सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

New !!

Farz Karo Hum Ahl-e-Wafa Hon - फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों | Ibn-E-Insha Poems

Farz Karo Hum Ahl-e-Wafa Hon - फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों | Ibn-E-Insha Poems

Farz Karo Hum Ahl-e-Wafa Hon - फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों

इब्न-ए-इंशा - Ibn-E-Insha Poems

फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों, फ़र्ज़ करो दीवाने हों

फ़र्ज़ करो ये दोनों बातें झूटी हों अफ़्साने हों

फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों, फ़र्ज़ करो दीवाने हों

फ़र्ज़ करो ये जी की बिपता जी से जोड़ सुनाई हो

फ़र्ज़ करो अभी और हो इतनी आधी हम ने छुपाई हो


फ़र्ज़ करो तुम्हें ख़ुश करने के ढूँढे हम ने बहाने हों

फ़र्ज़ करो ये नैन तुम्हारे सच-मुच के मय-ख़ाने हों


फ़र्ज़ करो ये रोग हो झूटा झूटी पीत हमारी हो

फ़र्ज़ करो इस पीत के रोग में साँस भी हम पर भारी हो


फ़र्ज़ करो ये जोग बजोग का हम ने ढोंग रचाया हो

फ़र्ज़ करो बस यही हक़ीक़त बाक़ी सब कुछ माया हो


देख मिरी जाँ कह गए बाहू कौन दिलों की जाने 'हू'

बस्ती बस्ती सहरा सहरा लाखों करें दिवाने 'हू'


जोगी भी जो नगर नगर में मारे मारे फिरते हैं

कासा लिए भबूत रमाए सब के द्वारे फिरते हैं


शाइ'र भी जो मीठी बानी बोल के मन को हरते हैं

बंजारे जो ऊँचे दामों जी के सौदे करते हैं

शाइ'र भी जो मीठी बानी बोल के मन को हरते हैं

इन में सच्चे मोती भी हैं, इन में कंकर पत्थर भी

इन में उथले पानी भी हैं, इन में गहरे सागर भी


गोरी देख के आगे बढ़ना सब का झूटा सच्चा 'हू'

डूबने वाली डूब गई वो घड़ा था जिस का कच्चा 'हू'

-

इब्न--इंशा | Ibn-Insha

Farz Karo Hum Ahl-e-Wafa Hon - फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों | इब्न-ए-इंशा

Farz Karo Hum Ahl-e-Wafa Hon English Translation:

Suppose we are people of loyalty, suppose we are mad in love,

Suppose both these things are lies, just made-up stories.


Suppose this sorrow of the heart was told as if tied to the soul,

Suppose there's still more to say, and we've hidden half of it.


Suppose we looked for excuses just to make you happy,

Suppose your eyes are truly like taverns of wine.


Suppose this ailment is false, suppose our love is fake,

Suppose in this love's affliction, even breathing feels heavy.


Suppose this drama of union and separation was something we staged,

Suppose this alone is the truth, and everything else is illusion.


Look, my beloved, Bāhū once said—who can truly know hearts?

From village to village, from desert to desert, thousands cry out "Hu."


Even the mystics who roam from city to city,

With begging bowls and ashes smeared, go door to door.


Even the poets who speak sweet words and steal hearts,

The traders who sell souls for high prices.


Among them are true pearls, among them stones and pebbles too,

Among them are shallow waters, and among them deep oceans.


Seeing the fair one, everyone moves ahead—who's truly false, who's true

Farz Karo Hum Ahl-e-Wafa Hon - फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों | इब्न-ए-इंशा

Farz Karo Hum Ahl-e-Wafa Hon Hinglish Translation:

Farz karo hum ahl-e-wafa hon, farz karo deewane hon,

Farz karo yeh dono baatein jhoothi hon, afsaane hon.


Farz karo yeh jee ki bipta jee se jod sunayi ho,

Farz karo abhi aur ho, itni aadhi humne chhupayi ho.


Farz karo tumhein khush karne ke dhoonde humne bahaane hon,

Farz karo yeh nain tumhaare sach-much ke maykhaane hon.


Farz karo yeh rog ho jhootha, jhoothi preet humaari ho,

Farz karo is preet ke rog mein saans bhi hum par bhaari ho.


Farz karo yeh jog-bajog ka humne dhoong rachaya ho,

Farz karo bas yahi haqeeqat, baaki sab kuchh maaya ho.


Dekh meri jaan keh gaye Baahu—kaun dilon ki jaane “Hu”?

Basti basti, sehra sehra, laakhon karein deewane “Hu”.


Jogi bhi jo nagar nagar mein maare-maare firte hain,

Kaasa liye, bhoot ramaaye, sab ke dwaare firte hain.

Farz karo hum ahl-e-wafa hon, farz karo deewane hon,  Farz karo yeh dono baatein jhoothi hon, afsaane hon.

Shaayar bhi jo meethi baani bol ke man ko harte hain,

Banjaare jo oonche daamon jee ke saude karte hain.


Inmein sacche moti bhi hain, inmein kankar patthar bhi,

Inmein uthle paani bhi hain, inmein gehre saagar bhi.


Gori dekh ke aage badhna—sab ka jhootha saccha “Hu”,

Doobne waali doob gayi, woh ghada tha jiska kaccha “Hu”.

Farz Karo Hum Ahl-e-Wafa Hon - फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों

इब्न-ए-इंशा - Ibn-E-Insha Poems


Famous Poems

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||