आज देश की मिट्टी बोल उठी है | Aaj Desh Ki Mitti Bol Uthi Hai Rula Dene Wali Deshbhakti Kavita - रुला देने वाली देशभक्ति कविता आज देश की मिट्टी बोल उठी है लौह-पदाघातों से मर्दित हय-गज-तोप-टैंक से खौंदी रक्तधार से सिंचित पंकिल युगों-युगों से कुचली रौंदी। व्याकुल वसुंधरा की काया नव-निर्माण नयन में छाया। कण-कण सिहर उठे अणु-अणु ने सहस्राक्ष अंबर को ताका शेषनाग फूत्कार उठे साँसों से निःसृत अग्नि-शलाका। धुआँधार नभी का वक्षस्थल उठे बवंडर, आँधी आई, पदमर्दिता रेणु अकुलाकर छाती पर, मस्तक पर छाई। हिले चरण, मतिहरण आततायी का अंतर थर-थर काँपा भूसुत जगे तीन डग में । बावन ने तीन लोक फिर नापा। धरा गर्विता हुई सिंधु की छाती डोल उठी है। आज देश की मिट्टी बोल उठी है। आज विदेशी बहेलिए को उपवन ने ललकारा कातर-कंठ क्रौंचिनी चीख़ी कहाँ गया हत्यारा? कण-कण में विद्रोह जग पड़ा शांति क्रांति बन बैठी, अंकुर-अंकुर शीश उठाए डाल-डाल तन बैठी। कोकिल कुहुक उठी चातक की चाह आग सुलगाए शांति-स्नेह-सुख-हंता दंभी पामर भाग न जाए। संध्या-स्नेह-सँयोग-सुनहला चिर वियोग सा छूटा युग-तमसा-तट खड़े मूक कवि का पहला स्वर फूटा। ठहर आततायी, ह...
Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम, जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि, किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से, हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम, बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||