बस ग़म ठहर गया… Bachpan Par Hindi Kavita Childhood Hindi Poems क्यों फिर से बचपन मेरा मेरे सामने से गुज़र गया ? गुज़री सारी यादें पुरानी सब बीत चले बस ग़म ठहर गया | बीता हर पल हँसते-रोते अश्क़ न गिर अब पाए थे कितने जल्दी वे दोस्त छूटे जो हमने दिल से बनाये थे | कैसे दिल लगाया उनसे ? बिन बिछड़े हम सब बिछड़ गए झूठें सारे वादें निकले बिन बिखरे हम सब बिखरे गए | सारी गलियाँ सब पेड़ों को हम ने स्मृतियों से सजाया था हर पर्व, हर उत्सव में मिलकर दोस्ती का नग़मा गाया था | न मालूम कौन कहाँ है अब ? कौन अब किस शहर गया ? गुज़री सारी यादें पुरानी सब बीत चले बस ग़म ठहर गया | - Harsh Nath Jha Bachpan Par Hindi Kavita Childhood Hindi Poems
Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम, जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि, किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से, हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम, बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||