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मातृभाषा का महोत्सव - Matribhasha Ka Mahatva | Hindi Diwas Par Kavita

आज देश की मिट्टी बोल उठी है | Rula Dene Wali Deshbhakti Kavita - रुला देने वाली देशभक्ति कविता

आज देश की मिट्टी बोल उठी है | Aaj Desh Ki Mitti Bol Uthi Hai Rula Dene Wali Deshbhakti Kavita - रुला देने वाली देशभक्ति कविता आज देश की मिट्टी बोल उठी है लौह-पदाघातों से मर्दित हय-गज-तोप-टैंक से खौंदी रक्तधार से सिंचित पंकिल युगों-युगों से कुचली रौंदी। व्याकुल वसुंधरा की काया नव-निर्माण नयन में छाया। कण-कण सिहर उठे अणु-अणु ने सहस्राक्ष अंबर को ताका शेषनाग फूत्कार उठे साँसों से निःसृत अग्नि-शलाका। धुआँधार नभी का वक्षस्थल उठे बवंडर, आँधी आई, पदमर्दिता रेणु अकुलाकर छाती पर, मस्तक पर छाई। हिले चरण, मतिहरण आततायी का अंतर थर-थर काँपा भूसुत जगे तीन डग में । बावन ने तीन लोक फिर नापा। धरा गर्विता हुई सिंधु की छाती डोल उठी है। आज देश की मिट्टी बोल उठी है। आज विदेशी बहेलिए को उपवन ने ललकारा कातर-कंठ क्रौंचिनी चीख़ी कहाँ गया हत्यारा? कण-कण में विद्रोह जग पड़ा शांति क्रांति बन बैठी, अंकुर-अंकुर शीश उठाए डाल-डाल तन बैठी। कोकिल कुहुक उठी चातक की चाह आग सुलगाए शांति-स्नेह-सुख-हंता दंभी पामर भाग न जाए। संध्या-स्नेह-सँयोग-सुनहला चिर वियोग सा छूटा युग-तमसा-तट खड़े मूक कवि का पहला स्वर फूटा। ठहर आततायी, ह...

आज तिरंगा फरहराते है | Republic Day Poems In Hindi | Independence Day Poems In Hindi

|| Republic Day Poems In Hindi || || Independence Day Poems In Hindi || आज तिरंगा फरहराते है - Aaj Tiranga Fehraate Hain आज तिरंगा फरहराते है, अपनी परी शान से | हमने अपना गौरव पाया, भारत के संविधान से || गणतंत्र भारत को सजाते है, देशभक्ति और स्वाभिमान से ! प्रजातंत्र जो हमने पाया, त्याग और बलिदान से || लोकतंत्र की सीख को, गीता और कुरान कहा | अम्बेडकर के आशीष को, भारत का संविधान कहा || यह वीरों का बलिदान है ! यह संस्कृति की पहचान है !! पुरखों की यह शान है ! हम सब का हिन्दुस्तान है !! हम सब का हिन्दुस्तान है ||   यह राणा की हुँनकार है ! यह शिवाजी की ललकार है !! यह लक्ष्मीबाई की तलवार है ! भारत स्वर्ग का सार है !! भारत स्वर्ग का सार है ||   || Patriotic Poems In Hindi || || Hindi Deshbhakti Kavita || न्याय , प्रेम और दया , पुण्य के, लक्ष्य हमें अभी पाना है | स्नेह-अहिंसा क्षमादान के , विजय पथ को अपनाना है || सत्य , अहिंसा , कर्म-धर्म के, दीपक को फिर से जलाना है | गणतंत्र भारत के आदर्शो को,  हमें फिर से अपनाना है || गणतंत्र भारत को सजाकर,  ...

REPUBLIC DAY POEMS IN HINDI || DESHBHAKTI HINDI KAVITAYEN ||

REPUBLIC DAY POEMS IN HINDI DESHBHAKTI HINDI KAVITAYEN     || देश की लाज बचाने को ||   देश की लाज बचाने को , अपनी जान गवाई है , खा कर गोली सीने में , अपनी कसम निभाई है | जिनको ये भारतवर्ष , अपने लहू से ज्यादा प्यारा है , ऐसे उन वीर सपूतों को , शत-शत नमन हमारा है ||     भारत माँ की रक्षा के लिए , अपना कर्तव्य निभाया है , मातृभूमि के गौरव पर , न्यौछावर उनकी काया है | जिनको परिवार से ज्यादा , ये देश , तिरँगा प्यारा है , ऐसे उन वीर सपूतों को , शत-शत नमन हमारा है ||     लथपथ पड़े जमीं पर , भारत माँ की जय बोली हैं जिनके सिंहनाद से सहमी , धरती फिर से डोली हैं | जिनके जज्बे को करता सलाम , देखो ये भारत सारा है , ऐसे उन वीर सपूतों को , शत-शत नमन हमारा है ||      REPUBLIC DAY POEMS IN HINDI DESHBHAKTI HINDI KAVITAYEN     REPUBLIC DAY  POEMS IN HINDI DESHBHAKTI HINDI KAVITAYEN    || स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है ||   स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है , विज...

Famous Poems

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics | दर पे सुदामा गरीब आ गया है

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स देखो देखो ये गरीबी, ये गरीबी का हाल । कृष्ण के दर पे, विश्वास लेके आया हूँ ।। मेरे बचपन का यार है, मेरा श्याम । यही सोच कर मैं, आस कर के आया हूँ ।। अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो । अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो ।। के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है । के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है ।। भटकते भटकते, ना जाने कहां से । भटकते भटकते, ना जाने कहां से ।। तुम्हारे महल के, करीब आ गया है । तुम्हारे महल के, करीब आ गया है ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। हो..ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। बता दो कन्हैया को । नाम है सुदामा ।। इक बार मोहन, से जाकर के कह दो । तुम इक बार मोहन, से जाकर के कह दो ।। के मिलने सखा, बदनसीब आ...