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20+ FATHER'S DAY POEMS IN HINDI | पिता पर हिंदी कविता (2026)

20+ FATHER'S DAY POEMS IN HINDI | पिता पर हिंदी कविता (2026)

FATHER'S DAY POEMS IN HINDI | पिता पर हिंदी कविता

फादर्स डे (Father's Day) पर अपने पापा को खास महसूस कराना चाहते हैं? इस पोस्ट में हमने 20 से अधिक बेहतरीन ‘पिता पर हिंदी कविताओं’ का संग्रह किया है। यहाँ आपको भावुक, मजेदार और दिल को छू लेने वाली कविताएं मिलेंगी जिन्हें आप अपने पापा के साथ शेयर कर सकते हैं।

 ऐसे में अपने पापा को इंप्रेस और सरप्राइजड करने के लिए हर बेटा-बेटी लगे हुए हैं। ऐसे में अपने पापा को कविताएं सुनाना भी बच्चे चाहेंगे, लेकिन कौन सी वह कविता है, जो आपके पापा की लाइफ स्टाइल पर मेच करेगी। 

20+ FATHER'S DAY POEMS IN HINDI  पिता पर हिंदी कविता (2026)
कहते हैं कि पिता वह छांव होता है जिसके तले सारा परिवार खुशी के साथ जीवन व्यतीत करता है। पिता ही हैं जो अपनी हर तंगहाली में हमारी जरूरतों को पूरा करते हैं। अपने होते हुए हमें किसी भी कमी का एहसास होने नहीं देते। 
 
बाप बेटे के इसी रिश्ते पर पूरा विश्व फादर्स डे (International Father's Day) मना रहा है। इस मौके पर सभी पिता दिवस के कोट्स (Fathers Day Quotes), पिता दिवस के वीडियोज (Fathers Day Videos), पिता दिवस की शायरियां (Fathers Day Shayari), पितृ दिवस पर कोट्स (Fathers Day Hindi Quotes) व फादर्स डे पर कविताएं (Fathers Day Poems) लोग तलाश रहे हैं। 
 
इस खास मौके पर हम लाए हैं पिता दिवस (Father's Day) पर टॉप कविताएं (Top 10 Hindi Poems on Fathers Day) जिन्हें आप अपने पिता को भेजकर उनके प्रति सम्मान व्यक्त कर सकते हैं। तो आप भी भेजिए फादर्स डे (Fathers day) पर ये बेहतरीन कविताएं (Best Fathers Day Poem In Hindi), इन्हें आप अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को ह्वाट्सएप्प (Fathers day Whatsapp Status), फेसबुक (Fathers Day Facebook Post) के जरिए शेयर कर सकते हैं।
ये रही सिलेक्टेड कविताएं...
 

Mere Pyare Papa

मेरे प्यारे प्यारे पापा,
मेरे दिल में रहते पापा,
मेरी छोटी सी ख़ुशी के लिए
सब कुछ सेह जाते हैं पापा,
पूरी करते हर मेरी इच्छा ,
उनके जैसा नहीं कोई अच्छा,
मम्मी मेरी जब भी डांटे,
मुझे दुलारते मेरे पापा,
मेरे प्यारे प्यारे पापा !
 
 

  मैं इंदिरा पापा नेहरू Kavita from Daughter

 
मैं पतंग, पापा है डोर
पढ़ा लिखा चढ़ाया आकाश की ओर,
खिली काली पकड़ आकाश की ओर,
जागो, सुनो, कन्या भ्रूण हत्यारों,
पापा सूरज की किरण का शोर,
मैं बनू इंदिरा सी, पापा मेरे नेहरू बने,
बेटियों के हत्यारों, अब तो पाप से तौबा करो,
पापा सच्चे, बेहद अच्छे, नेहरू इंदिरा से वतन भरे,
बेटियां आगे बेटो से, पापा आओ पाक एलान करो,
देवियों के देश भारत की जग में, ऊंची शान करें !
 
