HINDI MOTIVATIONAL POEMS
HINDI MOTIVATIONAL KAVITA
HINDI MOTIVATIONAL POEMS – दोस्तों आज इस लेख में बहुत ही बेहतरीन HINDI MOTIVATIONAL POEMS का संग्रह दिया गया हैं. जो आपके मन को निराशा के भंवर से निकालकर आपके मन को जोश से ओत – प्रोत कर देगा.
यह HINDI MOTIVATIONAL KAVITA को प्रसिद्ध लेखकों दुवारा लिखा गया हैं. महान कवियों ने हमारे लिए कुछ प्रेरणादायक कविताएं लिखी हैं. जिसको पढने से हमारे अन्दर आगे बढ़ने का जज्बा पैदा होता हैं. क्योकि इन कविताओं में कुछ प्रेरणादायक शब्द लिखे होते हैं. जिससे निराशा से बहार निकलने की शक्ति मिलती हैं.
दोस्तों अभी के समय में अधिकतर लोग अपने आप को सर्वश्रेष्ठ और दूसरों को नीचा दिखाने में लगे हैं. बहुत कम लोग ही हैं. जो दुसरे को सफलता और आगे बढ़ने के लिए सोचते हैं.
प्रेरणादायक कविताएं, HINDI MOTIVATIONAL POEMS, HINDI MOTIVATIONAL POEMS
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ
तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो
हैं फूल रोकते, काटें मुझे चलाते
मरुस्थल, पहाड़ चलने की चाह बढ़ाते
सच कहता हूँ जब मुश्किलें ना होती हैं
मेरे पग तब चलने में भी शर्माते
मेरे संग चलने लगें हवायें जिससे
तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ
तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो
अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूँ
मैं मरघट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूँ
हूँ आँख-मिचौनी खेल चला किस्मत से
सौ बार मृत्यु के गले चूम आया हूँ
है नहीं स्वीकार दया अपनी भी..
तुम मत मुझ पर न कोई एहसान करो
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ
तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो
श्रम के जल से राह सदा सिंचती है
गति की मशाल आंधी मैं ही हँसती है
शोलों से ही शृंगार पथिक का होता है
मंज़िल की मांग लहू से ही सजती है
पग में गति आती है, छाले छिलने से
तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ
तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो
फूलों से जग आसान नहीं होता है
रुकने से पग गतिवान नहीं होता है
अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगति भी
है नाश जहाँ निर्माण वहीं होता है
मैं बसा सकूं नव-स्वर्ग "धरा" पर जिससे
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ
तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो
मैं पंथी तूफ़ानों में राह बनाता
मेरा दुनिया से केवल इतना नाता
वह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर
मैं ठोकर उसे लगा कर बढ़ता जाता
मैं ठुकरा सकूँ तुम्हें भी हँसकर जिससे
तुम मेरा मन-मानस पाषाण करो
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ
तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो
Motivational Hindi Shayari
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1. HINDI MOTIVATIONAL POEMS – लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर एक बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
2. HINDI MOTIVATIONAL POEMS– वृक्ष हों भले खड़े
वृक्ष हों भले खड़े,
हों बड़े, हों घने,
एक पत्र छाँह भी
मांग मत! मांग मत! मांग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
यह महान दृश्य है,
देख रहा मनुष्य है,
अश्रु, स्वेद, रक्त से
लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
हरिवंशराय बच्चन
3. HINDI MOTIVATIONAL KAVITA – गिरना भी अच्छा है
4. प्रेरणादायक कविताएं – तो तू चल अकेला
5. HINDI MOTIVATIONAL POEMS – कोने में बैठ कर क्यों रोता है
6. HINDI MOTIVATIONAL POEMS – तुम मन की आवाज सुनो
7. HINDI MOTIVATIONAL POEMS – हर पल है जिंदगी का उम्मीदों से भरा
विनोद तांबी
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8. HINDI MOTIVATIONAL KAVITA – राह में मुश्किल होगी हजार
तुम चलो तो सही, तुम चलो तो सही।
नरेंद्र वर्मा
9. प्रेरणादायक कविताएं – माना हालात प्रतिकूल हैं
10. HINDI MOTIVATIONAL POEMS
|| नर हो, न निराश करो मन को ||
नर हो, न निराश करो मन को,
कुछ काम करो, कुछ काम करो |
जग में रहकर कुछ नाम करो,
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो ||
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो,
कुछ तो उपयुक्त करो तन को |
नर हो, न निराश करो मन को.
