तुमने मुझसे कहा प्रिय ! Tumne Mujhse Kaha Priya
अश्रु | Love Poems In Hindi
तुमने मुझसे कहा प्रिय !
मुझे पलकों पर बिठा कर रखना
साँसों में तेरे रहूँ मैं
मन में सदा सजा कर रखना |
प्रेम का जो सम्बंध बना है
उसे खुशियों से सजा कर रखना
यदि कभी आये क्रोध मुझ पर
उसे न ख़ुद में छिपा कर रखना |
जब आँखों से बात करो
तब न ग़म को छिपा कर रखना
यदि कभी भी रूठ जाओ मुझ से
तब चित्त को न सता कर रखना |
और मैं तुमसे माँगू क्या ?
मैं तुमको तुमसे मॉंग रही हूँ
मैं ख़ुद को, ख़ुद से मॉंग रही हूँ
बस! स्थान प्रथम तो मॉंग रही हूँ |
आँखें नम हो गईं मेरी
माफ़ी माँग सकता नहीं हूँ
आँखों में जिसे बसा चूका हूँ
उसे हटा सकता नहीं हूँ |
माफ़ करना मुझे प्रिय !
तुम्हे हृदय में बसा सकता नहीं हूँ
जो स्थान दे दिया है गुरु को
वहाँ सजा सकता नहीं हूँ |
माफ़ करना मुझे प्रिय !
पलकों पर बिठा सकता नहीं हूँ
मातृ, पितृ के स्थान पर
आँखों में बसा सकता नहीं हूँ |
आत्मा में तो ईश को
मैं पूर्णतः स्थापित कर चुका हूँ
पर गर्व से किसी और को
प्रथम शोभित कर चुका हूँ |
माफ़ करना मुझे प्रिय !
रक्त समर्पित कर चुका हूँ
अपने देश को, वर्षों पहले
साँसें भी अर्पित कर चुका हूँ |
तुम्हें देने के लिए प्रिय
अब न कुछ मुझमें शेष है
तुम अवश्य मुझे प्रिय हो
पर प्रथम शोभित देश है |
प्रथम स्थान तो दे न सका मैं
पर मैं तुमको पाना चाहता हूँ
साँसों को समर्पित कर चुका हूँ
पर अश्रु-सा आँखों में सजाना चाहता हूँ |
शोक, 'हर्ष' में साथ रहोगी
इसका वचन तो दे सकता हूँ
ख़ुद से पहले, स्थान मैं
तुम्हें तो दे ही सकता हूँ |
अश्रु में मैं बसा चुका हूँ
न समझना मैं मज़बूर हूँ
बस एक प्रश्न का उत्तर दे दो
क्या मैं तुम्हे मंज़ूर हूँ ?
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Harsh Nath Jha