सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

New !!

बाग़ी बलिया का सूरज - Baagi Baliya Ka Sooraj | Baliya Balidaan Diwas - Abhishek Mishra

हाल की पोस्ट

नौजवाँ लोग पजामे को बुरा कहते हैं – तंज़िया उर्दू शायरी, समाज और सियासत पर व्यंग्य

नौजवाँ लोग पजामे को बुरा कहते हैं – तंज़िया उर्दू शायरी, समाज और सियासत पर व्यंग्य नौजवाँ लोग पजामे को बुरा कहते हैं -  Naujawaan Log Paijaame Ko Bura Kehte Hain पैंट फट जाए तो क़िस्मत का लिखा कहते हैं अपने अशआ'र में जुमअ को जुमा कहते हैं ऐसे उस्ताद को फ़ख़रुश्शुअरा कहते हैं नज़्म को गिफ़्ट रुबाई को अता कहते हैं शेर वो ख़ुद नहीं कहते हैं चचा कहते हैं आई-एम-एफ़ को समझते हैं मईशत का इलाज लोग अल-कुहल को खाँसी की दवा कहते हैं ये तो चलती नहीं पी-एम की इजाज़त के बग़ैर इस को ऐवान-ए-सदारत की हवा कहते हैं जाने कब इस में हमें आग लगानी पड़ जाए हम सियासत के जनाज़े को चिता कहते हैं जब से बच्चों को पसंद आई हैं हिन्दी फिल्में मुझ को अब्बा नहीं कहते वो पिता कहते हैं मेरी बारी पे हुकूमत ही बदल जाती है अब वज़ारत को ग़ुबारे की हवा कहते हैं लोड-शेडिंग की शिकायत पे दोलत्ती मारे लोग बिजली के मिनिस्टर को गधा कहते हैं भूक तख़्लीक़ का टैलेंट बढ़ा देती है पेट ख़ाली हो तो हम शेर नया कहते हैं - खालिद इरफ़ान इस शायरी की ख़ास बातें समाज पर तंज़ – पहली पंक्तियों में नौजवानों के कपड़ों और रवैये को लेकर शायर ने दिल...

देशभक्ति हिंदी कविता | Patriotic Poems In Hindi | Independence Day Poems In Hindi

देशभक्ति हिंदी कविता  Patriotic Poems In Hindi रक्त हैं यह वीरों का --> HERE  मिली हमें जो आज़ादी --> HERE हे भारत के राम जगो --> HERE स्वतंत्र दिवस पर हिंदी कवितायेँ --> HERE गणतंत्र दिवस पर हिंदी कवितायेँ --> HERE आज तिरगां फरहराते है --> HERE मेरे भारत में  --> HERE गाँधी जी ! गाँधी जी ! कैसा लगा आपको? --> HERE गगन में लहरता है भगवा हमारा --> HERE था सर्वोपरि निज देश --> HERE आज सिन्धु में ज्वार उठा है --> HERE आए जिस-जिस की हिम्मत हो --> HERE कदम मिलाकर चलना होगा --> HERE  मस्तक नहीं झुकेगा --> HERE  कण्ठ-कण्ठ में एक राग है --> HERE सिंहासन खाली करो कि जनता आती है --> HERE मेरा भारत महान --> HERE पद्मिनी गोरा बादल -- > HERE चन्दन है इस देश की माटी --> HERE यह परम्परा का प्रवाह है --> HERE हार --> HERE आज तिरगां फरहराते है --> HERE THE HEAD THAT WORE --> HERE आज देश की मिट्टी बोल उठी है --> HERE गांव से ग्लोबल तक --> HERE Mera Desh Jal Raha, Koi Nhi Bujhanewala --> HERE Deshbhakti...

