पूनमी मटियाली बू-बास
भीगे मौसम की अंगड़ाई लेकर आई पास
अल्हड़-पन का भाव सुकोमल पूरे अंग लिये
सांझ से ही आ बैठी होली मादक गंध लिये
लहरों से लेकर हिचकोले,पवन से अठखेली
चौखट-चौखट बजा मंजीरे, फिरती अलबेली
कहीं से लाई रंग केसरी, कहीं से कस्तूरी
लाजलजीली हुई कहीं पर खुल कर भी खेली
नयन भरे कजरौट अधर भर भर मकरंद लिये
सांझ से ही आ बैठी ,होली मादक गंध लिये...!
21. फागुन बनकर – शोभा महेन्द्रू
बरस गए हैं मेरी आँखों में
हज़ारों सपने
महकने लगे हैं टेसू
और मन
बावला हुआ जाता है
सपनों की कलियाँ
दिल की हर डाल पर
फूट रही है
और ये उपवन
नन्दन हुआ जाता है
समझ नहीं पा रही हूँ
ये तुम हो या मौसम
जो बरसा है
मुझपर
फागुन बनकर
22. जश्न जारी… – धीरेन्द्र सिंह “काफ़िर”
पतझड़ में पत्ते
शाखें छोड़ देते हैं
सदाबहार
जब आता है
तो बहार
जवाँहोती है
हम भी कुछ
इसीतरह से
जश्न जारी
रखते हैं
मातम भी मनाते हैं
अपने-अपने
इन पेड़-पौधों जैसा नहीं
कुछ भी साथ-साथ नहीं
दिवाली में
पटाखे जलाए
उजाला मचाया
होली में रंग गए
रंग उडाये
मगर रूह में वही
पुराना अँधेरा
वही कालिख..
23.
होली है आई आज मेरे द्वार,
मिल जाएंगे सखा सहेली और पुराने यार,
शोर से मोहल्ला सराबोर है,
होली गीत के ही बजते ढ़ोल है,
कोई बजाए ढोलक कोई मंजीरे,
कोई बजाए लिए रंग गुलाल हाथ में कोई भरे पिचकारी,
कोई झूमे भंगे के नशे में कोई फाग के गीतों में,
दिल से दिल मिल जाए, कोयल यही मल्हार गाये।
रंग रंगीला है यह त्यौहार साज जाए यादे जब मिले जाए यार....!
24.
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे ।
और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥
कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे ।
पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥
तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से ।
बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥
मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां ।
जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
25. Famous Hasya Kavita Holi Par
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार।
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥
शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥
तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥
रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥
मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥
गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥
– मनोज खरे
26. Holi Ki Bal Kavitayen
रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन !
लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई !
गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले !
रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान !
पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
27. होली पर हास्य कविताएं
बनेगी होली
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली|
कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली पर कविता हिंदी में
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
तुम्हारा चेहरा
मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा
होली पर बाल कविता
मुट्ठी में है लाल गुलाल
नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
28. होली की मस्ती कविता
कुछ एसा अदभुत चमत्कार
अबकी होली में हो जाये, कुछ एसा अदभुत चमत्कार
हो जाये भ्रष्टाचार स्वाहा, महगाई,झगड़े, लूटमार
सब लाज शर्म को छोड़ छाड़,हम करें प्रेम से छेड़ छाड़
गौरी के गोरे गालों पर ,अपने हाथों से मल गुलाल
जा लगे रंग,महके अनंग,हर अंग अंग हो सरोबार
इस मस्ती में,हर बस्ती में,बस जाये केवल प्यार प्यार
दुर्भाव हटे,कटुता सिमटे,हो भातृभाव का बस प्रचार
अबकी होली में हो जाये,कुछ एसा अदभुत चमत्कार॥
– मदन मोहन
बन चुका था तिरंगा
अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा
Poem On Holi in Hindi language
देखो-देखो होली है आई
देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई।
बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।
दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।
होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।
बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।
होली पर हास्य कविताएं
Hindi hasya kavita on holi
प्राचीन व आधुनिक होली
समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी
आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की
कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश
आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश
मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा
लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा
त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे
अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे
समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम
होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम
निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन
मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन
Hindi Poem on Holi
रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली
लाल गुलाबी पीले देखो
रंग सभी रंगीले देखों
पिचकारी भर-भर ले आते
इक दूजे पर सभी चलाते
होली पर अब ऐसा हाल
हर चेहरे पर आज गुलाल
आओ यारो इसी बहाने
दुश्मन को भी चलो मनाने
-गुलशन मदान
Poem on holi in hindi for class 2
आइये देखें कुछ होली पर कविता यानी की बेस्ट हिंदी कविताएं फॉर किड्स
आओ मिलकर खेलें होली
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग
खाओ गुजिया पी लो भांग
हर घर महके खुशियों की तरंग
हर गलियों में बाजे ढोल
और संग बाजे मृदंग
हिमांशु-रुपेश हो हर अंग खेलें
सब लाल, पीले रंगों के संग
हर गली में मचा दें हम सब
आज रंगों की हुडदंग
दे दो नफरत की होलिका में
आहूति
रंगों से लगा दो हर माथे पर
भभूती
नफरत के सब मिटा दो रंग
प्यार को जगा कर नई उमंग
खेलो सब संग प्यार के रंग
आओ मिलकर खेलो सब संग
सबको मिलकर भांग पिलाएं
पी कर कोई हसंता जाए
कोई देर तक हुडदंग मचाए
खेलों सब खुशियों के संग
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग!!!
