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उधार (Udhaar) - अज्ञेय की हिंदी कविता | Ageya Hindi Poems

उधार (Udhaar)

Ageya Hindi Poems

अज्ञेय की हिंदी कविता

सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी

और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी।

उधार (Udhaar)- अज्ञेय की हिंदी कविता | Ageya Hindi Poems
उधार (Udhaar)- अज्ञेय की हिंदी कविता | Ageya Hindi Poems

मैनें धूप से कहा: मुझे थोड़ी गरमाई दोगी उधार

चिड़िया से कहा: थोड़ी मिठास उधार दोगी?

मैनें घास की पत्ती से पूछा: तनिक हरियाली दोगी—

तिनके की नोक-भर?

शंखपुष्पी से पूछा: उजास दोगी—

किरण की ओक-भर?

मैने हवा से मांगा: थोड़ा खुलापन—बस एक प्रश्वास,

लहर से: एक रोम की सिहरन-भर उल्लास।

मैने आकाश से मांगी

आँख की झपकी-भर असीमता—उधार।


सब से उधार मांगा, सब ने दिया ।

यों मैं जिया और जीता हूँ

क्योंकि यही सब तो है जीवन—

गरमाई, मिठास, हरियाली, उजाला,

गन्धवाही मुक्त खुलापन,

लोच, उल्लास, लहरिल प्रवाह,

और बोध भव्य निर्व्यास निस्सीम का:

ये सब उधार पाये हुए द्रव्य

उधार (Udhaar)- अज्ञेय की हिंदी कविता | Ageya Hindi Poems
उधार (Udhaar)- अज्ञेय की हिंदी कविता | Ageya Hindi Poems

रात के अकेले अन्धकार में

सामने से जागा जिस में

एक अनदेखे अरूप ने पुकार कर

मुझ से पूछा था: "क्यों जी,

तुम्हारे इस जीवन के

इतने विविध अनुभव हैं

इतने तुम धनी हो,

तो मुझे थोड़ा प्यार दोगे—उधार—जिसे मैं

सौ-गुने सूद के साथ लौटाऊँगा—

और वह भी सौ-सौ बार गिन के—

जब-जब मैं आऊँगा?"

मैने कहा: प्यार? उधार?

स्वर अचकचाया था, क्योंकि मेरे

अनुभव से परे था ऐसा व्यवहार ।

उधार - अज्ञेय की हिंदी कविता
उधार (Udhaar)- अज्ञेय की हिंदी कविता | Ageya Hindi Poems

उस अनदेखे अरूप ने कहा: "हाँ,

क्योंकि ये ही सब चीज़ें तो प्यार हैं—

यह अकेलापन, यह अकुलाहट,

यह असमंजस, अचकचाहट,

आर्त अनुभव,

यह खोज, यह द्वैत, यह असहाय

विरह व्यथा,

यह अन्धकार में जाग कर सहसा पहचानना

कि जो मेरा है वही ममेतर है

यह सब तुम्हारे पास है

तो थोड़ा मुझे दे दो—उधार—इस एक बार—

मुझे जो चरम आवश्यकता है।

उस ने यह कहा,

पर रात के घुप अंधेरे में

मैं सहमा हुआ चुप रहा; अभी तक मौन हूँ:

अनदेखे अरूप को

उधार देते मैं डरता हूँ:

क्या जाने

यह याचक कौन है? 

-

अज्ञेय

उधार (Udhaar)- अज्ञेय की हिंदी कविता | Ageya Hindi Poems
अज्ञेय की हिंदी कविता

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अज्ञेय की हिंदी कविता

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