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बस ग़म ठहर गया… Bachpan Par Hindi Kavita | Childhood Hindi Poems

बस ग़म ठहर गया…


Bachpan Par Hindi Kavita

Childhood Hindi Poems


क्यों फिर से बचपन मेरा

मेरे सामने से गुज़र गया ?

गुज़री सारी यादें पुरानी

सब बीत चले

बस ग़म ठहर गया |


Bachpan Par Hindi Kavita  Childhood Hindi Poems


बीता हर पल

हँसते-रोते

अश्क़ न गिर अब पाए थे

कितने जल्दी वे दोस्त छूटे

जो हमने दिल से बनाये थे |



कैसे दिल लगाया उनसे ?

बिन बिछड़े

हम सब बिछड़ गए

झूठें सारे वादें निकले

बिन बिखरे

हम सब बिखरे गए |


Bachpan Par Hindi Kavita  Childhood Hindi Poems


सारी गलियाँ सब पेड़ों को

हम ने स्मृतियों से सजाया था

हर पर्व, हर उत्सव में मिलकर

दोस्ती का नग़मा गाया था |



मालूम कौन कहाँ है अब ?

कौन अब किस शहर गया ?

गुज़री सारी यादें पुरानी

सब बीत चले

बस ग़म ठहर गया |

-

Harsh Nath Jha

Bachpan Par Hindi Kavita  Childhood Hindi Poems

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Childhood Hindi Poems


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