Meri Raaton Ka Khasaara Nahi Hone Wala - मेरी रातों का ख़सारा नहीं होने वाला By HIMANSHI BABRA | हिमांशी बाबरा
Meri Raaton Ka Khasaara Nahi Hone Wala - मेरी रातों का ख़सारा नहीं होने वाला By Himanshi Babra
हिमांशी बाबरा Ki Ghazal
दिल की बस्ती में उजाला नहीं होने वाला
मेरी रातों का ख़सारा नहीं होने वाला
मैं ने उल्फ़त में मुनाफ़े' को नहीं सोचा है
मेरा नुक़्सान ज़ियादा नहीं होने वाला
उस से कहना कि मिरा साथ निभाए आ कर
मेरा यादों से गुज़ारा नहीं होने वाला
वो हमारा है हमारा है हमारा है फ़क़त
बावजूद इस के हमारा नहीं होने वाला
आज उट्ठा है मदारी का जनाज़ा लोगो
कल से बस्ती में तमाशा नहीं होने वाला
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