सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

New !!

रश्मिरथी सर्ग 1 (Rashmirathi Sarg 1): सम्पूर्ण कविता, सारांश और भावार्थ | दिनकर की कालजयी रचना

पिंजरे की चिड़िया थी - रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता | Pingre Ki Chidiya Thi - Rabindranath Tagore Hindi Poem

Pingre Ki Chidiya Thi - पिंजरे की चिड़िया थी...

रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता

 रबिन्द्रनाथ टैगोर हिंदी कवितायेँ

Rabindranath Tagore Hindi Poems

Hindi Poems By Rabindranath Tagore 


पिंजरे की चिड़िया थी सोने के पिंजरे में

वन कि चिड़िया थी वन में

एक दिन हुआ दोनों का सामना

क्या था विधाता के मन में


पिंजरे की चिड़िया थी - रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता

वन की चिड़िया कहे सुन पिंजरे की चिड़िया रे

वन में उड़ें दोनों मिलकर

पिंजरे की चिड़िया कहे वन की चिड़िया रे

पिंजरे में रहना बड़ा सुखकर


वन की चिड़िया कहे ना…

मैं पिंजरे में क़ैद रहूँ क्योंकर

पिंजरे की चिड़िया कहे हाय

निकलूँ मैं कैसे पिंजरा तोड़कर

पिंजरे की चिड़िया थी - रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता

वन की चिड़िया गाए पिंजरे के बाहर बैठे

वन के मनोहर गीत

पिंजरे की चिड़िया गाए रटाए हुए जितने

दोहा और कविता के रीत


वन की चिड़िया कहे पिंजरे की चिड़िया से

गाओ तुम भी वनगीत

पिंजरे की चिड़िया कहे सुन वन की चिड़िया रे

कुछ दोहे तुम भी लो सीख

पिंजरे की चिड़िया थी - रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता

वन की चिड़िया कहे ना ….

तेरे सिखाए गीत मैं ना गाऊँ

पिंजरे की चिड़िया कहे हाय!

मैं कैसे वन-गीत गाऊँ


वन की चिड़िया कहे नभ का रंग है नीला

उड़ने में कहीं नहीं है बाधा

पिंजरे की चिड़िया कहे पिंजरा है सुरक्षित

रहना है सुखकर ज़्यादा

पिंजरे की चिड़िया थी - रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता

वन की चिड़िया कहे अपने को खोल दो

बादल के बीच, फिर देखो

पिंजरे की चिड़िया कहे अपने को बाँधकर

कोने में बैठो, फिर देखो

-

रबिन्द्रनाथ टैगोर

रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता  रबिन्द्रनाथ टैगोर हिंदी कवितायेँ Rabindranath Tagore Hindi Poems Hindi Poems By Rabindranath Tagore


कविता का सारांश:

इस कविता में दो चिड़ियों के माध्यम से आज़ादी और बंधन का सशक्त रूपक दिया गया है —


पिंजरे की चिड़िया (जो एक सोने के पिंजरे में बंद है, यानी आरामदायक कैद में है),


और वन की चिड़िया (जो आज़ाद है, खुले आकाश के नीचे उड़ती है)।


दोनों का सामना होता है, दोनों अपनी-अपनी दुनिया की व्यथा और दृष्टिकोण साझा करती हैं।


रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता

 रबिन्द्रनाथ टैगोर हिंदी कवितायेँ

Rabindranath Tagore Hindi Poems

Hindi Poems By Rabindranath Tagore


 रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता

 रबिन्द्रनाथ टैगोर हिंदी कवितायेँ

Rabindranath Tagore Hindi Poems

Hindi Poems By Rabindranath Tagore 

पिंजरे की चिड़िया थी गहरे अर्थ और व्याख्या:

1. पिंजरे की चिड़िया का बंधन और भेदभाव:
पिंजरे की चिड़िया सोने के पिंजरे में बंद है।

भले ही पिंजरा सुनहरा हो, यह कैद और बंदिश का प्रतीक है।

चिड़िया आराम, सुरक्षा, और सुरक्षा की तलाश में पिंजरे को पसंद करती है लेकिन यह उसके लिए आज़ादी की कमी है।

वह पिंजरे के बाहर की आज़ादी और खुलापन समझ नहीं पाती, क्योंकि उसका अनुभव सीमित और नियंत्रित है।

2. वन की चिड़िया की आज़ादी और स्वतंत्रता की अनुभूति:
वन की चिड़िया खुले आकाश के नीचे उड़ती है, वह खुलेपन, स्वतंत्रता, और अनिश्चितताओं को स्वीकार करती है।

वह कहती है कि उड़ान में कोई बाधा नहीं, उसके लिए आकाश ही सीमा है।

वह पिंजरे की चिड़िया को मुक्त होकर जीने का आग्रह करती है।

3. दोनों के विचारों का टकराव:
वन की चिड़िया पिंजरे की चिड़िया को अपने गीत सिखाने को कहती है — मुक्त और खुलेपन के गीत।

