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काफ़िर हूँ सर-फिरा हूँ मुझे मार दीजिए - Kafir Hun Sar-Phira Hun Mujhe Mar Dijiye

पुरानी लखनऊ के उन गलियों में - Purani Lucknow Ke Unn Galiyon Mein | Harsh Nath Jha

पुरानी लखनऊ के उन गलियों में - Purani Lucknow Ke Unn Galiyon Mein | Harsh Nath Jha


पुरानी लखनऊ के उन गलियों में

मुझे दुकानें बेशुमार दिखे 

पहनावा, खाना, फैशन, मज़हब,

मुझे खानदानी व्यापार दिखे। 

पुरानी लखनऊ के उन गलियों में - Purani Lucknow Ke Unn Galiyon Mein | Harsh Nath Jha

उन पतली पगडंडियों पे चलकर,

पुराने आशिक़ हज़ार दिखे

टुंडे-कबाबी, पान-गिलौरी

मुझे खानदानी व्यापार दिखे। 


गुलाबी शामें, कुल्हड़ की चाय

दुकानों पे हलचल, बहार दिखा

दिखा लहज़ा, दिखी तहज़ीब

मुझे खानदानी व्यापार दिखा। 

पुरानी लखनऊ के उन गलियों में - Purani Lucknow Ke Unn Galiyon Mein | Harsh Nath Jha

पैसे की गमक, औ' दशकों की मेहनत

वफादारी का कारोबार दिखा 

पुरानी लखनऊ की उस शाम में

मुझे खानदानी व्यापार दिखे।

 

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हर्ष नाथ झा


Mujh Pe Hain Senkron Ilzaam | मुझ पे हैं सैकड़ों इल्ज़ाम

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों

Pingre Ki Chidiya Thi - पिंजरे की चिड़िया थी...



Famous Poems

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

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