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Hindi Poem On Students - एक कागज़ के टुकड़े के लिए | Harsh Nath Jha

Hindi Poem On Students

एक कागज़ के टुकड़े के लिए

Hindi Poem On Students - एक कागज़ के टुकड़े के लिए

एक कागज़ के टुकड़े के लिए

पूरा बचपन बेकार हो गया

न जाने क्यों पिताजी पर

पढ़ाई का भूत सवार हो गया |


खेलने की उम्र में उन्होंने

कलम हम को पकड़ाई थी

पता नहीं ये ज़िद क्यों

और कहाँ से आई थी |


Hindi Poem On Students - एक कागज़ के टुकड़े के लिए

A B C D अ आ इ ई

सब पर जीत जब पाई थी

एक मेंढक के सामने

समुद्र की परछाईं थी |


सवाल को प्रूव करने में

खेल को हम ने भुला दिया 

‘केमिस्ट्री’ के ‘सल्फ्यूरिक एसिड’ ने

बचपन पूरा जला दिया |


Hindi Poem On Students - एक कागज़ के टुकड़े के लिए

ख़्वाब दिखाए थे सबने हम को

१०वीं, १२वीं, कम्पटीशन, कॉलेज

बस अब तो लाइफ सेट ही है

बात तो इस कम्बख्त पेट की है |


जीतने को इस दुनिया से

ख़ुद से ख़ुद को बेग़ाना किया

जिससे थी नफरत हमें

ख़ुद को उसका दीवाना किया |


Hindi Poem On Students - एक कागज़ के टुकड़े के लिए


ये नहीं, वो नहीं

क्या सही, क्या नहीं ?

अच्छे बुरे के चक्कर में

हम खो गए कहीं |



तलाश है उस मंज़िल की

जिसमें न खुशियों की सौगात है

यहाँ स्थिरता में चंचलता है

यह कैसी कायनात है ?


Hindi Poem On Students - एक कागज़ के टुकड़े के लिए

एक कागज़ के टुकड़े के लिए

पूरा बचपन बेकार हो गया 

न जाने क्यों पिताजी पर

पढ़ाई का भूत सवार हो गया |

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HNJ


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सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||