हम वो हठी अभिमानी है
भारत पर देशभक्ति हिंदी कविता
Hindi Poems On India
पूरे विश्व को कर्म सिखाया,
हम वो कर्मठ ग्यानी है |
गोवर्धन उठाया था ऊँगली पर,
हम वो हठी अभिमानी है ||
वक्ष-फाड़कर धर्म निभाया,
हम वो कारण महादानी है |
झूले थे जो फांसी पर,
हम वो हठी अभिमानी है ||
ज्ञान-विज्ञानं को जनम दिया,
गिनती हमने दिखाई थी |
विश्व को तारों की भाषा,
हमने ही सिखाई थी ||
सुश्रुत के आशीष को,
हमने सर्जरी का नाम दिया |
२० सहस्त्राब्दी पहले ही,
शल्यचिकित्सा का वरदान दिया ||
हम वो कारण महादानी है |
झूले थे जो फांसी पर,
हम वो हठी अभिमानी है ||
ज्ञान-विज्ञानं को जनम दिया,
गिनती हमने दिखाई थी |
विश्व को तारों की भाषा,
हमने ही सिखाई थी ||
सुश्रुत के आशीष को,
हमने सर्जरी का नाम दिया |
२० सहस्त्राब्दी पहले ही,
शल्यचिकित्सा का वरदान दिया ||
आर्यभट्ट के क्या बस,
० का था निर्माण किया ?
कॉपरनिकस से पहले ही,
सूर्य का सिद्धांत दिया ||
माप बताया था परिधि का,
बताया काल जो गुप्त था |
बोधायन ने जो बोध कराया,
वो पाइथागोरस का सूक्त था ||
भास्कराचार्य था वो जिसने,
गुरुत्वाकर्षण बताया था |
NEWTON से ८०० वर्ष पूर्व,
ग्रहण का प्रमाण दिखाया था ||
जिसने परमाणु की खोज की,
वो महर्षि कणाद बड़े ज्ञानी थे |
NEWTON को गति सिखाई थे,
वे हठी अभिमानी थे ||
और बताऊँ और सुनाऊँ,
भारत की अमर कहानी को |
ज्ञान-विज्ञान के जनकों को,
उन हठी अभिमानी हो ||
पहला नोबेल लाया था जो,
वो रमन हिन्दुस्तानी था |
परमाणु ऊर्जा को ऊर्जा देनेवाला,
बोस हठी अभिमानी था ||
बसु और विश्वेश्वर्या थे,
थे रामानुजन साराभाई |
भास्कराचार्य और ब्रह्मगुप्त थे,
थे विज्ञान की परछाई ||
हम बाण भेदकर धरती से,
धारा निकाला करते है |
अपने स्वाभिमान के लिए,
अग्नि को गले लगाया करते है ||
फेककर पत्थर पानी में,
हम तैराया करते हैं |
देश की रक्षा के लिए,
काल तक को झुकाया करते है ||
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