भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है - Bharat Zameen Ka Tukda Nhi, Jeeta Jaagta Rashtriyapurush Hai
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है
Bharat Zameen Ka Tukda Nhi, Jeeta Jaagt Rashtriyapurush Hai
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है,
पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।
कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है।
यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है,
यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है।
इसका कंकर-कंकर शंकर है,
इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है।
हम जियेंगे तो इसके लिये
मरेंगे तो इसके लिये।
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