 
Father and daughter Hindi poem background


FATHER'S DAY POEMS IN HINDI | पिता पर हिंदी कविता

 Heart Touching Sad Papa Poem

जाते जाते वो अपने जाने का गम दे गये…
सब बहारें ले गये रोने का मौसम दे गये…
ढूंढती है निंगाह पर अब वो कही नहीं…
अपने होने का वो मुझे कैसा भ्रम दे गये…
मुझे मेरे पापा की सूरत याद आती है…
वो तो ना रहे अपनी यादों का सितम दे गये…
एक अजीब सा सन्नाटा है आज कल मेरे घर में…
घर की दरो दिवार को उदासी पेहाम दे गये…
बदल गयी है अब तासीर, तासीरी जिन्दगी की…
तुम क्या गये आंखो में मन्जरे मातम दे गये…
 
 

 पिता का स्नेह Hindi Poetry for Dad

प्यार का सागर ले आते,
फिर चाहे कुछ न कह पाते |
बिन बोले ही समझ जाते,
दुःख के हर कोने में ||
खड़ा उनको पहले से पाया,
छोटी सी उंगली पकड़कर |
चलना उन्होंने सीखाया,
जीवन के हर पहलु को ||
अपने अनुभव से बताया,
हर उलझन को उन्होंने |
अपना दुःख समझ सुलझाया,
दूर रहकर भी हमेशा ||
प्यार उन्होंने हम पर बरसाया,
एक छोटी सी आहट से |
मेरा साया पहचाना,
मेरी हर सिसकियों में ||
अपनी आँखों को भिगोया,
आशिर्वाद उनका हमेशा हमने पाया |
हर ख़ुशी को मेरी पहले उन्होंने जाना,
असमंजस के पलों में ||
अपना विश्वाश दिलाया,
उनके इस विश्वास को,
अपना आत्म विश्वास बनाया |
ऐसे पिता के प्यार से,
बड़ा कोई प्यार न पाया ||
 

 

 Miss You Sad Hindi Poem on Lost of Father

जिन्दगी तो मेरी कट रही है आपके बाद भी….
मगर आप के बिन जीने में वो बात नहीं…
उपर से तो सब मेरे अपने ही अपने है…
मगर आप की तरह अन्दर से कोई मेरे साथ नही…
ख्याल सब रखते है मेरा अपने तरीके से अच्छी तरह…
म्गर अपसे जिद करने का माजा अब आता नहीं…
लडाईयां तो अब भी होती है घर में हमारे…
मगर आपसे वो मीठा मीठा लडने का मजा कोई दे पाता नहीं…
मै आज भी शाम को दरवाजे पे नजरें टिकाये रहती हूं…
आयेंगे अभी बाबा चॉकलेट और तोफे ले के मै अपने से दिल से बार बार कहती हूं…
मगर जब देखती हूं आस आस आप नहीं होते…
तब सच जानियें आपके ये बच्चे छिप छिप के अकेले में है बहुत रोते..
कोई भूल थी अगर मेरी तो एक दफा कहते मुझे…
ऐसे अकेला छोड जाना कोई अच्छी बात नहीं…..
 
 

 Pita Ke Liye Kavita for Children

वो पिता ही होता है
जो अपने बच्चो को अच्छे
विद्यालय में पढ़ाने के लिए
दौड भाग करता है…
उधार लाकर डोनेशन भरता
है, जरूरत पड़ी तो किसी के भी
हाथ पैर भी पड़ता है, वो पिता होता हैं ।।
हर कोलेज में साथ साथ
घूमता है, बच्चे के रहने के
लिए होस्टल ढुँढता है…
स्वतः फटे कपडे पहनता है
और बच्चे के लिए नयी जीन्स
टी-शर्ट लाता है, वो पिता होता है ।।
खुद खटारा फोन वपरता है पर
बच्चे के लिए स्मार्ट फोन लाता है…
बच्चे की एक आवाज सुनने के
लिए, उसके फोन में पैसा भरता है, वो पिता होता है ।।
बच्चे के प्रेम विवाह के निर्णय पर
वो नाराज़ होता है और गुस्से
में कहता है सब ठीक से देख
लिया है ना, “आपको कुछ
समजता भी है?” यह सुन कर
बहुत रोता है, वो पिता होता हैं ।।
बेटी की विदाई पर दिल की
गहराई से रोता है,
मेरी बेटी का ख्याल रखना हाथ
जोड़ कर कहता है, वो पिता होता है ।।
 
