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Auratein - औरतें By रमाशंकर यादव विद्रोही | Women Empowerment Poems

Yah Parampara Ka Prabhav Hai - यह परम्परा का प्रवाह है | अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी कविता

|| यह परम्परा का प्रवाह है - Yah Parampara Ka Prabhav Hai ||

कोटि चरण बढ़ रहे ध्येय की ओर निरन्तर

यह परम्परा का प्रवाह है, कभी न खण्डित होगा।
पुत्रों के बल पर ही मां का मस्तक मण्डित होगा।

Yah Parampara Ka Prabhav Hai - यह परम्परा का प्रवाह है | अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी कविता

वह कपूत है जिसके रहते मां की दीन दशा हो।
शत भाई का घर उजाड़ता जिसका महल बसा हो।

 

घर का दीपक व्यर्थ, मातृ-मंदिर में जब अंधियारा।
कैसा हास-विलास कि जब तक बना हुआ बंटवारा?

 

किस बेटे ने मां के टुकड़े करके दीप जलाए?
किसने भाई की समाधि पर ऊंचे महल बनाए?

 || Atal Bihari Vajpayee Hindi Poem ||

|| Deshbhakti Hindi Poems By Atal Ji ||

यह परम्परा का प्रवाह है | अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी कविता

चिता भस्म पर किसने सुख के स्वर्णिम साज सजाये,
किसने लाखों के विनाश पर जय के वाद्य बजाये |

किस कपूत ने पूत पंचनद को कर डाला लाल,
किसके पापों का प्रतिफल है भोग रहा बंगाल ||


किसने आग लगाकर अपने घर में किया उजाला,
किसने निज का सुख खरीद माँ का विक्रय कर डाला |
शस्य श्यामला स्वर्णभूमि क्यों हुई आज कंगाल,
किसके कारण देवभूमि में आज अभाव अकाल ||


जगजननी ने भीख मांगने का दुर्दिन क्यों देखा,
पुत्रों के पापों का फल है, यह न नियति का लेखा |
सूर्य घिर गया अंधकार में ठोकर खाकर,
भीख मांगता है कुबेर झोली फैलाकर ||


कण-कण को मोहताज कर्ण का देश हो गया,
माँ का आँचल द्रुपद सुता का केश हो गया |
जब तक अधरों में न भीम की शोणित प्यास जागेगी,
तब तक उर से अपमानों की ज्वाला नहीं बुझेगी ||


|| Patriotic Poems In Hindi ||

|| अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी कविता ||

यह परम्परा का प्रवाह है | अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी कविता

सबल भुजाओं में रक्षित है नौका की पतवार।
चीर चलें सागर की छाती, पार करें मंझधार।


…ज्ञान-केतु लेकर निकला है विजयी शंकर।
अब न चलेगा ढोंग, दम्भ, मिथ्या आडम्बर।


अब न चलेगा राष्ट्र प्रेम का गर्हित सौदा।
यह अभिनव चाणक्य न फलने देगा विष का पौधा।
 

तन की शक्ति, हृदय की श्रद्धा, आत्म-तेज की धारा।
आज जगेगा जग-जननी का सोया भाग्य सितारा।


कोटि पुष्प चढ़ रहे देव के शुभ चरणों पर।
कोटि चरण बढ़ रहे ध्येय की ओर निरन्तर।

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अटल बिहारी वाजपेयी

Famous Poems

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

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सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

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Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...