संभलो कि सुयोग न जाय चला ||
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला,
समझो जग को न गिरा सपना |
पथ आप प्रशस्त करो अपना,
अखिलेश्वर है अवलंबन को ||
नर हो, न निराश करो मन को.
जब प्राप्त तुम्हें सब तत्व यहाँ |
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ,
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो ||
उठके अमरत्व विधान करो,
दवरूप रहो भव कानन को |
नर हो, न निराश करो मन को.
निज गौरव का नित ज्ञान रहे ||
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे,
मरणोत्तर गुंजित गान रहे |
सब जाय अभी पर मान रहे,
कुछ हो न तजो निज साधन को ||
नर हो, न निराश करो मन को.
प्रभु ने तुमको कर दान किए |
सब वांछित वस्तु विधान किए,
तुम प्राप्त करो उनको न अहो ||
फिर है यह किसका दोष कहो,
समझो न अलभ्य किसी धन को |
नर हो, न निराश करो मन को.
किस गौरव के तुम योग्य नहीं ||
कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं,
जान हो तुम भी जगदीश्वर के |
सब है जिसके अपने घर के,
फिर दुर्लभ क्या उसके जन को ||
नर हो, न निराश करो मन को,
करके विधि वाद न खेद करो |
निज लक्ष्य निरंतर भेद करो,
बनता बस उद्यम ही विधि है ||
मिलती जिससे सुख की निधि है,
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को |
नर हो, न निराश करो मन को,
कुछ काम करो, कुछ काम करो ||
स्व. मैथलीशरण गुप्त
11. HINDI MOTIVATIONAL POEMS - बाधाएं आती हैं आएं
बाधाएं आती हैं आएं,
घिरे प्रलय की घोर घटाएं |
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसे यदि ज्वालाएं ||
निज हाथों से हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा |
कदम मिलाकर चलना होगा,
हास्य-रूदन में, तूफानों में ||
अगर असंख्य बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में |
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना ||
पीड़ाओं में पलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा |
उजियारे में, अंधकार में,
कल कछार में, बीच धार में ||
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में |
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को दलना होगा ||
कदम मिलाकर चलना होगा,
सम्मुख फैला अमर ध्येय पथ |
प्रगति चिरंतन कैसा इति अथ,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ ||
असफ़ल, सफ़ल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते |
पावस बनकर ढलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा ||
कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन |
नीरवता से मुखरित मधुबन,
पर-हित अर्पित अपना तन-मन ||
जीवन को शत-शत आहुति में |
जलना होगा, गलना होगा ||
कदम मिलाकर, चलना होगा |
12. HINDI MOTIVATIONAL POEMS
तुम तो हारे नहीं तुम्हारा मन क्यों हारा है?
कहते हैं ये शूल चरण में बिंधकर हम आए,
किंतु चुभे अब कैसे जब सब दंशन टूट गए,
कहते हैं पाषाण रक्त के धब्बे हैं हम पर,
छाले पर धोएं कैसे जब पीछे छूट गए,
यात्री का अनुसरण करें,
इसका न सहारा है!
तुम्हारा मन क्यों हारा है?
इसने पहिन वसंती चोला कब मधुबन देखा?
लिपटा पग से मेघ न बिजली बन पाई पायल,
इसने नहीं निदाघ चाँदनी का जाना अंतर,
ठहरी चितवन लक्ष्यबद्ध, गति थी केवल चंचल!
