अक्सर कवि प्रेम को फूलों, तारों या सागर की गहराइयों से तौलते हैं। लेकिन आधुनिक काव्य शैली में प्रेम की परिभाषा बदल रही है। क्या कभी आपने सोचा है कि प्रेम हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) की तरह भी हो सकता है?
आज साहित्यशाला Hindi Literature पर हम प्रस्तुत कर रहे हैं एक अद्वितीय रचना—"Sanyuktakshar Poem by Harsh Nath Jha"। यह कविता व्याकरण रूपक कविता (Grammar Metaphor Poetry) का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर कर देती है।
संयुक्ताक्षर क्या है? (Understanding the Metaphor)
कविता में डूबने से पहले, यह समझना आवश्यक है कि संयुक्ताक्षर (Conjunct Consonant) का अर्थ क्या है। हिंदी व्याकरण में, जब दो व्यंजन (Consonants) आपस में जुड़ते हैं और उनमें से एक स्वर-रहित होता है, तो वे मिलकर एक 'संयुक्ताक्षर' बनाते हैं (जैसे: प्रेम, क्षमा, ज्ञान)।
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| प्रेम की गहनता का प्रतीक: यह अमूर्त चित्र कविता में वर्णित प्रेम की जटिल और गहरी भावनाओं को दर्शाता है। |
कवि ने इसी तकनीकी परिभाषा को भावना में बदल दिया है—जहाँ दो प्रेमी मिलकर एक नया अस्तित्व बनाते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप हिंदी व्याकरण कोश देख सकते हैं।
Sanyuktakshar Poem by Harsh Nath Jha
"यदि मैं अपना प्रेम समाऊं
लिपि की सीमाओं में
यदि मैं सारे क्षोभ समाऊं
गीतों में, पीड़ाओं में
इस जटिल प्रेम की शब्दावली में
हृदय ऊसर और निरक्षर है
यदि एक शब्द में प्रेम समाऊं
प्रेम - संयुक्ताक्षर है।"
नव स्वर एवं अक्षय व्यंजन
नूतन छवि, श्रृंगार -
शब्दावली भी विस्तृत कर दे
ऐसा मेरा प्यार
न समझ सका मैं जीवन सारा
न समझें रीत-विधान
मैं बस समझा हूँ हिंदी में -
संधि और समाधान।
ये अश्रु मेरे तुम्हें समर्पित
यही संधि में विच्छेद हुआ
यदि नियति के उस खंडकाव्य में
अनजाना-सा, भेद हुआ
पर वचन है मेरा - हर विपदा में
सहभागी तेरा यार रहेगा
तेरे माथे पर बिंदी-सम
मेरा अश्रु - अनुस्वार रहेगा।
— हर्ष 'नाथ' झा
"तेरे माथे पर बिंदी-सम, मेरा अश्रु - अनुस्वार रहेगा।"
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कविता का भावार्थ (Poetic Analysis)
यह कविता विश्लेषण हमें बताता है कि प्रेम केवल भावनाओं का खेल नहीं, बल्कि एक 'संधि' है। कवि स्वीकार करते हैं कि उनका हृदय 'निरक्षर' (अनपढ़) हो सकता है, लेकिन प्रेम की 'जटिल शब्दावली' में वह पारंगत है।
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| कविता का व्याकरणिक आधार: हिंदी व्याकरण में 'संयुक्ताक्षर' की परिभाषा और उदाहरण, जिसे कवि ने प्रेम के अटूट बंधन का रूपक बनाया |
यदि आप प्रेम की गहराई को और समझना चाहते हैं, तो हमारी Best Hindi Poetry Collection जरूर पढ़ें।
प्रेम और व्याकरण – रूपक विश्लेषण
- संधि और समाधान: जिस प्रकार दो शब्दों के मेल से 'संधि' होती है और विकार उत्पन्न होता है, उसी प्रकार रिश्तों में भी बदलाव आते हैं। कवि मानते हैं कि जीवन के 'रीत-विधान' (नियम) कठिन हैं, पर प्रेम ही उनका एकमात्र 'समाधान' है।
- अनुस्वार (The Bindu): अंतिम पंक्तियों में कवि ने 'बिंदी' की तुलना 'अनुस्वार' से की है। अनुस्वार शब्द के ऊपर बैठकर उसे पूर्णता देता है, ठीक वैसे ही जैसे प्रेमी का साथ प्रेमिका के जीवन को पूर्ण करता है।
ऐसे ही और भावपूर्ण कविताओं के लिए पढ़ें: Tumne Mujhse Kaha - Love Poems.
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Harsh Nath Jha द्वारा "संयुक्ताक्षर" का पाठ सुनें:
FAQ – संयुक्ताक्षर कविता से जुड़े प्रश्न
Q1. संयुक्ताक्षर का साहित्य में क्या महत्व है?
संयुक्ताक्षर दो वर्णों का मेल है। साहित्य में यह एकता और अटूट बंधन का प्रतीक है।
Q2. हर्ष नाथ झा कौन हैं?
हर्ष नाथ झा एक भौतिकी छात्र और साहित्यशाला के संपादक हैं, जो अपनी Harsh Nath Jha Poems के माध्यम से आधुनिक हिंदी साहित्य को नया रूप दे रहे हैं।
Q3. इस कविता में 'अनुस्वार' का क्या अर्थ है?
यहाँ अनुस्वार (बिंदी) प्रेमी के उन आंसुओं का प्रतीक है जो रक्षा कवच की तरह प्रेमिका के साथ रहते हैं।
लेखक के बारे में (About the Poet)
हर्ष नाथ झा मोतीलाल नेहरू कॉलेज में भौतिकी के छात्र हैं और साहित्यशाला के मुख्य संपादक हैं। उनकी रचनाओं में विज्ञान और कला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
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