 
  Beautiful Fathers Day Poem in Hindi Words
“कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….”
“कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता…
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता…
माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है…
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता…..”
“कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…
कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है पिता…
माँ अगर है मासूम सी लोरी…
तो कभी ना भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता….”
“कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता…
कभी मौन तो कभी भाषण है पिता…
माँ अगर घर में रसोई है…
तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता….”
“कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता…
कभी आंसुओं में छिपी लाचारी है पिता…
माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने…
तो जो अपने को बेच दे वो व्यापारी है पिता….”
“कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता…
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता…
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात…
सब कुछ समेत के आसमान सा फैला है पिता….”
 FATHER'S DAY POFather and daughter Hindi poem backgroundEMS IN HINDI | पिता पर हिंदी कविता
 प्यारे पापा Kavita in Hindi Characters
प्यारे पापा सच्चे पापा,
बच्चों के संग बच्चे पापा
करते हैं पूरी हर इच्छा,
मेरे सबसे अच्छे पापा
पापा ने ही तो सिखलाया,
हर मुश्किल में बन कर साया
जीवन जीना क्या होता है,
जब दुनिया में कोई आया
उंगली को पकड़ कर सिखलाता,
जब पहला क़दम भी नहीं आता
नन्हे प्यारे बच्चे के लिए ,
पापा ही सहारा बन जाता
जीवन के सुख-दुख को सह कर,
पापा की छाया में रह कर
बच्चे कब हो जाते हैं बड़े,
यह भेद नहीं कोई कह पाया
दिन रात जो पापा करते हैं,
बच्चे के लिए जीते मरते हैं
बस बच्चों की ख़ुशियों के लिए,
अपने सुखो को हर्ते हैं
पापा हर फ़र्ज़ निभाते हैं,
जीवन भर क़र्ज़ चुकाते हैं
बच्चे की एक ख़ुशी के लिए,
अपने सुख भूल ही जाते हैं
फिर क्यों ऐसे पापा के लिए,
बच्चे कुछ कर ही नहीं पाते
ऐसे सच्चे पापा को क्यों,
पापा कहने में भी सकुचाते
पापा का आशीष बनाता है,
बच्चे का जीवन सुखदाइ ,
पर बच्चे भूल ही जाते हैं ,
यह कैसी आँधी है आई
जिससे सब कुछ पाया है,
जिसने सब कुछ सिखलाया है
कोटि नम्न ऐसे पापा को,
जो हर पल साथ निभाया है
प्यारे पापा के प्यार भरे’
सीने से जो लग जाते हैं
सच्च कहती हूँ विश्वास करो,
जीवन में सदा सुख पाते हैं
 
 
 Dad Poem in Hindi from Son or Kids
जब मम्मी डाँट रहीं थी
तो
कोई चुपके से हँसा रहा था,
वो थे पापा. . .
जब मैं सो रहा था
तब कोई चुपके से
सिर पर हाथ फिरा रहा था ,
वो थे पापा. . .
जब मैं सुबह उठा तो
कोई बहुत थक कर भी
काम पर जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
खुद कड़ी धूप में रह कर
कोई मुझे ए.सी. में
सुला रहा था,
वो थे पापा. . .
सपने तो मेरे थे
पर उन्हें पूरा करने का
रास्ता कोई और बताऐ
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं तो सिर्फ अपनी खुशियों में
हँसता हूँ,
पर मेरी हँसी देख कर
कोई अपने गम
भुलाऐ जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
फल खाने की
ज्यादा जरूरत तो उन्हें थी,
पर कोई मुझे सेब खिलाए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
खुश तो मुझे होना चाहिए
कि वो मुझे मिले ,
पर मेरे जन्म लेने की
खुशी कोई और मनाए
जा रहा था ,
वो थे पापा.
ये दुनिया पैसों से चलती है
पर कोई सिर्फ मेरे लिए
पैसे कमाए
जा रहा था ,
वो थे पापा.
घर में सब अपना प्यार दिखाते हैं
पर कोई बिना दिखाऐ भी
इतना प्यार किए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
पेड़ तो अपना फल
खा नही सकते
इसलिए हमें देते हैं…
पर कोई अपना पेट
खाली रखकर भी मेरा पेट
भरे जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं तो नौकरी के लिए
घर से बाहर जाने पर दुखी था
पर मुझसे भी अधिक आंसू
कोई और बहाए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं अपने “बेटा” शब्द को
सार्थक बना सका या नही..
पता नहीं…
पर कोई बिना स्वार्थ के
अपने “पिता” शब्द को
सार्थक बनाए
जा रहा था ,
वो थे पापा!
 
