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Auratein - औरतें By रमाशंकर यादव विद्रोही | Women Empowerment Poems

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ - HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

HINDI MOTIVATIONAL POEMS

HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

HINDI MOTIVATIONAL POEMS – दोस्तों आज इस लेख में बहुत ही बेहतरीन HINDI MOTIVATIONAL POEMS का संग्रह दिया गया हैं. जो आपके मन को निराशा के भंवर से निकालकर आपके मन को जोश से ओत – प्रोत कर देगा. 

 

यह HINDI MOTIVATIONAL KAVITA को प्रसिद्ध लेखकों दुवारा लिखा गया हैं. महान कवियों ने हमारे लिए कुछ प्रेरणादायक कविताएं लिखी हैं. जिसको पढने से हमारे अन्दर आगे बढ़ने का जज्बा पैदा होता हैं. क्योकि इन कविताओं में कुछ प्रेरणादायक शब्द लिखे होते हैं. जिससे निराशा से बहार निकलने की शक्ति मिलती हैं. 

 

दोस्तों अभी के समय में अधिकतर लोग अपने आप को सर्वश्रेष्ठ और दूसरों को नीचा दिखाने में लगे हैं. बहुत कम लोग ही हैं. जो दुसरे को सफलता और आगे बढ़ने के लिए सोचते हैं. 

 

अब आइए नीचे कुछ प्रेरणादायक कविताएँ दिए गए हैं. उसको पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की आपको यह सभी HINDI MOTIVATIONAL POEMS कविताएँ पसंद आयगी. इस HINDI MOTIVATIONAL KAVITA को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर भी करें.
 

प्रेरणादायक कविताएं, HINDI MOTIVATIONAL POEMS, HINDI MOTIVATIONAL POEMS

  मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ

तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो

मोटिवेशनल हिंदी कविता | Motivational Hindi Poems


हैं फूल रोकते, काटें मुझे चलाते

मरुस्थल, पहाड़ चलने की चाह बढ़ाते

सच कहता हूँ जब मुश्किलें ना होती हैं

मेरे पग तब चलने में भी शर्माते

मेरे संग चलने लगें हवायें जिससे

तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो


 मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ

तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो


अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूँ

मैं मरघट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूँ

हूँ आँख-मिचौनी खेल चला किस्मत से

सौ बार मृत्यु के गले चूम आया हूँ

है नहीं स्वीकार दया अपनी भी..

तुम मत मुझ पर न कोई एहसान करो

 

मोटिवेशनल हिंदी कविता  Motivational Hindi Poems

 मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ

तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो


श्रम के जल से राह सदा सिंचती है

गति की मशाल आंधी मैं ही हँसती है

शोलों से ही शृंगार पथिक का होता है

मंज़िल की मांग लहू से ही सजती है

पग में गति आती है, छाले छिलने से

तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो


 मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ

तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो


फूलों से जग आसान नहीं होता है

रुकने से पग गतिवान नहीं होता है

अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगति भी

है नाश जहाँ निर्माण वहीं होता है

मैं बसा सकूं नव-स्वर्ग "धरा" पर जिससे

तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो

मोटिवेशनल हिंदी कविता  Motivational Hindi Poems


 मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ

तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो


मैं पंथी तूफ़ानों में राह बनाता

मेरा दुनिया से केवल इतना नाता

वह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर

मैं ठोकर उसे लगा कर बढ़ता जाता

मैं ठुकरा सकूँ तुम्हें भी हँसकर जिससे

तुम मेरा मन-मानस पाषाण करो


 मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ

तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो

मोटिवेशनल हिंदी कविता  Motivational Hindi Poems


Motivational Hindi Shayari

Inspirational Hindi Shayari

Motivational Shayari In Hindi

Inspirational Shayari In Hindi


1. HINDI MOTIVATIONAL POEMS – लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

 

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, बार बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।


डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर एक बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

 

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

 

हरिवंशराय बच्चन

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

 

2. HINDI MOTIVATIONAL POEMS– वृक्ष हों भले खड़े

 

वृक्ष हों भले खड़े,
हों बड़े, हों घने,
एक पत्र छाँह भी
मांग मत! मांग मत! मांग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
यह महान दृश्य है,
देख रहा मनुष्य है,
अश्रु, स्वेद, रक्त से
लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

 

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

हरिवंशराय बच्चन

 

3. HINDI MOTIVATIONAL KAVITA  – गिरना भी अच्छा है

“गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को…
अपनों का पता चलता है!

