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Ab Uski Yaad Raat Din - अब उसकी याद रात दिन | Ahmad Faraz - अहमद फ़राज़

Ab Uski Yaad Raat Din - अब उसकी याद रात दिन

अहमद फ़राज़ की मशहूर शायरी - Ahmad Faraz Ishq Shayari


भले दिनों की बात थी

भली सी एक शक्ल थी

ना ये कि हुस्ने ताम हो

ना देखने में आम सी

Ab Uski Yaad Raat Din - अब उसकी याद रात दिन  Ahmad Faraz  अहमद फ़राज़

ना ये कि वो चले तो कहकशां सी रहगुजर लगे

मगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे


कोई भी रुत हो उसकी छब

फ़जा का रंग रूप थी

वो गर्मियों की छांव थी

वो सर्दियों की धूप थी


ना मुद्दतों जुदा रहे

ना साथ सुबहो शाम हो

ना रिश्ता-ए-वफ़ा पे ज़िद

ना ये कि इज्ने आम हो


ना ऐसी खुश लिबासियां

कि सादगी हया करे

ना इतनी बेतकल्लुफ़ी

की आईना हया करे


ना इखतिलात में वो रम

कि बदमजा हो ख्वाहिशें

ना इस कदर सुपुर्दगी

कि ज़िच करे नवाजिशें


ना आशिकी ज़ुनून की

कि ज़िन्दगी अजाब हो

ना इस कदर कठोरपन

कि दोस्ती खराब हो


कभी तो बात भी खफ़ी

कभी सुकूत भी सुखन

कभी तो किश्ते ज़ाफ़रां

कभी उदासियों का बन


सुना है एक उम्र है

मुआमलाते दिल की भी

विसाले-जाँफ़िजा तो क्या

फ़िराके-जाँ-गुसल की भी


सो एक रोज क्या हुआ

वफ़ा पे बहस छिड़ गई

मैं इश्क को अमर कहूं

वो मेरी ज़िद से चिढ़ गई


मैं इश्क का असीर था

वो इश्क को कफ़स कहे

कि उम्र भर के साथ को

वो बदतर अज़ हवस कहे

Ab Uski Yaad Raat Din - अब उसकी याद रात दिन  Ahmad Faraz  अहमद फ़राज़

शजर हजर नहीं कि हम

हमेशा पा ब गिल रहें

ना ढोर हैं कि रस्सियां

गले में मुस्तकिल रहें


मोहब्बतें की वुसअतें

हमारे दस्तो पा में हैं

बस एक दर से निस्बतें

सगाने-बावफ़ा में हैं


मैं कोई पेन्टिंग नहीं

कि एक फ़्रेम में रहूं

वही जो मन का मीत हो

उसी के प्रेम में रहूं


तुम्हारी सोच जो भी हो

मैं उस मिजाज की नहीं

मुझे वफ़ा से बैर है

ये बात आज की नहीं


न उसको मुझपे मान था

न मुझको उसपे ज़ोम ही

जो अहद ही कोई ना हो

तो क्या गमे शिकस्तगी


सो अपना अपना रास्ता

हंसी खुशी बदल दिया

वो अपनी राह चल पड़ी

मैं अपनी राह चल दिया


भली सी एक शक्ल थी

भली सी उसकी दोस्ती

अब उसकी याद रात दिन

नहीं, मगर कभी कभी

-

Ahmad Faraz

Ahmad Faraz


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