 
 
  I Proud My Papa Hindi Poem
आपकी आवाज मेरा सुकून है,
आपकी खामोशी, एक अनकहा संबल ।
आपके प्यार की खुशबू जैसे,
महके सुगंधित चंदन।
आपका विश्वास,मेरा खुद पर गर्व ।
दुनिया को जीत लूं, फिर नहीं कोई हर्ज ।
आपकी मुस्कान, मेरी ताकत,
हर पल का साथ, खुशनुमा एहसास
दुनिया में सबसे ज्यादा,
आप ही मेरे लिए खास
पापा,
आपकी शुक्रगुजार है,
मेरी हर एक सांस …. ।।
 
 
 
 Papa pr Motivational Poem in Hindi
मेरा साहस मेरी इज़्ज़त…मेरा सम्मान है पिता
मेरी ताकत मेरी पूंजी…मेरी पहचान है पिता ….!!
घर की एक एक ईट में…शामिल उनका खून पसीना …
सारे घर की रौनक उनसे.. सारे घर की शान है पिता !!
मेरी इज़्ज़त मेरी शौहरत… मेरा रुताब मेरा मान है पिता…
मुझे हिम्मत देने वाला मेरा अभिमान है पिता….!!
सारे रिश्ते उनके दम से सारी बाते उनसे है…..
सारे घर के दिल की धड़कन सारे घर की जान है पिता..!!
शायद रब ने देकर भेजा फल ये अच्छे कर्मो का …..
उसकी रहमत उसकी नियामत उसका है वरदान पिता…!!


 


 
FATHER'S DAY POEMS IN HINDI | पिता पर हिंदी कविता

 
 Papa pr Heart Touching Poem in Hindi


“माँ की ममता को तो, सब ने ही स्वीकारा है
पर पिता की परवरिश को, कब किसने ललकारा है!!
मुश्किलों की घंडियों में अक्सर, मेरे साथ खड़े थे वो
मेरी गलतिया थी फिर भी, मेरी खातिर लड़े थे वो!!
कमियों की अहसास, मुझको कभी तो हो न पायी
कपकपा कर सोते थे वो, मेरे ऊपर थी रजाई !!
माँ की गोदी की गर्माहट, के बराबर उनकी थपकी
कंधे उनका बिस्तर मरी, आंखे हलकी सी जो झपकी!!
उनके होसलो ने कभी न, आँखे नम होने दिए है
जितने थी मेरी जरूरत, सबको तो पूरी किया है!!
उनकी लाड में जो पाया, थोड़ी कड़वापन सही
मेरी खातिर मुझे डाटा, था वही बचपन सही!!
जिंदगी की दौड़ में अब, अपने पारों पर खड़े
उनके जज़्बों की बदौलत, मुस्किलो से हम लड़े!!
सर पे उनका साया जब तक, चिंता न डर है कोई!!
उनके कंधो की बदौलत बढ़ रही है जिंदगी !!
 
 
 Hindi Poem for Papa From Daughter


पापा मेरी नन्ही दुनिया, तुमसे मिल कर पली-बढ़ी
आज तेरी ये नन्ही बढ़कर, तुझसे इतनी दूर खड़ी
तुमने ही तो सिखलाया था, ये संसार तो छोटा है
तेरे पंखों में दम है तो, नील गगन भी छोटा है
कोई न हो जब साथ में तेरे, तू बिलकुल एकाकी है
मत घबराना बिटिया, तेरे साथ में पप्पा बाकी हैं
पीछे हटना, डरना-झुकना, तेरे लिए है नहीं बना
आगे बढ़ कर सूरज छूना, तेरी आंख का है सपना
तुझको तो सूरज से आगे, एक रस्ते पर जाना है
मोल है क्या तेरे वजूद का दुनिया को बतलाना है
आज तो पापा मंजिल भी है, दम भी है परवाजों में
एक आवाज नहीं है लेकिन, इतनी सब आवाजों में
सांझ की मेरी सैर में हम-तुम, साथ में मिल कर गाते थे
कच्चे-पक्के अमरूदों को, संग-संग मिल कर खाते थे
उन कदमों के निशान पापा, अब भी बिखरे यहीं-कहीं
कार भी है, एसी भी है, पर अब सैरों में मज़ा नहीं
कोई नहीं जो आंसू पोछें, बोले पगली सब कर लेंगे
पापा बेटी मिलकर तो हम, सारे रस्ते सर कर लेंगे
इतनी सारी उलझन है और पप्पा तुम भी पास नहीं
ये बिटिया तो टूट चुकी है, अब तो कोई आस नहीं
पर पप्पा ! तुम घबराना मत, मैं फिर भी जीत के आउंगी
मेरे पास जो आपकी सीख है, मैं उससे ही तर जाऊंगी
फिर से अपने आंगन में हम साथ में मिल कर गाएंगे
देखना अपने मौज भरे दिन फिर से लौट के आएंगे
 
 
 

 Papa Ke Saath Bachpan Ke Pal Hindi Poem (Parents Poetry)


आज भी याद है बचपन के वो पल ,
जहाँ आँखों मे सपने और न ही दिलो मे छल था |
जहाँ पापा ने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया,
वहीं उन्हीं के दिये आत्मविश्वास ने,
गिरते से भी उठना सिखाया |