जिन्हे गुस्सा आता है,
वो लोग सच्चे होते हैं,
मैंने झूठों को अक्सर
मुस्कुराते हुए देखा है…

सीख रहा हूँ मैं भी,
मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,
सुना है चेहरे पे…
किताबो से ज्यादा लिखा होता है…!”

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

अमिताभ बच्चन


4. प्रेरणादायक कविताएं – तो तू चल अकेला

 

तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
जब सबके मुंह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय!
तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर,
मनका गाना गूंज तू अकेला!
जब हर कोई वापस जाय..
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय..
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय…

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

रवीन्द्रनाथ ठाकुर

 

5. HINDI MOTIVATIONAL POEMS – कोने में बैठ कर क्यों रोता है

कोने में बैठ कर क्यों रोता है,
यू चुप चुप सा क्यों रहता है।

आगे बढ़ने से क्यों डरता है,
सपनों को बुनने से क्यों डरता है।

तकदीर को क्यों रोता है,
मेहनत से क्यों डरता है।

झूठे लोगो से क्यों डरता है,
कुछ खोने के डर से क्यों बैठा है।

हाथ नहीं होते नसीब होते है उनके भी,
तू मुट्ठी में बंद लकीरों को लेकर रोता है।


 

भानू भी करता है नित नई शुरुआत,
सांज होने के भय से नहीं डरता है।

मुसीबतों को देख कर क्यों डरता है,
तू लड़ने से क्यों पीछे हटता है।

किसने तुमको रोका है,
तुम्ही ने तुम को रोका है।

भर साहस और दम, बढ़ा कदम,
अब इससे अच्छा कोई न मौका है।

 

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

नरेंद्र वर्मा

 

6. HINDI MOTIVATIONAL POEMS – तुम मन की आवाज सुनो

तुम मन की आवाज सुनो,
जिंदा हो, ना शमशान बनो,
पीछे नहीं आगे देखो,
नई शुरुआत करो।

मंजिल नहीं, कर्म बदलो,
कुछ समझ ना आए,
तो गुरु का ध्यान करो,
तुम मन की आवाज सुनो।

लहरों की तरह किनारों से टकराकर,
मत लौट जाना फिर से सागर,
साहस में दम भरो फिर से,
तुम मन की आवाज सुनो।


 

सपनों को देखकर आंखें बंद मत करो,
कुछ काम करो,
सपनों को साकार करो,
तुम मन की आवाज सुनो।

इम्तिहान होगा हर मोड़ पर,
हार कर मत बैठ जाना किसी मोड़ पर,
तकदीर बदल जाएगी अगले मोड़ पर,
तुम अपने मन की आवाज सुनो।

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

नरेंद्र वर्मा

 

7. HINDI MOTIVATIONAL POEMS – हर पल है जिंदगी का उम्मीदों से भरा

हर पल है जिंदगी का उम्मीदों से भरा,
हर पल को बाहों में अपनी भरा करो,
किस्तों में मत जिया करो।

सपनों का है ऊंचा आसमान,
उड़ान लंबी भरा करो,
गिर जाओ तुम कभी,
फिर से खुद उठा करो।

हर दिन में एक पूरी उम्र,
जी भर के तुम जिया करो,
किस्तों में मत जिया करो।

आए जो गम के बादल कभी,
हौसला तुम रखा करो,
हो चाहे मुश्किल कई,
मुस्कान तुम बिखेरा करो।

हिम्मत से अपनी तुम,
वक्त की करवट बदला करो,
जिंदा हो जब तक तुम,
जिंदगी का साथ ना छोड़ा करो,
किस्तों में मत जिया करो।


