short poem of nature in hindi
||Nature Poems||
Poem about Nature in Hindi
संभल जाओ ऐ दुनिया वालो
Poems in Hindi on Nature
रह रहकर टूटता रब का कहर
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प्रकृति पर कविता
लाली है, हरियाली है
नरेंद्र वर्मा
Hindi Kavita on Nature
प्रकृति से प्रेम करें
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Hindi Poems on Environment
वन, नदियां, पर्वत व सागर
रामगोपाल राही
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Poem about Nature in Hindi
कलयुग में अपराध का
Poems in Hindi on Nature
हरे पेड़ पर चली कुल्हाड़ी
सुरेश चन्द्र
प्रकृति पर कविता
कहो, तुम रूपसि कौन
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Hindi Kavita on Nature
मधुरिमा के, मधु के अवतार
मधुरिमा के, मधु के अवतार
सुधा से, सुषमा से, छविमान,
आंसुओं में सहमे अभिराम
तारकों से हे मूक अजान!
सीख कर मुस्काने की बान
कहां आऎ हो कोमल प्राण!
स्निग्ध रजनी से लेकर हास
रूप से भर कर सारे अंग,
नये पल्लव का घूंघट डाल
अछूता ले अपना मकरंद,
ढूढं पाया कैसे यह देश?
स्वर्ग के हे मोहक संदेश!
रजत किरणों से नैन पखार
अनोखा ले सौरभ का भार,
छ्लकता लेकर मधु का कोष
चले आऎ एकाकी पार;
कहो क्या आऎ हो पथ भूल?
मंजु छोटे मुस्काते फूल!
उषा के छू आरक्त कपोल
किलक पडता तेरा उन्माद,
देख तारों के बुझते प्राण
न जाने क्या आ जाता याद?
हेरती है सौरभ की हाट
कहो किस निर्मोही की बाट?
महादेवी वर्मा
Hindi Poems on Environment
धरती माँ कर रही है पुकार
धरती माँ कर रही है पुकार ।
पेङ लगाओ यहाँ भरमार ।।
वर्षा के होयेंगे तब अरमान ।
अन्न पैदा होगा भरमार ।।
खूशहाली आयेगी देश में ।
किसान हल चलायेगा खेत में ।।
वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ ।
हरियाली लाओ देश में ।।
सभी अपने-अपने दिल में सोच लो ।
सभी दस-दस वृक्ष खेत में रोप दो ।।
बारिस होगी फिर तेज ।
मरू प्रदेश का फिर बदलेगा वेश ।।
रेत के धोरे मिट जायेंगे ।
हरियाली राजस्थान मे दिखायेंगे ।।
दुनियां देख करेगी विचार ।
राजस्थान पानी से होगा रिचार्ज ।।
पानी की कमी नही आयेगी ।
धरती माँ फसल खूब सिंचायेगी ।।
खाने को होगा अन्न ।
किसान हो जायेगा धन्य ।।
एक बार फिर कहता है मेरा मन ।
हम सब धरती माँ को पेङ लगाकर करते है टनाटन ।।
“जय धरती माँ”
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Nature Poem In Hindi
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माखनलाल चतुर्वेदी
ये वृक्षों में उगे परिन्दे
माखनलाल चतुर्वेदी
| कुदरत पर कविता |
easy poem on nature in hindi
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माखनलाल चतुर्वेदी