गांव से ग्लोबल तक – स्वतंत्रता दिवस विशेष | ग्रामीण भारत से विश्व मंच तक की यात्रा - Gaon Se Global Tak

  गांव से ग्लोबल तक -  Gaon Se Global Tak By Abhishek Mishra भारत की आत्मा उसके गांवों में बसती है। खेत-खलिहान की खुशबू, मिट्टी की सौंधी महक, बैलगाड़ी की धीमी चाल और लोकगीतों की गूंज — ये सब मिलकर हमारे देश की सांस्कृतिक पहचान बनाते हैं। लेकिन यह पहचान केवल अतीत की बात नहीं, बल्कि आज भी हमें " गांव से ग्लोबल " की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है। इस स्वतंत्रता दिवस पर, प्रस्तुत है अभिषेक मिश्रा की एक विशेष कविता, जो ग्रामीण भारत के संघर्ष, आज़ादी की लड़ाई और आधुनिक प्रगति की कहानी बयां करती है। कविता: गांव से ग्लोबल तक (स्वतंत्रता दिवस विशेष) धान की खुशबू, मिट्टी की सौंधी, पगडंडी का मीठा गान, बरगद, पीपल, नीम की छाया, झोंपड़ियों में सपनों का मान। बैलगाड़ी की धीमी चाल में, कच्चे आँगन का था सिंगार, हाट-बाज़ार की चहल-पहल में, गूँजते थे लोक-पुकार। पर आई जब गुलामी की आँधी, सूख गए खेतों के गुलाल, माँ के आँचल में लहराते सपने, टूट गए जैसे मिट्टी के लाल। लाठी, गोली, कोड़े, जंजीरें, रोटी आधी, भूख का गाँव, फिर भी भारत–माँ के बेटों ने, प्राण दिए, पर न झुकाया नाम। चंपारण में उठ...

आओ रानी हम ढोयेंगे पालकी - Aao Rani Hum Dhoyenge Palki | Nagaarjun Poem On Queen Elizabeth

हम ढोयेंगे पालकी - Hum Dhoyenge Palki Nagaarjun Poem On Elizabeth   Nagaarjun Poem On Jawaharlal Nehru आओ रानी , हम ढोयेंगे पालकी, यही हुई है राय जवाहरलाल की | रफ़ू करेंगे फटे-पुराने जाल की, यही हुई है राय जवाहरलाल की || आओ रानी , हम ढोयेंगे पालकी! आओ शाही बैण्ड बजायें, आओ बन्दनवार सजायें | खुशियों में डूबे उतरायें, आओ तुमको सैर करायें || उटकमंड की, शिमला-नैनीताल की, आओ रानी , हम ढोयेंगे पालकी | तुम मुस्कान लुटाती आओ, तुम वरदान लुटाती जाओ || आओ जी चाँदी के पथ पर, आओ जी कंचन के रथ पर | नज़र बिछी है, एक-एक दिक्पाल की, छ्टा दिखाओ गति की लय की ताल की || आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी  ! सैनिक तुम्हें सलामी देंगे | लोग-बाग बलि-बलि जायेंगे, दॄग-दॄग में खुशियां छ्लकेंगी || ओसों में दूबें झलकेंगी , प्रणति मिलेगी नये राष्ट्र के भाल की | आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी ! बेबस-बेसुध , सूखे-रुखडे़ , हम ठहरे तिनकों के टुकडे़ | टहनी हो तुम भारी-भरकम डाल की, खोज खबर तो लो, अपने भक्तों के खास महाल की || लो कपूर की लपट , आरती लो सोने की थाल क...

सुना था कि बेहद सुनहरी है दिल्ली - Suna Tha Ki Behad Sunheri Hai Dilli | Imran Pratapgarhi