 

थोड़ा पाने की चाह में,
सब कुछ अपना ना खोया करो,
औरों की सुनते हो
कुछ अपने मन की भी किया करो,
लगा के अपनों को गले गैरों के संग भी हंसा करो,
किस्तों में मत जिया करो।

मिले जहां जब भी जो खुशी,
फैला के दामन बटोरा करो,
जीने का हो अगर नशा,
हर घूंट में जिंदगी को पिया करो,
किस्तों में मत जिया करो।

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

विनोद तांबी


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8. HINDI MOTIVATIONAL KAVITA – राह में मुश्किल होगी हजार

राह में मुश्किल होगी हजार,
तुम दो कदम बढाओ तो सही,
हो जाएगा हर सपना साकार,
तुम चलो तो सही, तुम चलो तो सही।

मुश्किल है पर इतना भी नहीं,
कि तू कर ना सके,
दूर है मंजिल लेकिन इतनी भी नहीं,
कि तु पा ना सके,
तुम चलो तो सही, तुम चलो तो सही।

एक दिन तुम्हारा भी नाम होगा,
तुम्हारा भी सत्कार होगा,
तुम कुछ लिखो तो सही,
तुम कुछ आगे पढ़ो तो सही,
तुम चलो तो सही, तुम चलो तो सही।


 

सपनों के सागर में कब तक गोते लगाते रहोगे,
तुम एक राह चुनो तो सही,
तुम उठो तो सही, तुम कुछ करो तो सही,
तुम चलो तो सही, तुम चलो तो सही।

कुछ ना मिला तो कुछ सीख जाओगे,
जिंदगी का अनुभव साथ ले जाओगे,
गिरते पड़ते संभल जाओगे,
फिर एक बार तुम जीत जाओगे।

तुम चलो तो सही, तुम चलो तो सही।

नरेंद्र वर्मा

 

9. प्रेरणादायक कविताएं – माना हालात प्रतिकूल हैं

माना हालात प्रतिकूल हैं, रास्तों पर बिछे शूल हैं
रिश्तों पे जम गई धूल है
पर तू खुद अपना अवरोध न बन
तू उठ…… खुद अपनी राह बना…

माना सूरज अँधेरे में खो गया है……
पर रात अभी हुई नहीं, यह तो प्रभात की बेला है
तेरे संग है उम्मीदें, किसने कहा तू अकेला है
तू खुद अपना विहान बन, तू खुद अपना विधान बन…

सत्य की जीत हीं तेरा लक्ष्य हो
अपने मन का धीरज, तू कभी न खो
रण छोड़ने वाले होते हैं कायर
तू तो परमवीर है, तू युद्ध कर – तू युद्ध कर…

इस युद्ध भूमि पर, तू अपनी विजयगाथा लिख
जीतकर के ये जंग, तू बन जा वीर अमिट
तू खुद सर्व समर्थ है, वीरता से जीने का हीं कुछ अर्थ है
तू युद्ध कर – बस युद्ध कर…

 


10. HINDI MOTIVATIONAL POEMS       

            || नर हो, न निराश करो मन को ||


नर हो, न निराश करो मन को,

कुछ काम करो, कुछ काम करो |

जग में रहकर कुछ नाम करो,

यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो ||


समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो,

कुछ तो उपयुक्त करो तन को |

नर हो, न निराश करो मन को.

संभलो कि सुयोग न जाय चला ||


कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला,

समझो जग को न गिरा सपना |

पथ आप प्रशस्त करो अपना,

अखिलेश्वर है अवलंबन को ||


नर हो, न निराश करो मन को.

जब प्राप्त तुम्हें सब तत्व यहाँ |

फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ,

तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो ||



उठके अमरत्व विधान करो,

दवरूप रहो भव कानन को |

नर हो, न निराश करो मन को.

निज गौरव का नित ज्ञान रहे ||


हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे,

मरणोत्तर गुंजित गान रहे |

सब जाय अभी पर मान रहे,

कुछ हो न तजो निज साधन को ||


नर हो, न निराश करो मन को.