पिंजरे की चिड़िया कहती है कि वह वह गीत नहीं गा सकती, क्योंकि उसकी दुनिया अलग है।

यह जीवन के दो दृष्टिकोणों को दर्शाता है — एक जहां सुरक्षा और स्थिरता महत्वपूर्ण है, और दूसरा जहां जोखिम लेकर स्वतंत्रता को तरजीह दी जाती है।

4. जीवन दर्शन और मनोवैज्ञानिक व्याख्या:
पिंजरे की चिड़िया जीवन में उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो सुरक्षा, स्थिरता और आराम पसंद करते हैं, भले ही वे सीमित हों।

वन की चिड़िया उन लोगों का प्रतीक है जो जोखिम उठाने को तैयार हैं, खुले आसमान को अपनाते हैं और स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध हैं।

कविता जीवन के इन दो पहलुओं को सहजता से समझाती है — "सुनहरे पिंजरे" में कैद रहना आरामदायक हो सकता है, पर वह पूर्ण आज़ादी नहीं है।

5. रबिन्द्रनाथ टैगोर का संदेश:
जीवन में चुनौतियों और संघर्षों से डरना नहीं चाहिए।

सुरक्षा और आराम के लालच में स्वतंत्रता का त्याग करना सही नहीं।

हमें अपने पिंजरे तोड़ने, खुला आसमान अपनाने और असली आज़ादी पाने का प्रयास करना चाहिए।

कविता यह भी दिखाती है कि हर किसी का नजरिया अलग होता है; किसी के लिए पिंजरा सुरक्षा है तो किसी के लिए कैद।

कविता की भाषा और शैली:

सरल और प्रवाहमय हिंदी में रचित, जो बच्चों से लेकर वयस्कों तक के लिए समझने योग्य है।

दो चिड़ियों की बातचीत के रूप में प्रस्तुत, जिससे जीवन की दो भिन्न-भिन्न अवस्थाओं को जीवंत रूप मिलता है।

प्रतीकात्मकता का प्रयोग टैगोर की रचनाओं में बहुत प्रभावशाली ढंग से हुआ है, और यह कविता इसका एक सुंदर उदाहरण है।

निष्कर्ष:
पिंजरे की चिड़िया थी” कविता हमें जीवन के दो पहलुओं— सुरक्षा और आज़ादी—के बीच के संघर्ष को समझाती है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपनी सुरक्षा के लिए अपनी आज़ादी खो देते हैं? या हम चुनौतियों को स्वीकार करके खुली उड़ान भरना पसंद करते हैं? टैगोर की यह कविता इस प्रश्न का मार्मिक और सुंदर जवाब देती है।

 रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता

 रबिन्द्रनाथ टैगोर हिंदी कवितायेँ

Rabin

Famous Poems

Charkha Lyrics in English: Original, Hinglish, Hindi & Meaning Explained

Charkha Lyrics in English: Original, Hinglish, Hindi & Meaning Explained Discover the Soulful Charkha Lyrics in English If you've been searching for Charkha lyrics in English that capture the depth of Punjabi folk emotion, look no further. In this blog, we take you on a journey through the original lyrics, their Hinglish transliteration, Hindi translation, and poetic English translation. We also dive into the symbolism and meaning behind this heart-touching song. Whether you're a lover of Punjabi folk, a poetry enthusiast, or simply curious about the emotions behind the spinning wheel, this complete guide to the "Charkha" song will deepen your understanding. Original Punjabi Lyrics of Charkha Ve mahiya tere vekhan nu, Chuk charkha gali de vich panwa, Ve loka paane main kat di, Tang teriya yaad de panwa. Charkhe di oo kar de ole, Yaad teri da tumba bole. Ve nimma nimma geet ched ke, Tang kath di hullare panwa. Vasan ni de rahe saure peke, Mainu tere pain pulekhe. ...

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...

सादगी तो हमारी ज़रा देखिए | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics (Nusrat Fateh Ali Khan)

सादगी तो हमारी ज़रा देखिए | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics (Nusrat Fateh Ali Khan)   यहाँ Saadgi To Hamari Zara Dekhiye (सादगी तो हमारी जरा देखिये) के पूरे लिरिक्स दिए गए हैं। यह उस्ताद नुसरत फतह अली खान साहब द्वारा अमर की गई एक कालजयी क़व्वाली है। यह ग़ज़ल अपने गहरे, दिल को छू लेने वाले अर्थ और प्यार की सादगी भरी अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती है। कई प्रशंसक इस क़व्वाली को इसकी प्रसिद्ध पंक्तियों से भी खोजते हैं। इस पोस्ट में "लोग डरते हैं कातिल की परछाई से" और "अपना अंजाम सब हमको मालूम था" जैसी मशहूर पंक्तियों के पूरे और सही बोल शामिल हैं। सादगी तो हमारी के संपूर्ण लिरिक्स नीचे हिंदी और रोमन अंग्रेजी में पढ़ें। सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस...

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...
Follow my blog with Bloglovin