सुना था कि बेहद सुनहरी है दिल्ली - Suna Tha Ki Behad Sunheri Hai Dilli कोई ला के दे दे मुझे लाल मेरा सुना था कि बेहद सुनहरी है दिल्ली, समंदर-सी ख़ामोश, गहरी है दिल्ली। मगर एक माँ की सदा सुन न पाए, तो लगता है — गूंगी है, बहरी है दिल्ली। वो आँखों में अश्कों का दरिया समेटे, वो उम्मीद का इक नज़रिया समेटे। यहाँ कह रही है, वहाँ कह रही है, तड़प कर के ये एक माँ कह रही है — "कोई पूछता ही नहीं हाल मेरा...! कोई ला के दे दे मुझे लाल मेरा!" उसे ले के वापस चली जाऊँगी मैं, पलट कर कभी फिर नहीं आऊँगी मैं। बुढ़ापे का मेरे सहारा वही है, वो बिछड़ा तो ज़िंदा ही मर जाऊँगी मैं। वो छह दिन से है लापता, ले के आए — कोई जा के उसका पता ले के आए। वही है मेरी ज़िंदगी की कमाई, वही तो है सदियों का आमाल मेरा। कोई ला के दे दे मुझे लाल मेरा! ये चैनल के एंकर कहाँ मर गए हैं? ये गाँधी के बंदर कहाँ मर गए हैं? मेरी चीख़ और मेरी फ़रियाद कहना, ये मोदी से इक माँ की रूदाद कहना। कहीं झूठ की शख्सियत बह न जाए, ये नफ़रत की दीवार ढह न जाए। है इक माँ के अश्कों का सैलाब साहब — कहीं आपकी सल्तनत बह न जाए। उजड़ सा गया ह...

मर्यादित राम - Maryadit Ram | Ram Par Hindi Kavita By Rahul 'Akshat' Sharma - जब बात धर्म की होगी तो कोई वाद सहा ना जाएगा

मर्यादित राम - Maryadit Ram | Ram Par Hindi Kavita Ram Par Hindi Kavita By Rahul 'Akshat' Sharma जब बात धर्म की होगी तो कोई वाद सहा ना जाएगा जब बात करेंगे शस्त्रों से, संवाद सहा ना जाएगा। कितने सर मर कर अज़र अमर, इस धरती से हो गये विहीन  ये जीवात्मा मानव की कैसे हो गई कूड़े में विलीन ! जाओ जाकर के पुण्य गिनो, जो प्राण धरा से चले गए, जिनको ना जाना ना जाए, जिनको जाना वे भले गए, अपनी अपनी मक्करी को जाओ जाकर के शून्य करो ईंट से ईंट मिलाओ जाकर थोड़ा सा तुम पुण्य करो ! अब की जो चूक गए मूर्ख, फिर मुझे बसा ना पाओगे जो रूठ गया मैं तुम सब से, फिर मुझे मना ना पाओगे, ना मैं सत्ता अभिलाषी हूँ, ना सत्ता मेरी दासी है ये रघु पुत्र तो जन जन के बस मन मंदिर का वासी है, सृष्टि में जल थल और नभ में मर्यादा का मैं हूँ स्वरूप किसने क्या क्या देखा मूर्ख मैं हूँ देवों का देव रूप ! भरा तत्व का मैं परिचायक हूँ ! मैं पुरषोत्तम हूँ नायक हूँ ! देखा मेरा हृदय निर्मल पावन सी सृष्टि पूर्ण सकल  तीनों लोकों में वन्दनीय ना कृत्य करो अब निंदनीय मैंने कब माँगा राज पाठ कब चाहा मैंने ठाट बाट तू देख प्रभंजन अब मेरा अ...

Famous Poems

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

Arey Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do Lyrics | अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो लिरिक्स

Arey Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do Lyrics अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो लिरिक्स

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics | दर पे सुदामा गरीब आ गया है

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स देखो देखो ये गरीबी, ये गरीबी का हाल । कृष्ण के दर पे, विश्वास लेके आया हूँ ।। मेरे बचपन का यार है, मेरा श्याम । यही सोच कर मैं, आस कर के आया हूँ ।। अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो । अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो ।। के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है । के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है ।। भटकते भटकते, ना जाने कहां से । भटकते भटकते, ना जाने कहां से ।। तुम्हारे महल के, करीब आ गया है । तुम्हारे महल के, करीब आ गया है ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। हो..ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। बता दो कन्हैया को । नाम है सुदामा ।। इक बार मोहन, से जाकर के कह दो । तुम इक बार मोहन, से जाकर के कह दो ।। के मिलने सखा, बदनसीब आ...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...