प्रभु ने तुमको कर दान किए |

सब वांछित वस्तु विधान किए,

तुम प्राप्त करो उनको न अहो ||


फिर है यह किसका दोष कहो,

समझो न अलभ्य किसी धन को |

नर हो, न निराश करो मन को.

किस गौरव के तुम योग्य नहीं ||


कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं,

जान हो तुम भी जगदीश्वर के |

सब है जिसके अपने घर के,

फिर दुर्लभ क्या उसके जन को ||


नर हो, न निराश करो मन को,

करके विधि वाद न खेद करो |

निज लक्ष्य निरंतर भेद करो,

बनता बस उद्यम ही विधि है ||


मिलती जिससे सुख की निधि है,

समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को |

नर हो, न निराश करो मन को,

कुछ काम करो, कुछ काम करो ||

 

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

स्व. मैथलीशरण गुप्त

 

11. HINDI MOTIVATIONAL POEMS -
                        बाधाएं आती हैं आएं

बाधाएं आती हैं आएं,

घिरे प्रलय की घोर घटाएं |

पावों के नीचे अंगारे,

सिर पर बरसे यदि ज्वालाएं ||


निज हाथों से हंसते-हंसते,

आग लगाकर जलना होगा |

कदम मिलाकर चलना होगा,

हास्य-रूदन में, तूफानों में ||


अगर असंख्य बलिदानों में,

उद्यानों में, वीरानों में |

अपमानों में, सम्मानों में,

उन्नत मस्तक, उभरा सीना ||


पीड़ाओं में पलना होगा,

कदम मिलाकर चलना होगा |

उजियारे में, अंधकार में,

कल कछार में, बीच धार में ||



घोर घृणा में, पूत प्यार में,

क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में |

जीवन के शत-शत आकर्षक,

अरमानों को दलना होगा ||

 

कदम मिलाकर चलना होगा,

सम्मुख फैला अमर ध्येय पथ |

प्रगति चिरंतन कैसा इति अथ,

सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ ||


असफ़ल, सफ़ल समान मनोरथ,

सब कुछ देकर कुछ न मांगते |

पावस बनकर ढलना होगा,

कदम मिलाकर चलना होगा ||


कुछ कांटों से सज्जित जीवन,

प्रखर प्यार से वंचित यौवन |

नीरवता से मुखरित मधुबन,

पर-हित अर्पित अपना तन-मन ||


जीवन को शत-शत आहुति में |

जलना होगा, गलना होगा ||


कदम मिलाकर, चलना होगा |

 

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

अटल बिहारी वाजपेयी

 

12. HINDI MOTIVATIONAL POEMS


तुम तो हारे नहीं तुम्हारा मन क्यों हारा है?

कहते हैं ये शूल चरण में बिंधकर हम आए,

किंतु चुभे अब कैसे जब सब दंशन टूट गए,

कहते हैं पाषाण रक्त के धब्बे हैं हम पर,

छाले पर धोएं कैसे जब पीछे छूट गए,

यात्री का अनुसरण करें,

इसका न सहारा है!

तुम्हारा मन क्यों हारा है?


 

इसने पहिन वसंती चोला कब मधुबन देखा?

लिपटा पग से मेघ न बिजली बन पाई पायल,

इसने नहीं निदाघ चाँदनी का जाना अंतर,

ठहरी चितवन लक्ष्यबद्ध, गति थी केवल चंचल!

पहुँच गए हो जहाँ विजय ने,

तुम्हें पुकारा है!

तुम्हारा मन क्यों हारा है?

 

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

स्व. महादेवी वर्मा

 

13. HINDI MOTIVATIONAL KAVITA- सच है, विपत्ति जब आती है

 

सच है, विपत्ति जब आती है,

कायर को ही दहलाती है |

सूरमा नहीं विचलित होते,

क्षण एक नहीं धीरज खोते ||


विघ्नों को गले लगाते हैं,

कांटों में राह बनाते हैं |

मुँह से कभी उफ़ न कहते हैं,

संकट का चरण न गहते हैं ||

जो आ पड़ता सब सहते हैं,

उद्योग-निरत नित रहते हैं |

शूलों का मूल नसाते हैं,

बढ़ ख़ुद विपत्ति पर छाते हैं ||


है कौन विघ्न ऐसा जग में,

टिक सके आदमी के मग में?

