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वे खुद त्रेता के राम है - Hindi Poem On Shri Krishna | Mahabharata Poems

 वे खुद त्रेता के राम है

Hindi Poem On Shri Krishna

वे खुद त्रेता के राम हैं 

वे द्वापर के घनश्याम हैं।

कुर्म मत्स्य का रुप धरा,

वे ही बली बलराम हैं।

वे खुद त्रेता के राम है - Hindi Poem On Shri Krishna

नाग कालिया पर नृत्य किया,

वे गोकुल के ग्वाले हैं।

हर एक दुष्ट के प्राण हरे,

वे परशुराम मतवाले हैं।।

 

केशव ने तो बाल्य काल में,

दृश्य ऐसा दिखलाया था ।

पूतना और कई असुरों को,

निःशस्त्र धूल चटाया था ।।

 

कालियाकालिया

प्रेम पुण्य के साथ ही,

स्वाभिमान का ज्ञान दिया।

सत्य की अजेयता का,

उन्होंने प्रमाण दिया।

 

स्त्रियों के प्रतिशोध के लिए,

पूरा कुरुवंश जलाया गया ।

छाती चीर के उन दुष्टो को,

चिर-निद्रा में लाया गया।

कालिया

अपनी शक्ति से ईश्वर ने,

शिशु पाल को मार दिया।

धर्म के खातिर सिंह रुप में,

हिरण्य कश्यप फाड़ दिया ।।

 

कंस रावण कितने आए,

गिरधर ने उनका संघार किया।

गीता का बोध करा,

उन्होंने जीवन का सार दिया ।।

 

वे ही है कर्ता-कर्म-क्रिया,

वे ही इंद्र सुरेश है।

सुग्रीव कर्ण के जनक वे,

वे ही स्वयं दिनेश हैं।।

 

वे खुद त्रेता के राम है - Hindi Poem On Shri Krishna

लंका को जलाने वाले,

वे हनुमान की मशाल है।

जिसके चरणों को चूमती है मृत्यु,

वे ही प्रचंड भद्र-काल है।।

 

कल्कि का वो रुप धरकर,

कलियुग में अवश्य आएँगे |

हर एक पापी और भक्षक को

वे फिर मार गिराएंगे।

 

वे खुद त्रेता के राम है - Hindi Poem On Shri Krishna

तम से बुझे ज्ञान के दीप को,

फिर से कृष्ण जलाएंगे।

सतयुग का आरम्भ करने,

वे अवश्य ही आएंगे।


 वे खुद त्रेता के राम है

Hindi Poem On Shri Krishna


Krishna Poems In Hindi

They themselves are Rama of Treta,
They are Ghanshyam of Dwapar.
Taking the form of Kurma and Matsya,
They are the mighty Balarama.

They themselves are Rama of Treta.

They danced upon the serpent Kaliya,
They are the cowherd of Gokul.
They took the lives of every wicked one,
They are the furious Parashurama.

In childhood, Keshava showed such sights,
He defeated Putana and many demons unarmed.

With love and virtue,
He also gave the wisdom of self-respect.
He proved the invincibility of truth,
By presenting a divine testimony.

For the revenge of women,
The entire Kuru dynasty was burned.
Tearing open the chests of those wicked ones,
He put them into eternal sleep.

Krishna Poems In Hindi

With His divine power,
He slew Shishupala.
For the sake of Dharma,
He tore apart Hiranyakashipu in a lion’s form.

Many like Kansa and Ravana came,
But Giridhar annihilated them all.
He imparted the wisdom of the Gita,
Giving the essence of life.

He alone is the Doer, Deed, and Action,
He is also the king of the gods, Indra.
He is the creator of Sugriva and Karna,
He himself is the radiant Sun.

They themselves are Rama of Treta.

He who set Lanka ablaze,
He is the torch of Hanuman.
At whose feet even death bows,
He is the fierce and benevolent time itself.

Taking the form of Kalki,
He shall surely come in Kaliyuga.
Every sinner and oppressor,
He will once again destroy.

They themselves are Rama of Treta.

The lamps of knowledge extinguished by darkness,
Krishna will rekindle once more.
To begin the age of truth,
He shall certainly return.

Krishna Poems In Hindi





**Inspired from kavi amit sharma's mahabharata poem**

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