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मैंने बस चलना सीखा है - Maine Bas Chalna Sikhaa Hai | Gopaldas Neeraj Hindi Poem

मैंने बस चलना सीखा है - Maine Bas Chalna Sikhaa Hai

Gopaldas Neeraj Hindi Poem

 मैंने बस चलना सीखा है।


कितने ही कटुतम काँटे तुम मेरे पथ पर आज बिछाओ,

और भी चाहे निष्ठुर कर का भी धुँधला दीप बुझाओ,

किन्तु नहीं मेरे पग ने पथ पर बढ़कर फिरना सीखा है।

मैंने बस चलना सीखा है।

मैंने बस चलना सीखा है - Maine Bas Chalna Sikhaa Hai | Gopaldas Neeraj Hindi Poem

कहीं छुपा दो मंज़िल मेरी चारों और तिमिर-घन छाकर,

चाहे उसे राख का डालो नभ से अंगारे बरसा कर,

पर मानव ने तो पग के नीचे मंज़िल रखना सीखा है।

मैंने बस चलना सीखा है।


कब तक ठहर सकेंगे मेरे सम्मुख ये तूफान भयंकर,

कब तक मुझ से लड़ पावेगा इन्द्र-राज का वज्र प्रखरतर,

मानव की ही अस्थिमात्र से वज्रों ने बनना सीखा है।

मैंने बस चलना सीखा है।


देखूँ कौन बनेगा नीचा मेरा उन्नत अमर भाल यह,

इतना ही है मुझे मिला दे मिट्टी में बस क्रूर काल वह,

पर इस जग की मिट्टी ने भी देवों पर चढ़ना सीखा है।

मैंने बस चलना सीखा है।

-

गोपालदास नीरज

 Maine Bas Chalna Sikhaa Hai.


Kitne Hi Kaṭutam Kaanṭe Tum Mere Path Par Aaj Bichhaao,

Owr Bhi Chaahe Nishṭhur Kar Kaa Bhi Dhundhala Deep Bujhaao,

Kintu Nahi Mere Pag Ne Path Par Badhakar Phirna Sikha Hai.

 Maine Bas Chalna Sikhaa Hai.

मैंने बस चलना सीखा है - Maine Bas Chalna Sikhaa Hai  Gopaldas Neeraj Hindi Poem

Kahiin Chhupaa Do Manzil Merii Chaaron Owr Timir-ghan Chhaakar,

Chaahe Use Raakh Kaa Ḍaalo Nabh Se Amgaare Barasaa Kar,

Par Maanav Ne To Pag Ke Niiche Manzil Rakhanaa Siikhaa Hai.

 Maine Bas Chalna Sikhaa Hai.


Kab Tak Ṭhahar Sakenge Mere Sammukh Ye Tufaan Bhayankar,

Kab Tak Mujh Se Lad Pavegaa Indr-raaj Kaa Vajr Prakharatar,

Maanav Ki Hi Asthimaatr Se Vajron Ne Banana Sikha Hai.

 Maine Bas Chalna Sikhaa Hai.


Dekhun Kown Banega Nicha Mera Unnat Amar Bhaal Yah,

Itna Hi Hai Mujhe Mila De Miṭṭi Men Bas Kruur Kaal Vah,

Par Is Jag Ki Mṭṭii Ne Bhi Devon Par Chadhna Sikha Hai.

 Maine Bas Chalna Sikhaa Hai.

-

Gopaldas Neeraj

Kitne Hi Kaṭutam Kaanṭe Tum Mere Path Par Aaj Bichhaao,

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