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Hindi Poem On Technology - मैं टेक्नोलॉजी कहलाता हूं | Harsh Nath Jha

Hindi Poem On Technology

|| मैं टेक्नोलॉजी कहलाता हूं ||

हर प्रश्न का क्षण में उत्तर,

यूं सब को में दे सकता हूं |

पूरे विश्व को बदल दिया है

हर घर में मैं रहता हूं ||

 


कृषि, खरीद, कला, विज्ञान,

सब की क्रांति लाता हूं |

इस दौर का जनक ही कहलों,

मैं टेक्नोलॉजी कहलाता हूं ||

Hindi Poem On Technology


पूरे विश्व की पुस्तकें,

जेबों में अब सजाई है |

स्पर्श मात्र से तुम सबको,

कहानियां भी सुनाई है ||

 


इस महामारी में मैंने,

शिक्षकों को घर-घर तक पहुंचाया है |

हर विद्यार्थी, हर वर्ग को,

विद्याध्यायन करवाया है ||

 


दुकानें समाई है जेबों में,

टेबल पर है बैंक तुम्हारा |

घर बैठे खेलो-खेलो को,

पास आ गया विश्व ये सारा ||

Technology Hindi Poem For Kids 

टेक्नोलॉजी पर हिंदी कविता


ड्रोन से कर सकते हैं बारिश,

क्षणों में खेतों को हम जोतेंगे |

लहलहाते देख फसलों को,

अन्नदाता कब तक रोएंगे ||

Technology Hindi Poem For Kids


भूमंडल से नभमंडल तक,

जाना है अब बहुत आसान

मंगल तक भी पहुंच गए हम, 

बना दिया जो मंगलयान ||

 


बच्चों और वृद्धों तक का भी,

बातचीत, अब पलभर का काम |

इन्टरनेट का दौर यह देखो,

फेसबुक पर सब का नाम ||

 


जैसे बजती फोन की घंटी,

मम्मियां कमर कस लेती हैं |

मामा, मामी, चाचा, चाची से,

घंटों भी बात कर लेती हैं ||

 


अनुपमा’ और ‘पवित्र रिश्ता’

को BINGE WATCH भी कर लेती हैं |

खाने की अब फिक्र तुम छोड़ो,

मिनटों में ऑर्डर कर लेती हैं ||

 


हर परिवार, हर घर को,

साथ में लेके आया हूं |

इस दौर का जनक की केह लो,

बस मैं ही अब छाया हूं ||


टेक्नोलॉजी पर हिंदी कविता


जोड़ा मैने पूरे विश्व को,

और नजदीक ले आया है |

सबकी जैबों में मैने,

पूरे विश्व को समाया है ||

 

हर प्रश्न का क्षण में उत्तर,

यूं सब को में दे सकता हूं |

पूरे विश्व को बदल दिया है

हर घर में मैं रहता हूं ||

 -

हर्ष नाथ झा

Technology Hindi Poem For Kids 

टेक्नोलॉजी पर हिंदी कविता

 

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Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...

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