Holi pe kavita in hindi
रंग दे
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे ।
और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥
कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे ।
पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥
तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से ।
बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥
मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां ।
जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
Famous hasya kavitayen Holi par
उमरिया हिरनिया हो गई
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार।
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥
शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥
तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥
रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥
मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥
गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥
– मनोज खरे
Holi ki bal kavita
रंग फुहारों से
रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन !
लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई !
गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले !
रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान !
पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
होली पर हास्य कविताएं
होली पर हास्य कविता इस प्रकार हैं:
बनेगी होली
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली|
कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली पर कविता हिंदी में
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
होली पर कविता हिंदी में
तुम्हारा चेहरा
मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा
होली पर बाल कविता
मुट्ठी में है लाल गुलाल
नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
होली की मस्ती कविता
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बन चुका था तिरंगा
अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा
Poem On Holi in Hindi language
देखो-देखो होली है आई
देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई।
बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।
दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।
होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।
बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।
होली पर हास्य कविताएं
Hindi hasya kavita on holi
प्राचीन व आधुनिक होली
समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी
आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की
कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश
आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश
मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा
लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा
त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे
अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे
समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम
होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम
निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन
मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन
Hindi Poem on Holi
रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली
लाल गुलाबी पीले देखो
रंग सभी रंगीले देखों
पिचकारी भर-भर ले आते
इक दूजे पर सभी चलाते
होली पर अब ऐसा हाल
हर चेहरे पर आज गुलाल
आओ यारो इसी बहाने
दुश्मन को भी चलो मनाने
-गुलशन मदान
Poem on holi in hindi for class 2
आइये देखें कुछ होली पर कविता यानी की बेस्ट हिंदी कविताएं फॉर किड्स
आओ मिलकर खेलें होली
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग
खाओ गुजिया पी लो भांग
हर घर महके खुशियों की तरंग
हर गलियों में बाजे ढोल
और संग बाजे मृदंग
हिमांशु-रुपेश हो हर अंग खेलें
सब लाल, पीले रंगों के संग
हर गली में मचा दें हम सब
आज रंगों की हुडदंग
दे दो नफरत की होलिका में
आहूति
रंगों से लगा दो हर माथे पर
भभूती
नफरत के सब मिटा दो रंग
प्यार को जगा कर नई उमंग
खेलो सब संग प्यार के रंग
आओ मिलकर खेलो सब संग
सबको मिलकर भांग पिलाएं
पी कर कोई हसंता जाए
कोई देर तक हुडदंग मचाए
खेलों सब खुशियों के संग
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग!!!
Holi pe kavita in hindi
रंग दे
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे ।
और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥
कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे ।
पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥
तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से ।
बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥
मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां ।
जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
Famous hasya kavitayen Holi par
उमरिया हिरनिया हो गई
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार।
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥
शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥
तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥
रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥
मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥
गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥
– मनोज खरे
Holi ki bal kavita
रंग फुहारों से
रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन !
लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई !
गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले !
रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान !
पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
होली पर हास्य कविताएं
होली पर हास्य कविता इस प्रकार हैं:
बनेगी होली
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली|
कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली पर कविता हिंदी में
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
होली पर कविता हिंदी में
तुम्हारा चेहरा
मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा
होली पर बाल कविता
मुट्ठी में है लाल गुलाल
नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
होली की मस्ती कविता
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बन चुका था तिरंगा अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई, एक-दूसरे को खूब रंगा बाद में सबने देखा तो पता चला उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा
Poem On Holi in Hindi
देखो-देखो होली है आई देखो-देखो होली है आई चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई मौसम ने ली है अंगड़ाई। शीत ऋतु की हो रही है बिदाई ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई देखो-देखो होली है आई। बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई। दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई देखो-देखो होली है आई। होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई होली ने कर दी है अनबन की सफाई जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई। बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता अपार जन-जन की मिलेगी बधाई होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई देखो-देखो होली है आई। होली पर हास्य कविताएं
Hindi hasya kavita on holi
प्राचीन व आधुनिक होली समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन
Hindi Poem on Holi रंगों का त्योहार है होली खुशियों की बौछार है होली लाल गुलाबी पीले देखो रंग सभी रंगीले देखों पिचकारी भर-भर ले आते इक दूजे पर सभी चलाते होली पर अब ऐसा हाल हर चेहरे पर आज गुलाल आओ यारो इसी बहाने दुश्मन को भी चलो मनाने -गुलशन मदान
Poem on holi in hindi
आइये देखें कुछ होली पर कविता यानी की बेस्ट हिंदी कविताएं फॉर किड्स आओ मिलकर खेलें होली आओ मिलकर खेलें होली सब एक दूजे के संग खाओ गुजिया पी लो भांग हर घर महके खुशियों की तरंग हर गलियों में बाजे ढोल और संग बाजे मृदंग हिमांशु-रुपेश हो हर अंग खेलें सब लाल, पीले रंगों के संग हर गली में मचा दें हम सब आज रंगों की हुडदंग दे दो नफरत की होलिका में आहूति रंगों से लगा दो हर माथे पर भभूती नफरत के सब मिटा दो रंग प्यार को जगा कर नई उमंग खेलो सब संग प्यार के रंग आओ मिलकर खेलो सब संग सबको मिलकर भांग पिलाएं पी कर कोई हसंता जाए कोई देर तक हुडदंग मचाए खेलों सब खुशियों के संग आओ मिलकर खेलें होली सब एक दूजे के संग!!!
Holi pe kavita in hindi
रंग दे!
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे । और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥ कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे । पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥ तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से । बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥ मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां । जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
Famous hasya kavitayen Holi
उमरिया हिरनिया हो गई उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार। मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥ शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर। भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥ तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब। सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥ रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात। अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥ मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत। काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥ गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख। पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥
– मनोज खरे
Holi ki bal kavita
रंग फुहारों से रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन ! लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई ! गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले ! रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान ! पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
|| होली पर हास्य कविताएं ||
होली पर हास्य कविता इस प्रकार हैं: बनेगी होली निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली, सबकी जुबाँ पे एक ही बोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली| होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली| कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली| मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली| निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली, सबकी जुबाँ पे एक ही बोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
|| होली पर कविता हिंदी में ||
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने होली पर रंग लगा कर हंसा दिया वरना अपने चेहरे का रंग तो महंगाई ने कब का उड़ा दिया होली पर कविता हिंदी में तुम्हारा चेहरा मेरे रंग तुम्हारा चेहरा होली के दिन बिठाना पहरा दिल तुम्हारा पास है मेरे अब बचाना अपना चेहरा
होली पर बाल कविता
