दोस्त
Dosti Par Hindi Kavita
Poems By Harsh Nath Jha
मिला मुझे वो दोस्त आज
बिछड़े जिससे हुआ ज़माना था
लाखों पल साथ बिताये हम ने
पर इस पल वो बेगाना था |
थोड़ी बातें, थोड़ी खुशियाँ
सब कुछ उसे जताना था
कितना उसको याद किया है
ये भी उसे बताना था |
टूटें नहीं, पर उसको हम ने
थोड़ा याद किया था न
ख़ुदा से उसको लौटाने का
हम ने फ़रियाद किया था न |
उसकी दोस्ती को अपने दिल में
हर रोज़ आबाद किया था न
उसके सामने ये कहूँगा नहीं
पर थोड़ा याद किया था न |
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हर मुश्किल में हँसते रहना
उसने ही तो सिखाया था
ग़म में कैसे ढूंढें खुशियाँ ?
उसने ही तो बताया था |
हर बात पर टाँग खींची थी
कितना हम को सताया था ?
दोस्ती करने हमसे शायद
ख़ुद ख़ुदा लौट के आया था |
कैसे उससे मिलूँगा आज ?
मैं क्या-क्या उसे बताऊँगा ?
क्या उसकी अहमियत है
मैं कैसे उसे जताऊँगा ?
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उसको गले लगाएँगे
छोड़ पुरानी बातें सारी
कहानियाँ नई बनाएँगे ।
थोड़ी खुशियाँ, थोड़ी खिंचाई
थोड़ा हम मुस्कुरायेंगे
मिला हमें जो दोस्त पुराना
उसे गले से लगाएँगे |
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