पहुँच गए हो जहाँ विजय ने,
तुम्हें पुकारा है!
तुम्हारा मन क्यों हारा है?
13. HINDI MOTIVATIONAL KAVITA- सच है, विपत्ति जब आती है
सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है |
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते ||
विघ्नों को गले लगाते हैं,
कांटों में राह बनाते हैं |
मुँह से कभी उफ़ न कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं ||
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं |
शूलों का मूल नसाते हैं,
बढ़ ख़ुद विपत्ति पर छाते हैं ||
है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
ख़म ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़ ||
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है |
गुण बड़े एक से एक प्रखर,
है छिपे मानवों के भीतर ||
मेहंदी में जैसे लाली हो,
वर्तिका बीच उजियाली हो |
बत्ती जो नहीं जलाता है,
रोशनी नहीं वह पाता है ||
14. प्रेरणादायक कविताएं
तू ख़ुद की खोज में निकल,
तू किसलिए हताश है |
तू चल तेरे वजूद की,
समय को भी तलाश है ||
जो तुझसे लिपटी बेड़ियाँ,
समझ न इनको वस्त्र तू |
ये बेड़ियाँ पिघाल के,
बना ले इनको शस्त्र तू ||
तू ख़ुद की खोज में निकल,
तू किसलिए हताश है |
तू चल तेरे वजूद की,
समय को भी तलाश है ||
चरित्र जन पवित्र है,
तोह क्यों है ये दशा तेरी |
ये पापियों को हक़ नहीं,
की लें परीक्षा तेरी ||
तू ख़ुद की खोज में निकल,
तू किसलिए हताश है |
तू चल तेरे वजूद की,
समय को भी तलाश है ||
जला के भस्म कर उसे,
जो क्रूरता का जाल है |
तू आरती की लौ नहीं,
तू क्रोध की मशाल है ||
तू ख़ुद की खोज में निकल,
तू किसलिए हताश है|
तू चल तेरे वजूद की,
समय को भी तलाश है ||
चूनर उड़ा के ध्वज बना,
गगन भी कपकपाएगा |
अगर तेरी चूनर गिरी,
तोह एक भूकंप आएगा ||
तू ख़ुद की खोज में निकल,
तू किसलिए हताश है |
तू चल तेरे वजूद की,
समय को भी तलाश है ||
तनवीर गाज़ी
15. HINDI MOTIVATIONAL POEMS
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते..
मरुस्थल, पहाड़ चलने की चाह बढाते..
सच कहता हूं जब मुश्किलें ना होती हैं..
मेरे पग तब चलने में भी शर्माते..
मेरे संग चलने लगे हवायें जिससे..
तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूं..
मैं मर्घट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूं..
हूं आंख-मिचौनी खेल चला किस्मत से..
सौ बार मृत्यु के गले चूम आया हूं..
है नहीं स्वीकार दया अपनी भी..
तुम मत मुझपर कोई एहसान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
शर्म के जल से राह सदा सिंचती है..
गति की मशाल आंधी में ही हंसती है..
शोलो से ही श्रिंगार पथिक का होता है..
मंजिल की मांग लहू से ही सजती है..
पग में गति आती है, छाले छिलने से..
तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
फूलों से जग आसान नहीं होता है..
रुकने से पग गतिवान नहीं होता है..
अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगति भी..
है नाश जहां निर्मम वहीं होता है..
मैं बसा सुकून नव-स्वर्ग “धरा” पर जिससे..
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
मैं पन्थी तूफ़ानों मे राह बनाता..
मेरा दुनिया से केवल इतना नाता..
वेह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर..
मैं ठोकर उसे लगाकर बढ्ता जाता..
मैं ठुकरा सकूं तुम्हें भी हंसकर जिससे..
तुम मेरा मन-मानस पाषाण करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
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