हाथो मे बैग लेकर स्कूल जाना,
और अपनी मीठी-मीठी बातों से सबको लुभाना |
वहीं घर आकर पापा को रिझाना,
और प्यार से उनका, गले से मुझे लगाना |
कभी माँ की डॉट से पापा के पीछे छिप जाना,
तो खुद उनकी डॉट सहकर मुझे माँ से बचाना |


होली दिवाली पर अपने कपड़े भूल कर हमको नए कपडे दिलाना,
और खिलोनों की फरमाइश पर अपनी सेविंग से पैसे जुटाना |
जहाँ माँ ने संस्कारो मे रहना सिखाया,
वहीं पापा ने मुश्किलों से लड़ना सिखाया |
वो मेरा पापा से बार बार ऐसे वैसे प्रश्न पूछे जाना,
और मेरी नटखट बातो पर पापा का खिलखिलाकर हंस जाना |


लोग कहते है बेटी माँ का साया होती है,
पर जरुरी तो नहीं, वो हमेशा माँ जैसे ही होती है |
अगर बेटी माँ का साया होती है,
तो वहीं बेटी पापा की भी परछाई होती है |
जो अपनी सारी फ़र्माइशों को पापा से करती है
अपनी बात कहने से कभी ना डरती है ||
एेसी ही बेटियाँ पापा की राजकुमारियाँ होती है,
जो हमेशा उनकी सासों में बसती है..||
आज भी याद है बचपन के वो पल…..

 

Heart Touching Poems on Father in Hindi

 

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता,
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता,
जन्म दिया है अगर माँ ने,
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता,
कभी कंधे पे बिठा के मेला दिखाता है पिता,
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता,
माँ अगर पैरों पर चलना सिखाती है,
पैरों पर खड़ा होना सिखाता है पिता।

 

फादर डे कविता

 

पिता एक उम्मीद है एक आस है,
परिवार की हिम्मत और विश्वास है,
बाहर से सख्त और अंदर से नरम है,
उसके दिल में दफन कई मरम है,
पिता संघर्ष की आँधियों में हौसलों की दीवार है,
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला बिछौना है,
पिता जिम्मेदारियों से लदी गाड़ी का सारथी है,
सबको बराबर का हक़ दिलाता एक महारथी है,
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है,
इसी में तो माँ और बच्चों की पहचान है,
पिता जमीर है, पिता जागीर है,
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,
कहने को तो सब ऊपर वाला देता है,
पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर हैं।

 

पिता जी पर कविता


माँ का गुणगान तो हम हमेशा करते है,
पर बेचारे पिता ने क्या बिगाड़ा है,
संकट से मुक्ति का मार्ग वही तो दिखाता है,
अगर माँ के पास है आँसू का दरिया,
तो पिता के पास सयंम का अस्त्र है,
हमें याद रहती है खाना पकाने वाली माँ,
पर उस खाने का इंतजाम पिता ही तो करता है,
देवकी और यशोदा का प्रेम मन में रखिये,
पर टोकरी में ले जाने वाले पिता को भी याद रखिये,
पुत्र-वियोग पर कौशल्या बड़ी रोई थी,
तो दशरथ तो पुत्र-वियोग में स्वर्ग ही सिधार गये थे,
समय पर माँ होमवर्क पूरा करवा देती है,
पर उधार लेकर डोनेशन देकर प्रवेश पिता ही दिलाता है,
ससुराल को विदा जब होती है बेटियाँ तो,
माएं धाड़-धाड़ आँसू बहा रो देती है पर,
मेरी गुडिया का पूरा ख्याल रखना,
हाथ जोड़कर खून के आँसू रोता पिता ही तो कहता है,
पिता बचत कर कर के नई-नई जींस लाता है,
पर खुद तो पुराणी शर्ट-पेंट पहनता है।

 


 

Pita Par Kavita Hindi Mein

 

माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्व होते है,
माँ के पास अश्रुधारा तो पिता के पास सयंम होता है,
दोनों समय का भोजन माँ बनाती है,
तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाला पिता होता है,
कभी चोट लगे तो मुँह से "माँ" निकलता है,
रास्ता पार करते वक्त कोई पास आकर ब्रैक लगाये तो "बाप" रे ही निकलता है,
क्योकि छोटे-छोटे संकट के लिए माँ याद आती है,
मगर बड़े संकट के वक्त पिता याद आता है,
पिता एक वट वृक्ष है जिसकी शीतल छाव में,
सम्पूर्ण परिवार सुख से रहता हैं।

