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'प्रकृति, क्या तुम क्रूर हो जाओगी?' - हर्ष वर्धन सिंह का अपनी धरती से संवाद | Prakriti, Kya Tum Kroor Ho Jaogi - Harsh Vardhan Singh

धीर, वीर, गंभीर कर्ण था Mahabharata Kavita | Dheer, Veer, Gambheer Karna Tha | Abhay Nirbheek

धीर, वीर, गंभीर कर्ण था MAHABHARATA KAVITA 

धीर, वीर, गंभीर कर्ण था Mahabharata Kavita | Dheer, Veer, Gambheer Karna Tha | Abhay Nirbheek
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Dheer, Veer, Gambheer Karna Tha

✍Abhay Nirbheek

 धीर, वीर, गंभीर कर्ण था युद्ध नीति का ज्ञानी

वीर न उसके जैसा था न उसके जैसा दानी 

तीर चलाता विद्युत्-सा वो, शस्त्रों का अभ्यासी

वाणी से शास्त्रार्थ करे तो लगता था सन्यासी

नभ तक गुंजित होती उसकी धनवा की टंकार

तीर कर्ण के जाकर, गिरते सागर के भी पार 

तप के बल से बज्रशरीखे थे उसके भुजदंड

क्षणभर में वो कर देता था गिरके अनगिन खंड

रण-कौशल में उसके जैसा जग में और नहीं था

दुनिया के लाखों प्रश्नों का उत्तर सिर्फ वही था |

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रण-थल का आभूषण था वह, धरती का सम्मान

पन्नों में इतिहास के वो है वीरों की पहचान। 


कर्ण चला समरांगण में अर्जुन का तेज परखने

धनवा से नरमुंड उठाने ग्रीवा पर असि रखने

कुरुक्षेत्र में स्वाद युद्ध का चखने और चखाने

शूर-वीर राधेय चला अब रण-कौशल दिखलाने

महावीर जब रथ पर चढ़कर समर-भूमि में आया 

पांडव सेना पर घिर आयी भय की काली छाया

भागो! भागो! प्राण बचाओ! हर कोई चिल्लाया

माधव के अतिरिक्त न समझा कोई कर्ण की माया ||

धीर, वीर, गंभीर कर्ण था Mahabharata Kavita | Dheer, Veer, Gambheer Karna Tha | Abhay Nirbheek
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केशव बोले सुनो पार्थ! तुम समय न व्यर्थ गवाओ

विजय चाहते हो तो पहले अपना बाण चलाओ

दुर्योधन आया है करने मानवता का मर्दन 

किन्तु कर्ण की मुट्ठी में है मैत्री का प्रण-पावन

कर्ण खड़ा है दुर्योधन के प्रति कर्तव्य निभाने 

युद्ध-भूमि में दानवीर आया है क़र्ज़ चुकाने

सूर्यपुत्र, यह सूर्यवीर, किंचित भी नहीं झुकेगा

इसके बाणों का अंधड़ अब तुमसे नहीं रुकेगा 

अग्नि-कुंड में घृत समान वो युद्ध को नवस्वर देगा

ताज विजय का दुर्योधन के मस्तक पर धर देगा ||

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कौन्तेय ने प्रत्यंचा पर ज्यों ही बाण चढ़ाया

क्षुधित सिंह-सा सूर्यपुत्र को अपने सम्मुख पाया 

अर्जुन बोला सूतपुत्र में तेरे प्राण हरूँगा 

धर्मराज के चरणों में कुरुओं का ताज धरूंगा

पांचाली के आँखों में अब आँसू नहीं रहेंगे 

अभिमन्यु के हत्यारे भी जीवित नहीं बचेंगे 

शांत हुई वह अग्नि लगी थी लाक्षागृह आँगन में 

अरि-शोणित से आग बुझेगी धधक रही जो मन में ||

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अर्जुन की बातों को सुनकर भानु-पुत्र ये बोला

मैंने जिसको योद्धा समझा निकला बालक भोला

भुज-बल स्वामी शब्दों से अरियों को नहीं डराते

योद्धा अपने पौरुष का यूँ गौरव नहीं गिराते

सच्चे योद्धा शब्द त्यागकर क्षर से बातें करते

भुजदंडों के बल पर ही वह दुनिया का तम हरते

युद्ध-भूमि में परखा जाता रण का कौशल सारा

समरांगण ही तय करता है कौन काल से हारा ||

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लगे बाण पर बाण बरसने युद्ध हुआ तब भीषण

राह पतन की लेकर आया तभी अचानक वह रण

आसमान में विद्युत् जैसे सायक लगे तड़कने

दोनों शूरों के भीतर की ज्वाला लगी भड़कने

दृश्य देखकर बाजी-कुंजर करने लगे निनादा

कलरव करते खद्दल में था आया घोर विषादा

रण-स्थल से दूर नगर के नर-नारी चिल्लाये 

कुरुक्षेत्र के महा-प्रलय से ईश्वर आज बचाये ||


तभी कर्ण के स्यंदन का पहिया दल-दल में आया

बलशाली अश्वों ने अपना पूरा ज़ोर लगाया 

लेकिन आज नियति को शायद कुछ स्वीकार नहीं था

पहिया बाहर आ न सका था अब तक धंसा वही था

धनुष रखा तब कर्ण निहत्था रथ से नीचे आया

अर्जुन ने भी बाण रोककर क्षत्रिय धर्म निभाया ||

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लेकिन माधव कपि-ध्वज को ललकार अभय हो बोले

अर्जुन की हिय में नारायण रोप रहे थे शोले

भृगुनन्दन का दिया हुआ अभिशाप व्यर्थ न जाए

शायद इस कारण ही नटवर ने शोले भड़काए 

लाक्षागृह को याद करो तब युद्ध नियम में झूलो

भरी सभा में पांचाली का, दर्द पार्थ मत भूलो

युद्ध भूमि में ऊँच नीच तुम बिलकुल नहीं विचारो 

सूर्य पुत्र की छाती पर अब अंतिम बाण उतारो  ||

धीर, वीर, गंभीर कर्ण था युद्ध नीति का ज्ञानी | Dheer, Veer, Gambheer Karna Tha | Abhay Nirbheek
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माधव के वचनों को सुनकर, अर्जुन कुछ सकुचाया

दिव्य शक्तियों को आमंत्रित कर गांडीव उठाया 

शस्त्रहीन पर लक्ष्य साधकर अर्जुन ने क्षर छोड़ा

तीर कर्ण को मार विजय-रथ पांडव-पथ पर मोड़ा

मिली पराजय किन्तु कर्ण ने जय को गले लगाया 

रवि का बेटा देह त्यागकर रवि में पुनः समाया

दानशीलता का दानी से हुआ आज अतिरेक

देह दानकर किया कर्ण ने मृत्यु का अभिषेक

ज्ञानी, दानी, वीर, धनुर्धर विदा हुआ था आज

धर्मराज के सिर पर आया कुल का रक्तिम ताज ||

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ABHAY NIRBHEEK

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धीर, वीर, गंभीर कर्ण था MAHABHARATA KAVITA
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Famous Poems

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

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