वफ़ा
Love Poems In Hindi
चोट देते हो
कहते हो माफ़ करिये
हमको न ऐसे
यूँ याद करिये
अहल-ए-वफ़ा की
तो कीमत बहुत है
ख़ुदा से न मेरी
फ़रियाद करिये।
है आँखों में पानी
यह दर्द-ए-वफ़ा है
ये ग़म की हँसी है
या दिल कुछ ख़फ़ा है
जिसको था चाहा
था माँगा ख़ुदा से
मोहब्बत मेरी
हाँ! बेवफ़ा है ।
पुराने खतों को
संभाले रखा है
लम्हों को दिल से
लगाए रखा है
तेरे इश्क़ पर
मुझे इतना यकीन था
उन झूठे वादों
को सजाए रखा है ।
सिमटते-सिमटते
बिखर गए हम
छिपाते-छिपाते
बिछड़ गए हम
हम ने तो हर पल
था जोड़ा ये रिश्ता
ये वक़्त क्या बीता
गुज़र गए हम ।
इस ग़म-ए-वफ़ा में
हम फिर क्यों रोएँ ?
तेरी यादों में
हर दिन क्यों सोएँ ?
तुमसे तो हम ने
बस दिल था लगाया
अब रुकते न आँसू
कैसे न रोएँ ?
अंजाम-ए-वफ़ा का
है दर्द मुझको
इश्क़ है ये कैसा ?
गुनहगार तुम हो
क्यों झूठे आँसू ?
है क्यों झूठी सिसकी ?
इस बहते झोंके में
अब तुम ही गुम हो।
जब मिले मुझ-सा
वफ़ादार कोई
हो इश्क़ फिर से
मिले प्यार कोई
आँखों पे अब कोई
फिर से फ़िदा हो
करे फिर से तुझसे
इज़हार कोई ।
यादों में ग़म का
ना आँसू बहाना
नए इश्क़ को, हाँ !
फिर से सजाना
अगर अब तू रूठा
तब हम ना होंगे
आ जाए क़यामत
बस तुम न आना |
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हर्ष नाथ झा