मुट्ठी में है लाल गुलाल नोमू का मुंह पुता लाल से सोमू की पीली गुलाल से कुर्ता भीगा राम रतन का, रम्मी के हैं गीले बाल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। चुनियां को मुनियां ने पकड़ा नीला रंग गालों पर चुपड़ा इतना रगड़ा जोर-जोर से, फूल गए हैं दोनों गाल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। लल्लू पीला रंग ले आया कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया रंग लगाया एक-दूजे को, लड़े-भिड़े थे परकी साल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। कुछ के हाथों में पिचकारी गुब्बारों की मारा-मारी। रंग-बिरंगे सबके कपड़े, रंग-रंगीले सबके भाल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। इन्द्रधनुष धरती पर उतरा रंगा, रंग से कतरा-कतरा नाच रहे हैं सब मस्ती में, बहुत मजा आया इस साल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। होली की मस्ती कविता
होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है
रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।
यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं वहाँ भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं।
दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल
इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर
लोगों को रंग लगाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी
कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को
रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के
विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते
हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।
राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है।
राग अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही पर इनको उत्कर्ष तक
पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था
पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं।
होली का त्यौहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों
खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे,
पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं।
खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है।
गुझिया होली का प्रमुख पकवान है जो कि मावा (खोया) और मैदा से बनती है और
मेवाओं से युक्त होती है इस दिन कांजी के बड़े खाने व खिलाने का भी रिवाज
है।
नए कपड़े पहन कर होली की शाम को लोग एक दूसरे के घर होली मिलने जाते है
जहाँ उनका स्वागत गुझिया,नमकीन व ठंडाई से किया जाता है। होली के दिन आम्र
मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है।
बन चुका था तिरंगा
अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा
Poem On Holi in Hindi language
देखो-देखो होली है आई
देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई।
बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।
दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।
होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।
बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।
होली पर हास्य कविताएं
Hindi hasya kavita on holi
प्राचीन व आधुनिक होली
समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी
आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की
कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश
आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश
मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा
लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा
त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे
अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे
समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम
होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम
निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन
मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन
Hindi Poem on Holi
रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली
लाल गुलाबी पीले देखो
रंग सभी रंगीले देखों
पिचकारी भर-भर ले आते
इक दूजे पर सभी चलाते
होली पर अब ऐसा हाल
हर चेहरे पर आज गुलाल
आओ यारो इसी बहाने
दुश्मन को भी चलो मनाने
-गुलशन मदान
Poem on holi in hindi for class 2
आइये देखें कुछ होली पर कविता यानी की बेस्ट हिंदी कविताएं फॉर किड्स
आओ मिलकर खेलें होली
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग
खाओ गुजिया पी लो भांग
हर घर महके खुशियों की तरंग
हर गलियों में बाजे ढोल
और संग बाजे मृदंग
हिमांशु-रुपेश हो हर अंग खेलें
सब लाल, पीले रंगों के संग
हर गली में मचा दें हम सब
आज रंगों की हुडदंग
दे दो नफरत की होलिका में
आहूति
रंगों से लगा दो हर माथे पर
भभूती
नफरत के सब मिटा दो रंग
प्यार को जगा कर नई उमंग
खेलो सब संग प्यार के रंग
आओ मिलकर खेलो सब संग
सबको मिलकर भांग पिलाएं
पी कर कोई हसंता जाए
कोई देर तक हुडदंग मचाए
खेलों सब खुशियों के संग
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग!!!
Holi pe kavita in hindi
रंग दे
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे ।
और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥
कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे ।
पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥
तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से ।
बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥
मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां ।
जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
Famous hasya kavitayen Holi par
उमरिया हिरनिया हो गई
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार।
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥
शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥
तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥
रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥
मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥
गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥
– मनोज खरे
Holi ki bal kavita
रंग फुहारों से
रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन !
लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई !
गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले !
रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान !
पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
होली पर हास्य कविताएं
होली पर हास्य कविता इस प्रकार हैं:
बनेगी होली
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली|
कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली पर कविता हिंदी में
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
होली पर कविता हिंदी में
तुम्हारा चेहरा
मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा
होली पर बाल कविता
मुट्ठी में है लाल गुलाल
नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
होली की मस्ती कविता
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बन चुका था तिरंगा
अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा
Poem On Holi in Hindi language
देखो-देखो होली है आई
देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई।
बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।
दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।
होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।
बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।
होली पर हास्य कविताएं
Hindi hasya kavita on holi
प्राचीन व आधुनिक होली
समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी
आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की
कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश
आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश
मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा
लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा
त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे
अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे
समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम
होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम
निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन
मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन
Hindi Poem on Holi
रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली
लाल गुलाबी पीले देखो
रंग सभी रंगीले देखों
पिचकारी भर-भर ले आते
इक दूजे पर सभी चलाते
होली पर अब ऐसा हाल
हर चेहरे पर आज गुलाल
आओ यारो इसी बहाने
दुश्मन को भी चलो मनाने
-गुलशन मदान
Poem on holi in hindi for class 2
आइये देखें कुछ होली पर कविता यानी की बेस्ट हिंदी कविताएं फॉर किड्स
आओ मिलकर खेलें होली
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग
खाओ गुजिया पी लो भांग
हर घर महके खुशियों की तरंग
हर गलियों में बाजे ढोल
और संग बाजे मृदंग
हिमांशु-रुपेश हो हर अंग खेलें
सब लाल, पीले रंगों के संग
हर गली में मचा दें हम सब
आज रंगों की हुडदंग
दे दो नफरत की होलिका में
आहूति
रंगों से लगा दो हर माथे पर
भभूती
नफरत के सब मिटा दो रंग
प्यार को जगा कर नई उमंग
खेलो सब संग प्यार के रंग
आओ मिलकर खेलो सब संग
सबको मिलकर भांग पिलाएं
पी कर कोई हसंता जाए
कोई देर तक हुडदंग मचाए
खेलों सब खुशियों के संग
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग!!!
Holi pe kavita in hindi
रंग दे
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे ।
और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥
कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे ।
पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥
तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से ।
बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥
मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां ।
जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
Famous hasya kavitayen Holi par
उमरिया हिरनिया हो गई
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार।
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥
शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥
तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥
रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥
मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥
गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥
– मनोज खरे
Holi ki bal kavita
रंग फुहारों से
रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन !
लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई !
गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले !
रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान !
पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
होली पर हास्य कविताएं
होली पर हास्य कविता इस प्रकार हैं:
बनेगी होली
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली|
कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली पर कविता हिंदी में
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
होली पर कविता हिंदी में
तुम्हारा चेहरा
मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा
होली पर बाल कविता
मुट्ठी में है लाल गुलाल
नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
होली की मस्ती कविता
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बन चुका था तिरंगा
अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा
Poem On Holi in Hindi language
देखो-देखो होली है आई
देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई।
बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।
दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।
होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।
बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।
होली पर हास्य कविताएं
Hindi hasya kavita on holi
प्राचीन व आधुनिक होली
समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी
आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की
कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश
आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश
मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा
लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा
त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे
अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे
समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम
होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम
निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन
मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन
Hindi Poem on Holi
रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली
लाल गुलाबी पीले देखो
रंग सभी रंगीले देखों
पिचकारी भर-भर ले आते
इक दूजे पर सभी चलाते
होली पर अब ऐसा हाल
हर चेहरे पर आज गुलाल
आओ यारो इसी बहाने
दुश्मन को भी चलो मनाने
-गुलशन मदान
Poem on holi in hindi for class 2
आइये देखें कुछ होली पर कविता यानी की बेस्ट हिंदी कविताएं फॉर किड्स
आओ मिलकर खेलें होली
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग
खाओ गुजिया पी लो भांग
हर घर महके खुशियों की तरंग
हर गलियों में बाजे ढोल
और संग बाजे मृदंग
हिमांशु-रुपेश हो हर अंग खेलें
सब लाल, पीले रंगों के संग
हर गली में मचा दें हम सब
आज रंगों की हुडदंग
दे दो नफरत की होलिका में
आहूति
रंगों से लगा दो हर माथे पर
भभूती
नफरत के सब मिटा दो रंग
प्यार को जगा कर नई उमंग
खेलो सब संग प्यार के रंग
आओ मिलकर खेलो सब संग
सबको मिलकर भांग पिलाएं
पी कर कोई हसंता जाए
कोई देर तक हुडदंग मचाए
खेलों सब खुशियों के संग
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग!!!
Holi pe kavita in hindi
रंग दे
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे ।
और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥
कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे ।
पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥
तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से ।
बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥
मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां ।
जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
Famous hasya kavitayen Holi par
उमरिया हिरनिया हो गई
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार।
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥
शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥
तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥
रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥
मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥
गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥
– मनोज खरे
Holi ki bal kavita
रंग फुहारों से
रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन !
लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई !
गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले !
रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान !
पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
होली पर हास्य कविताएं
होली पर हास्य कविता इस प्रकार हैं:
बनेगी होली
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली|
कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली पर कविता हिंदी में
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
होली पर कविता हिंदी में
तुम्हारा चेहरा
मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा
होली पर बाल कविता
मुट्ठी में है लाल गुलाल
नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
होली की मस्ती कविता
Read more at:
https://hindijaankaari.in/%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%82-holi-par-kavita-hindi-mein-poems-on-holi-pdf-download/
बन चुका था तिरंगा
अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा
Poem On Holi in Hindi language
देखो-देखो होली है आई
देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई।
बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।
दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।
होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।
बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।
होली पर हास्य कविताएं
Hindi hasya kavita on holi
प्राचीन व आधुनिक होली
समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी
आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की
कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश
आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश
मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा
लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा
त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे
अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे
समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम
होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम
निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन
मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन
Hindi Poem on Holi
रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली
लाल गुलाबी पीले देखो
रंग सभी रंगीले देखों
पिचकारी भर-भर ले आते
इक दूजे पर सभी चलाते
होली पर अब ऐसा हाल
हर चेहरे पर आज गुलाल
आओ यारो इसी बहाने
दुश्मन को भी चलो मनाने
-गुलशन मदान
Poem on holi in hindi for class 2
आइये देखें कुछ होली पर कविता यानी की बेस्ट हिंदी कविताएं फॉर किड्स
आओ मिलकर खेलें होली
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग
खाओ गुजिया पी लो भांग
हर घर महके खुशियों की तरंग
हर गलियों में बाजे ढोल
और संग बाजे मृदंग
हिमांशु-रुपेश हो हर अंग खेलें
सब लाल, पीले रंगों के संग
हर गली में मचा दें हम सब
आज रंगों की हुडदंग
दे दो नफरत की होलिका में
आहूति
रंगों से लगा दो हर माथे पर
भभूती
नफरत के सब मिटा दो रंग
प्यार को जगा कर नई उमंग
खेलो सब संग प्यार के रंग
आओ मिलकर खेलो सब संग
सबको मिलकर भांग पिलाएं
पी कर कोई हसंता जाए
कोई देर तक हुडदंग मचाए
खेलों सब खुशियों के संग
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग!!!
Holi pe kavita in hindi
रंग दे
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे ।
और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥
कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे ।
पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥
तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से ।
बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥
मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां ।
जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
Famous hasya kavitayen Holi par
उमरिया हिरनिया हो गई
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार।
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥
शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥
तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥
रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥
मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥
गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥
– मनोज खरे
Holi ki bal kavita
रंग फुहारों से
रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन !
लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई !
गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले !
रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान !
पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
होली पर हास्य कविताएं
होली पर हास्य कविता इस प्रकार हैं:
बनेगी होली
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली|
कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली पर कविता हिंदी में
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
होली पर कविता हिंदी में
तुम्हारा चेहरा
मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा
होली पर बाल कविता
मुट्ठी में है लाल गुलाल
नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
होली की मस्ती कविता
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बन चुका था तिरंगा
अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा
Poem On Holi in Hindi language
देखो-देखो होली है आई
देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई।
बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।
दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।
होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।
बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।
होली पर हास्य कविताएं
Hindi hasya kavita on holi
प्राचीन व आधुनिक होली
समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी
आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की
कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश
आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश
मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा
लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा
त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे
अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे
समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम
होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम
निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन
मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन
Hindi Poem on Holi
रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली
लाल गुलाबी पीले देखो
रंग सभी रंगीले देखों
पिचकारी भर-भर ले आते
इक दूजे पर सभी चलाते
होली पर अब ऐसा हाल
हर चेहरे पर आज गुलाल
आओ यारो इसी बहाने
दुश्मन को भी चलो मनाने
-गुलशन मदान
Poem on holi in hindi for class 2
आइये देखें कुछ होली पर कविता यानी की बेस्ट हिंदी कविताएं फॉर किड्स
आओ मिलकर खेलें होली
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग
खाओ गुजिया पी लो भांग
हर घर महके खुशियों की तरंग
हर गलियों में बाजे ढोल
और संग बाजे मृदंग
हिमांशु-रुपेश हो हर अंग खेलें
सब लाल, पीले रंगों के संग
हर गली में मचा दें हम सब
आज रंगों की हुडदंग
दे दो नफरत की होलिका में
आहूति
रंगों से लगा दो हर माथे पर
भभूती
नफरत के सब मिटा दो रंग
प्यार को जगा कर नई उमंग
खेलो सब संग प्यार के रंग
आओ मिलकर खेलो सब संग
सबको मिलकर भांग पिलाएं
पी कर कोई हसंता जाए
कोई देर तक हुडदंग मचाए
खेलों सब खुशियों के संग
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग!!!