ख़म ठोक ठेलता है जब नर,

पर्वत के जाते पाँव उखड़ ||


मानव जब ज़ोर लगाता है,

पत्थर पानी बन जाता है |

गुण बड़े एक से एक प्रखर,

है छिपे मानवों के भीतर ||


मेहंदी में जैसे लाली हो,

वर्तिका बीच उजियाली हो |

बत्ती जो नहीं जलाता है,

रोशनी नहीं वह पाता है ||

 

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

स्व. रामधारी सिंह ‘दिनकर’

 

14. प्रेरणादायक कविताएं

 

तू ख़ुद की खोज में निकल,

तू किसलिए हताश है |

तू चल तेरे वजूद की,

समय को भी तलाश है ||


जो तुझसे लिपटी बेड़ियाँ,

समझ न इनको वस्त्र तू |

ये बेड़ियाँ पिघाल के,

बना ले इनको शस्त्र तू ||


तू ख़ुद की खोज में निकल,

तू किसलिए हताश है |

तू चल तेरे वजूद की,

समय को भी तलाश है ||


चरित्र जन पवित्र है,

तोह क्यों है ये दशा तेरी |

ये पापियों को हक़ नहीं,

की लें परीक्षा तेरी ||


तू ख़ुद की खोज में निकल,

तू किसलिए हताश है |

तू चल तेरे वजूद की,

समय को भी तलाश है ||


जला के भस्म कर उसे,

जो क्रूरता का जाल है |

तू आरती की लौ नहीं,

तू क्रोध की मशाल है ||


तू ख़ुद की खोज में निकल,

तू किसलिए हताश है|

तू चल तेरे वजूद की,

समय को भी तलाश है ||


चूनर उड़ा के ध्वज बना,

गगन भी कपकपाएगा |

अगर तेरी चूनर गिरी,

तोह एक भूकंप आएगा ||


तू ख़ुद की खोज में निकल,

तू किसलिए हताश है |

तू चल तेरे वजूद की,

समय को भी तलाश है ||

 

तनवीर गाज़ी

 

15. HINDI MOTIVATIONAL POEMS



मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..

हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते..
मरुस्थल, पहाड़ चलने की चाह बढाते..
सच कहता हूं जब मुश्किलें ना होती हैं..
मेरे पग तब चलने में भी शर्माते..
मेरे संग चलने लगे हवायें जिससे..
तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो..

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..

अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूं..
मैं मर्घट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूं..
हूं आंख-मिचौनी खेल चला किस्मत से..
सौ बार मृत्यु के गले चूम आया हूं..
है नहीं स्वीकार दया अपनी भी..
तुम मत मुझपर कोई एहसान करो..

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..

शर्म के जल से राह सदा सिंचती है..
गति की मशाल आंधी में ही हंसती है..
शोलो से ही श्रिंगार पथिक का होता है..
मंजिल की मांग लहू से ही सजती है..
पग में गति आती है, छाले छिलने से..
तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो..

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..

फूलों से जग आसान नहीं होता है..
रुकने से पग गतिवान नहीं होता है..
अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगति भी..
है नाश जहां निर्मम वहीं होता है..
मैं बसा सुकून नव-स्वर्ग “धरा” पर जिससे..
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो..

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..

मैं पन्थी तूफ़ानों मे राह बनाता..
मेरा दुनिया से केवल इतना नाता..
वेह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर..
मैं ठोकर उसे लगाकर बढ्ता जाता..
मैं ठुकरा सकूं तुम्हें भी हंसकर जिससे..
तुम मेरा मन-मानस पाषाण करो..

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..


गोपालदास नीरज

HINDI MOTIVATIONAL POEMS | HINDI MOTIVATIONAL KAVITA

 

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  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...