बाप के लिए एक बेटे के जज्बात कविता के रूप में

नन्हीं सी आँखें और मुड़ी हुई उँगलियाँ थी,
ये बात तक की है जब दुनिया मेरे लिए सोई हुई थी,
नंगे से शरीर पर नया कपड़ा पहनाता था,
ईद-विद की समझ ना थी पर फिर भी मेरे साथ मनाता था,
घर में खाने की कमी थी पर FD में पैसा जुड़ रहा था,
उसके खुद के सपने अधूरे थे,
और मेरे लिए सपने बुन रहा था,
ये बात तक की है जब दुनिया मेरे लिए सोई हुई थी,
वक्त कटा साल बना,
पर तब भी सबसे अनजान था,
पर मैं फिर भी उसकी जान था,
बिस्तर को गिला करना हो या फिर रोना,
एक बाप ही था जिससे छिना था मैंने उसका सोना,
सुबह होने तक फिर गोद में खिलाता,
झूलों को हीलाता, फिर दिन में कमाता,
फिर शाम में चला आता,
कभी खुद से परेशां तो,
कभी दुनिया का सताया था,
एक बाप ही था जिसने मुझे रोते हुए हँसाया था,
अल्फाजों से तो गूंगा था मैं,
पर वो मेरे इशारे समझ रहा था,
मैं खुद इस बात से हैरान हूँ आज,
की कल वो मुझको किस तरह पढ़ रहा था,
अब्बा तो छोड़ो यार अभी तो आ भी निकला नहीं था,
पर वो मेरी हर ख्वाहिश को पूरा कर रहा था,
और मैं भी अब उसके लाड़-प्यार में अब ढ़लने लगा था,
घर से अब वो कब निकल ना जाए,
बस उसके क़दमों पर नजरें रखने लगा था,
मुद्दें तो हजार थे बाजार में उसके पास,
और कब ढल जायेगा सूरज उसको इसका इंतजार था,
और मैं भी दरवाजे की चौखट को ताकता रहता था,
जब होती थी दस्तक तो वोकर से झांकता रहता था,
तब देखकर उसकी शक्ल में दूर से चिल्लाता था,
इशारों से उसको अपने करीब बुलाता था,
वह भी छोड़-छाड़ के सबकुछ,
मुझे अपने सीने से लगाता था,
वह करतब दिखाता था,
मेरी एक मुस्कान के लिए,
कभी हाथी तो कभी घोड़ा बन जाता था,
और सो संकू रात भर सुकून से,
इसलिए पूरी रात एक करवट से गुजारता था,
पर वो बचपन शायद अब सो चूका था,
और मैं जवानी की देहलीज पर कदम रखने लगा था,
उसकी क़ुरबानी को उसका फर्ज समझने लगा था,
चाहे वो फिर खुद बिना पंखें के सोना या मुझे हवा में सुलाना,
या फिर ईद का वो खुद पूराना कपडा पहनना,
और मुझे नए कपडे पहनाना,
या फिर तपते बुखार में माथे पर ठंडी पट्टी रखना हो,
या फिर मेरी हर जिद के आगे झुक जाना,
वो बचपन था वो गुजर गया,
वो रिश्ता था और वो सिकुड़ गया,
और मैं उस क़ुरबानी के बोझ को उठा नहीं पाया,
इसलिए मैं वो शहर कही दूर छोड़ आया,
नए शहर की हवा मुझे पे चढ़ने लगी थी,
अपने बाप की हर नसीहत मुझे बचपना लगने लगी थी,
काम जो मिल गया, पैसा जो आने लगा,
क्या जरूरत है बाप को ये सोच मुझे में पलने लगी थी,
और उधर मेरा बाप बैचेन था,
की कुछ रोज तो घर आजा beta,
बस यही था उसकी फरयाद में,
और मैं उससे हिसाब लेने लगा था,
जो दुनिया का कर्जदार बन चूका था,
क्या जरूरत है तुम्हें इतने पैसे की अब्बू,
अब ये सवाल करने लगा था,
अब घडी का कांटा फिर पलट चूका था,
कल तक मैं किसी का beta था,
आज किसी का बाप बन चूका था,
और हसरतों का स्वटर मैं भी बुनने लगा था,
कल क्या करेगा मेरा beta मैं भी यही सोचने लगा था,
दुनिया में ना उससे कोई आगे था,
ना कोई अपना था सब पराया था,
बस वही एक सपना था,
तब मुझ एक जज्बात उबलने लगा था,
जिस जज्बात से में हमेशा अनजान था,
की कल क्या गुजरी होगी मेरे baap पे,
अब मुझे ये समझ आने लगा था,
खुदा की एक मूरत होता है बाप,
जिसे लफ्जों में ना भुना जाए,
और जो कलमों से ना लिखा जाए वो होता है बाप,
जो रोते हुए को हंसा दें,
और खुद को मजदूर बनाकर,
तुम्हें खड़ा कर दे वो होता है बाप।

