Ansuni Karke Teri Baat - अनसुनी करके तेरी बात | रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता - Rabindranath Tagore Poems
अनसुनी करके तेरी बात
रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता
रबिन्द्रनाथ टैगोर हिंदी कवितायेँ
Rabindranath Tagore Hindi Poems
Hindi Poems By Rabindranath Tagore
अनसुनी करके तेरी बात
न दे जो कोई तेरा साथ
तो तुही कसकर अपनी कमर
अकेला बढ़ चल आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे ।
देखकर तुझे मिलन की बेर
सभी जो लें अपने मुख फेर
न दो बातें भी कोई क रे
सभय हो तेरे आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे ।
तो अकेला ही तू जी खोल
सुरीले मन मुरली के बोल
अकेला गा, अकेला सुन ।
अरे ओ पथिक अभागे रे
अकेला ही चल आगे रे ।
जायँ जो तुझे अकेला छोड़
न देखें मुड़कर तेरी ओर
बोझ ले अपना जब बढ़ चले
गहन पथ में तू आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे ।
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रबिन्द्रनाथ टैगोर