अंतरात्मा
मेरी आवाज़ सुनो,
मैं तुम्हारी अंतरात्मा हूँ|
मैं स्वयं ही ईश्वर हूँ,
तुम्हारे अंदर स्तिथ परमात्मा हूँ||
मन नहीं सुनो हृदय की,
हृदय की चीत्कार सुनो|
पूरे विश्व में फैली हुई,
प्रतियोगिताओं की ललकार सुनो||
सब कर रहे है तुम्हारी प्रतीक्षा,
शीघ्र ही आरम्भ करो|
अपने जीवन में जीत की,
आज ही प्रारम्भ करो||
जो ठाना है वही करना,
बोलने वाले आएंगे|
कई प्रयत्न करेंगे वो,पर,
तुम्हें न झुका पाएंगे||
अपने पथ पर तुम चलते रहना,
जब तक सब को झुका न दो|
कभी न छोड़ना अपना पथ तुम,
जब तक खुद को अमर बना न दो||
मेरी आवाज़ सुनो,
मैं तुम्हारी अंतरात्मा हूँ|
मैं स्वयं ही ईश्वर हूँ,
तुम्हारे अंदर स्तिथ परमात्मा हूँ||
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हर्ष नाथ झा