Holi pe kavita in hindi
रंग दे
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे ।
और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥
कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे ।
पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥
तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से ।
बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥
मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां ।
जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
Famous hasya kavitayen Holi par
उमरिया हिरनिया हो गई
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार।
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥
शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥
तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥
रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥
मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥
गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥
– मनोज खरे
Holi ki bal kavita
रंग फुहारों से
रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन !
लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई !
गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले !
रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान !
पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
होली पर हास्य कविताएं
होली पर हास्य कविता इस प्रकार हैं:
बनेगी होली
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली|
कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली पर कविता हिंदी में
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
होली पर कविता हिंदी में
तुम्हारा चेहरा
मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा
होली पर बाल कविता
मुट्ठी में है लाल गुलाल
नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
होली की मस्ती कविता
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बन चुका था तिरंगा
अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा
Poem On Holi in Hindi language
देखो-देखो होली है आई
देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई।
बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।
दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।
होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।
बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।
होली पर हास्य कविताएं
Hindi hasya kavita on holi
प्राचीन व आधुनिक होली
समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी
आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की
कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश
आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश
मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा
लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा
त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे
अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे
समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम
होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम
निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन
मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन
Hindi Poem on Holi
रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली
लाल गुलाबी पीले देखो
रंग सभी रंगीले देखों
पिचकारी भर-भर ले आते
इक दूजे पर सभी चलाते
होली पर अब ऐसा हाल
हर चेहरे पर आज गुलाल
आओ यारो इसी बहाने
दुश्मन को भी चलो मनाने
-गुलशन मदान
Poem on holi in hindi for class 2
आइये देखें कुछ होली पर कविता यानी की बेस्ट हिंदी कविताएं फॉर किड्स
आओ मिलकर खेलें होली
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग
खाओ गुजिया पी लो भांग
हर घर महके खुशियों की तरंग
हर गलियों में बाजे ढोल
और संग बाजे मृदंग
हिमांशु-रुपेश हो हर अंग खेलें
सब लाल, पीले रंगों के संग
हर गली में मचा दें हम सब
आज रंगों की हुडदंग
दे दो नफरत की होलिका में
आहूति
रंगों से लगा दो हर माथे पर
भभूती
नफरत के सब मिटा दो रंग
प्यार को जगा कर नई उमंग
खेलो सब संग प्यार के रंग
आओ मिलकर खेलो सब संग
सबको मिलकर भांग पिलाएं
पी कर कोई हसंता जाए
कोई देर तक हुडदंग मचाए
खेलों सब खुशियों के संग
आओ मिलकर खेलें होली
सब एक दूजे के संग!!!
Holi pe kavita in hindi
रंग दे
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे ।
और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥
कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे ।
पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥
तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से ।
बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥
मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां ।
जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
Famous hasya kavitayen Holi par
उमरिया हिरनिया हो गई
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार।
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥
शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥
तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥
रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥
मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥
गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥
– मनोज खरे
Holi ki bal kavita
रंग फुहारों से
रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन !
लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई !
गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले !
रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान !
पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
होली पर हास्य कविताएं
होली पर हास्य कविता इस प्रकार हैं:
बनेगी होली
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली|
कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली|
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली|
होली पर कविता हिंदी में
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
होली पर कविता हिंदी में
तुम्हारा चेहरा
मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा
होली पर बाल कविता
मुट्ठी में है लाल गुलाल
नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
होली की मस्ती कविता
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|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna || तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी || रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ || सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...
सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...
Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम, जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि, किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से, हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम, बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||
Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों को तुम रखो, मैं कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं | कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं || कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं || आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के || सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...
Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...