पिता क्या है? कविता

मेरा साहस मेरा सम्मान है पिता,
मेरी ताकत मेरी पुंजी मेरी पहचान है पिता,
घर की एक-एक ईट में शामिल उनका खून-पसीना,
सारे घर की रौनक उनसे सारे घर की शान पिता,
मेरी इज्जत मेरी मेरी शौहरत मेरा रूतबा मेरा मान है पिता,
मुझको हिम्मत देने वाले मेरा अभिमान है पिता,
सारे रिश्ते उनके दम से सारे नाते उनसे है,
सारे घर की दिल की धड्कन सारे घर की जान है पिता,
शायद रब ने दे कर भेजा फल ये अच्छे कर्मों का,
उसकी रहमत उसकी नेअमत उसका है वरदान पिता।

 

FATHER'S DAY POEMS IN HINDI | पिता पर हिंदी कविता

Poem on Father in Hindi

 

ऊँगली को पकड़ कर सिखलाता,
जब पहला कदम भी नहीं आता,
नन्हे प्यारे बच्चे के लिए,
पापा ही सहारा बन जाता,
पापा हर फर्ज निभाते है,
जीवन भर कर्ज चुकाते है,
बच्चे की एक ख़ुशी के लिए,
अपने सुख भूल ही जाते है,
फिर क्यों ऐसे पापा के लिए,
बच्चे कुछ कर नहीं पाते है,
ऐसे सच्चे पापा को क्यों,
पापा कहने में भी सकुचाते है,
पापा का आशीष बनाता है,
बच्चे का जीवन सुखदायी,
पर बच्चे भूल ही जाते है,
यह कैसी आंधी है आई,
जिससे सब कुछ पाया है,
जिसने सबकुछ सिखलाया है,
कोटि नमन ऐसे पापा को,
जिसने हर पल साथ निभाया है,
प्यारे पापा के प्यार भरे,
सीने से जो लग जाते है,
सच्च कहती हूँ विश्वास करो,
जीवन में सदा सुख पाते हैं।


Pita Par Kavita in Hindi


शाम हो गई अब तो घुमने चलो ना पापा,
चलते-चलते थक गई अब तो कन्धों पर बिठा लो ना पापा,
अँधेरे से डर लगता है सीने से लगा लो ना पापा,
मम्मा तो सो गई आप ही थपकी देकर सुलाओ ना पापा,
स्कूल तो पूरी हो गई,
अब कॉलेज जाने दो ना पापा,
पाल पोस कर बड़ा किया,
अब जुदा तो मत करो ना पापा,
अब डोली में बिठा ही दिया तो,
आँसू तो मत बहाओ ना पापा,
आप की मुस्कुराहट अच्छी है,
एक बार मुस्कुराओ ना पापा,
आप ने मेरी हर एक बात मानी,
एक बात और माँ जाओ ना पापा,
इस धरती पर बोझ नहीं मैं,
दुनिया को समझाओ ना पापा।

 20+ Father's Day Poems in Hindi | पिता पर हिंदी कविता (2026)
Baap Par Kavita


एक बचपन का ज़माना था,
जिस में खुशियों का खजाना था,
चाहत चाँद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दीवाना था,
खबर ना थी कुछ सुबहा की,
ना शाम का कोई ठिकाना था,
थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था,
माँ की कहानी थी,
परियों का फ़साना था,
बारिश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था,
रोने की कोई वजह ना थी,
और मैं अपने "पापा" का दीवाना था।

 

Heart Touching Father Day Poem in Hindi

 

