Mera Desh Jal Raha, Koi Nhi Bujhanewala - मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला | शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
Mera Desh Jal Raha, Koi Nhi Bujhanewala - मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला Deshbhakti Hindi Poems Deshbhakti Poems In Hindi घर-आँगन सब आग लग रही सुलग रहे वन-उपवन दर-दीवारें चटख रही हैं जलते छप्पर-छाजन। तन जलता है, मन जलता है जलता जन-धन-जीवन एक नहीं जलते सदियों से जकड़े गर्हित बंधन। दूर बैठकर ताप रहा है, आग लगानेवाला। मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला। भाई की गर्दन पर भाई का तन गया दुधारा सब झगड़े की जड़ है पुरखों के घर का बँटवारा। एक अकड़ कर कहता अपने मन का हक़ ले लेंगे और दूसरा कहता तिलभर भूमि न बँटने देंगे। पंच बना बैठा है घर में, फूट डालनेवाला। मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला। दोनों के नेतागण बनते अधिकारों के हामी किंतु एक दिन को भी हमको अखरी नहीं ग़ुलामी। दानों को मोहताज हो गए दर-दर बने भिखारी भूख, अकाल, महामारी से दोनों की लाचारी। आज धार्मिक बना, धर्म का नाम मिटानेवाला। मेरा देश जल रहा, कोई न...