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Jab Purane Khaton Ko - जब पुराने ख़तों को...Love Poems In Hindi | Ishq Hindi Kavita | Harsh Nath Jha

 Love Poems In Hindi | Ishq Hindi Kavita

जब पुराने ख़तों को...

जब पुराने ख़तों को...| Ishq Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha


जब पुराने ख़तों को

खोला था मैंने

कुछ झूठें लब्ज़ों को

तौला था मैंने

उम्मीदों की जब थी

चादर हटाई

एक अरसे बाद, आँखों से

बोला था मैंने |


जब पुराने ख़तों को...| Ishq Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha


रोया नहीं, पर

ख़ुद पर हँसा था

देखा वहाँ

गर्द-ए-वफ़ा जमा था

फिर दिखा मुझे

उस कागज़ पर वादा

जिस कागज़ पर

मुझे सदा गुमाँ था |


जब पुराने ख़तों को...| Ishq Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha


क्यों उन खतों में हैं

डूबने की चाहत ?

मिलती क्यों नहीं

कुछ ज़ख्मों से राहत ?

क्यों फिर खड़ा हूँ

उसी मोड़ पर मैं

जहाँ पर हुआ था

कल ही मैं आहत |


जब पुराने ख़तों को...| Ishq Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha


दिया था दोस्ती

का उसने सहारा

मैं बस जहाँ में

उससे था हारा

माँगी हर माफ़ी

जो उसको न खोऊँ

राह खोकर राही

है होता आवारा |


जब पुराने ख़तों को...| Ishq Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha

उसका भी हक़ था उन खतों पर भी उतना मैंने उसको दिल से चाहा था जितना मुझे देख ख़ुदा भी तब रोया होगा पूछ लो उसी से मैं रोया था कितना |


जब पुराने ख़तों को...| Ishq Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha


क्यों उन खतों की

स्याही फिर फैली ?

क्यों उन्हें किताबों में

मैं हर बार छिपाऊँ ?

क्यों न उनको मैं

जला फिर से पाया  ?

क्यों उन्हें ख़ुद को

मैं हर रोज़ दिखाऊँ ?


जब पुराने ख़तों को...| Ishq Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha


तब तरस गईं थीं

आँखें मेरी

पर पहली चिट्ठी तेरी

आयी नहीं

'खैरियत है सब'

बस ये पूछ लेते

बस तेरी ये बात

मुझे भायी नहीं

बस तेरी ये बात

मुझे भायी नहीं |

-

हर्ष नाथ झा


जब पुराने ख़तों को...| Ishq Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha

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Ishq Urdu Shayari 

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वफ़ा - हर्ष नाथ झा - Love Poems In Hindi

चोट देते हो

कहते हो माफ़ करिये

हमको न ऐसे 

यूँ याद करिये

अहल-ए-वफ़ा की

तो कीमत बहुत है

ख़ुदा से न मेरी

फ़रियाद करिये


है आँखों में पानी

यह दर्द-ए-वफ़ा है

ये ग़म की हँसी है

या दिल कुछ ख़फ़ा है

जिसको था चाहा

था माँगा ख़ुदा से

मोहब्बत मेरी

हाँ! बेवफ़ा है ।


वफ़ा - हर्ष नाथ झा - Love Poems In Hindi

पुराने खतों को

संभाले रखा है

लम्हों को दिल से

लगाए रखा है

तेरे इश्क़ पर

मुझे इतना यकीन था

उन झूठे वादों

को सजाए रखा है ।


सिमटते-सिमटते

बिखर गए हम

छिपाते-छिपाते

बिछड़ गए हम

हम ने तो हर पल

था जोड़ा ये रिश्ता

ये वक़्त क्या बीता

गुज़र गए हम


वफ़ा - हर्ष नाथ झा - Love Poems In Hindi


इस ग़म-ए-वफ़ा में

हम फिर क्यों रोएँ ?

तेरी यादों में

हर दिन क्यों सोएँ ?

तुमसे तो हम ने

बस दिल था लगाया

अब रुकते न आँसू

कैसे न रोएँ ?

 

अंजाम-ए-वफ़ा का

है दर्द मुझको

इश्क़ है ये कैसा ?

गुनहगार तुम हो

क्यों झूठे आँसू ?

है क्यों झूठी सिसकी ?

इस बहते झोंके में

अब तुम ही गुम हो।


वफ़ा - हर्ष नाथ झा - Love Poems In Hindi


जब मिले मुझ-सा

वफ़ादार कोई

हो इश्क़ फिर से

मिले प्यार कोई

आँखों पे अब कोई

फिर से फ़िदा हो

करे फिर से तुझसे

इज़हार कोई ।


यादों में ग़म का

ना आँसू बहाना

नए इश्क़ को, हाँ !

फिर से सजाना

अगर अब तू रूठा

तब हम ना होंगे

आ जाए क़यामत

बस तुम न आना |

-

हर्ष नाथ झा


वफ़ा - हर्ष नाथ झा - Love Poems In Hindi


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