नौजवाँ लोग पजामे को बुरा कहते हैं – तंज़िया उर्दू शायरी, समाज और सियासत पर व्यंग्य नौजवाँ लोग पजामे को बुरा कहते हैं - Naujawaan Log Paijaame Ko Bura Kehte Hain पैंट फट जाए तो क़िस्मत का लिखा कहते हैं अपने अशआ'र में जुमअ को जुमा कहते हैं ऐसे उस्ताद को फ़ख़रुश्शुअरा कहते हैं नज़्म को गिफ़्ट रुबाई को अता कहते हैं शेर वो ख़ुद नहीं कहते हैं चचा कहते हैं आई-एम-एफ़ को समझते हैं मईशत का इलाज लोग अल-कुहल को खाँसी की दवा कहते हैं ये तो चलती नहीं पी-एम की इजाज़त के बग़ैर इस को ऐवान-ए-सदारत की हवा कहते हैं जाने कब इस में हमें आग लगानी पड़ जाए हम सियासत के जनाज़े को चिता कहते हैं जब से बच्चों को पसंद आई हैं हिन्दी फिल्में मुझ को अब्बा नहीं कहते वो पिता कहते हैं मेरी बारी पे हुकूमत ही बदल जाती है अब वज़ारत को ग़ुबारे की हवा कहते हैं लोड-शेडिंग की शिकायत पे दोलत्ती मारे लोग बिजली के मिनिस्टर को गधा कहते हैं भूक तख़्लीक़ का टैलेंट बढ़ा देती है पेट ख़ाली हो तो हम शेर नया कहते हैं - खालिद इरफ़ान इस शायरी की ख़ास बातें समाज पर तंज़ – पहली पंक्तियों में नौजवानों के कपड़ों और रवैये को लेकर शायर ने दिल...
|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna || तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी || रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ || सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...