Poems In Hindi Nature प्रकृति पर कविताएँ | Poem On Nature In Hindi - Poem In Hindi Kavita Poems In Hindi Nature चाह हमारी "प्रभात गुप्त" छोटी एक पहाड़ी होती झरना एक वहां पर होता उसी पहाड़ी के ढलान पर काश हमारा घर भी होता बगिया होती जहाँ मनोहर खिलते जिसमें सुंदर फूल बड़ा मजा आता जो होता वहीं कहीं अपना स्कूल झरनों के शीतल जल में घंटों खूब नहाया करते नदी पहाड़ों झोपड़ियों के सुंदर चित्र बनाया करते होते बाग़ सब चीकू के थोड़ा होता नीम बबूल बड़ा मजा आता जो होता वहीँ कहीं अपना स्कूल सीढ़ी जैसे खेत धान के और कहीं केसर की क्यारी वहां न होता शहर भीड़ का धुआं उगलती मोटर गाड़ी सिर पर सदा घटाएं काली पांवों में नदिया के कूल बड़ा मजा आता जो होता वहीं कहीं अपना स्कूल रह रहकर टूटता रब़ का क़हर खंडहरों मे तब्दील होते शहर सिहर उठ़ता है ब़दन देख आतक़ की लहर आघात से पहली उब़रे नही तभी होता प्रहार ठ़हर ठहर क़ैसी उसकी लीला है ये क़ैसा उमड़ा प्रकति क़ा क्रोध विनाश लीला क़र क्यो झुझलाक़र क़रे प्रकट रोष अपराधी जब़ अपराध क़रे सजा फिर उसकी सब़को क्यो मिले पापी ब़ैठे दरब़ारों मे ज़नमानष को पीड़ा क़ा इनाम मिले ह...
Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम, जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि, किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से, हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम, बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||