प्रेम, प्राण, गीत, गन्ध, आभा और पुलक में - Motivational Poems in Hindi by Rabindranath Tagore | रबिन्द्रनाथ टैगोर हिंदी कवितायेँ
प्रेम, प्राण, गीत, गन्ध, आभा और पुलक में Motivational Poems in Hindi by Rabindranath Tagore
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Rabindranath Tagore Hindi Poems
Hindi Poems By Rabindranath Tagore
प्रेम, प्राण, गीत, गन्ध, आभा और पुलक में,
आप्लावित कर अखिल गगन को, निखिल भुवन को,
अमल अमृत झर रहा तुम्हारा अविरल है।
दिशा-दिशा में आज टूटकर बन्धन सारा-
मूर्तिमान हो रहा जाग आनंद विमल है;
सुधा-सिक्त हो उठा आज यह जीवन है।
शुभ्र चेतना मेरी सरसाती मंगल-रस,
हुई कमल-सी विकसित है आनन्द-मग्न हो;
अपना सारा मधु धरकर तब चरणों पर।
जाग उठी नीरव आभा में हृदय-प्रान्त में,
उचित उदार उषा की अरुणिम कान्ति रुचिर है,
अलस नयन-आवरण दूर हो गया शीघ्र है।।
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रबिन्द्रनाथ टैगोर