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दोस्त - Poems On Friendships In Hindi | Dosti Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha

 दोस्त 

Dosti Par Hindi Kavita

Poems By Harsh Nath Jha

मिला मुझे वो दोस्त आज

बिछड़े जिससे हुआ ज़माना था

लाखों पल साथ बिताये हम ने

पर इस पल वो बेगाना था |

दोस्त - Poems On Friendships In Hindi  Harsh Nath Jha
 दोस्त - Poems On Friendships In Hindi | Dosti Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha

थोड़ी बातें, थोड़ी खुशियाँ

सब कुछ उसे जताना था 

कितना उसको याद किया है

ये भी उसे बताना था |


टूटें नहीं, पर उसको हम ने

थोड़ा याद किया था न 

ख़ुदा से उसको लौटाने का

हम ने फ़रियाद किया था न |


उसकी दोस्ती को अपने दिल में

हर रोज़ आबाद किया था न

उसके सामने ये कहूँगा नहीं

पर थोड़ा याद किया था न |


दोस्त - Poems On Friendships In Hindi  Harsh Nath Jha
 दोस्त - Poems On Friendships In Hindi | Dosti Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha

हर मुश्किल में हँसते रहना

उसने ही तो सिखाया था

ग़म में कैसे ढूंढें खुशियाँ ?

उसने ही तो बताया था |


हर बात पर टाँग खींची थी

कितना हम को सताया था ?

दोस्ती करने हमसे शायद

ख़ुद ख़ुदा लौट के आया था |


कैसे उससे मिलूँगा आज ?

मैं क्या-क्या उसे बताऊँगा ?

क्या उसकी अहमियत है

मैं कैसे उसे जताऊँगा ?


दोस्त - Poems On Friendships In Hindi  Harsh Nath Jha
 दोस्त - Poems On Friendships In Hindi | Dosti Par Hindi Kavita | Harsh Nath Jha
हँसते-हँसते मिलेंगे हम

उसको गले लगाएँगे

छोड़ पुरानी बातें सारी

कहानियाँ नई बनाएँगे ।


थोड़ी खुशियाँ, थोड़ी खिंचाई

थोड़ा हम मुस्कुरायेंगे

मिला हमें जो दोस्त पुराना

उसे गले से लगाएँगे |

-

हर्ष नाथ झा




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