खोल अब मनचाही ख़िताब के पन्ने,
पढ़ते-पढ़ते ही सोने लगा हूँ,
शायद लोग सही कहते है,
अब मैं बुढ़ा होने लगा हूँ,
पहले सी फुर्ती नहीं बदन में,
दो कदम चलने से थकने लगा हूँ,
गिनी हुई साँसे है बाकि,
एक-एक को खिंच के लेने लगा हूँ,
आँखों से काम हो गया दिखना,
कुछ ऊँचा भी अब सुनने लगा हूँ,
भूख नहीं लगती है अब उतनी,
जिन्दा रहने को बस दाने चुगने लगा हूँ,
पहले जिन बातों पर गुस्सा आता था,
अब उनको नजरअंदाज करने लगा हूँ,
बड़े-बड़े बच्चों के आगे,
अपने ही गुस्से से डरने लगा हूँ,
प्यार तो पहले भी करता था सबसे,
अब जाहिर भी करने लगा हूँ,
वक्त मिले न मिले कहने को,
इसलिए अब सब कुछ कहने लगा हूँ,
मन में जितने उद्धार भरे थे,
आँखों से खाली करने लगा हूँ,
फिर-फिर जो आँसू आते है,
उन्हें आँखों की खराबी कहने लगा हूँ,
शरीर साथ नहीं देता अब,
मनोबल से उसे ढ़ोने लगा हूँ,
पता नहीं लगने देता पर,
अंदर से तो दुर्बल होने लगा हूँ,
उम्र जो ढ़लने लगी है मेरी,
गलतियाँ अपनी गिनने लगा हूँ,
माफ़ी तो मांग नहीं सकता पर,
उन पर पछतावा करने लगा हूँ,
सब अपने अब मेरे पास रहें,
ऐसी कामना करने लगा हूँ,
वक्त मेरे पास जो कम है,
देख-देख के सबको जी भरने लगा हूँ,
जाना तो इक दिन है सबको पर,
बिस्तर पर पड़ने से डरने लगा हूँ,
चलते चलते चला जाऊं बस,
यही प्रार्थना करने लगा हूँ,
खोल अब मनचाही ख़िताब के पन्ने,
पढ़ते-पढ़ते ही सोने लगा हूँ,
शायद लोग सही कहते है,
अब मैं बुढ़ा होने लगा हूँ।

 

Father's Day Sad Emotional Poem in Hindi

 

आज भी वो प्यारी मुस्कान याद आती है,
जो मेरी शरारतों से मेरे पापा के चेहरे पर खिल जाती थी,
अपने कन्धों पर बैठा के वो मुझे दुनिया की सैर कराते थे,
जहाँ भी जाते मेरे लिए ढेर सारे तोहफे लाते थे,
मेरे हर जन्मदिन पर वो मुझे साथ मंदिर ले जाते थे,
मेरे result का बखान पूरी दुनिया में कर जाते थे,
मेरे जिंदगी के सारे सपने उनकी आँखों में पल रहे थे,
मेरे लिए खुशियों का आशियाना वो हर पल बन रहे थे,
मेरे सपने उनके साथ चले गये मेरे पापा मुझे छोड़ गये,
अब आँखों में

 शरारतें नहीं बस आँसू ही दीखते हैं।

 

 

ये था पिता जी पर कविता संग्रह हिंदी में, हम आशा करते है की आपको पसंद आया होगा। अगर आपको कोई कविता पसंद आये जो पापा के प्रति आपकी भावनाओं के अनुकूल है तो उसे इस फादर डे 2021 पर अपने पिता के साथ साझा करें।

 

अगर आपको फादर डे पर शायरी या फादर्स डे कोट्स चाहिए तो आप निचे वाले आर्टिकल पर जा सकते हैं। इनमें आपको पिता पर बेहतरीन शायरी, कोट्स मिलेंगी।

 

Father and daughter Hindi poem background

पिता पर कविता – हरिवंश राय बच्चन

यहाँ हरिवंश राय बच्चन जी की एक प्रसिद्ध कविता प्रस्तुत है...

पिता पर हरिवंश राय बच्चन की कविता?

अक्सर पाठक गूगल पर 'पिता पर हरिवंश राय बच्चन की कविता' (Poem on Father by Harivansh Rai Bachchan) खोजते हैं। यह एक बहुत लोकप्रिय सवाल है।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बच्चन जी ने विशेष रूप से 'पिता' को केंद्र में रखकर कोई बहुत प्रसिद्ध कविता नहीं लिखी है।

अक्सर, लोग उनकी विश्व-प्रसिद्ध कविता 'अग्निपथ' (Agnipath) को इस सन्दर्भ में याद करते हैं। यह कविता सीधे तौर पर पिता पर नहीं है, बल्कि यह जीवन के कठिन संघर्षों, सिद्धांतों और दृढ़ता पर टिके रहने की बात करती है—यह वह सबसे बड़ी सीख है जो एक पिता अपनी संतान को देता है।

यहाँ हरिवंश राय बच्चन जी की वही प्रेरणादायक कविता प्रस्तुत है:

अग्निपथ

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु, स्वेद, रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!


Poem on Father by Harivansh Rai Bachchan

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