सब शून्य है: अस्तित्व का अंतिम सत्य | हर्ष वर्धन सिंह की हिंदी कविता -mSab Shunya Hai
"सब शून्य है" — जब शब्द मौन और उत्तर प्रश्न बन जाते हैं
जीवन क्या है? अस्तित्व का सार क्या है? क्या हर यात्रा का अंत केवल एक महाशून्य में विलीन हो जाना है? यह ऐसे प्रश्न हैं जो सदियों से दार्शनिकों, कवियों और चिंतकों को परेशान करते आए हैं। आज हम आपके लिए एक ऐसी ही कविता लेकर आए हैं जो इन सवालों की गहराई में उतरती है।
प्रस्तुत है हर्ष वर्धन सिंह की कलम से निकली एक मार्मिक और गूढ़ रचना — "सब शून्य है"। यह कविता केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि उस अवस्था का अनुभव है जहाँ हर अर्थ, हर दिशा और हर संवेदना शून्य में विलीन होती प्रतीत होती है।
कविता: सब शून्य है
सब शून्य है — न अर्थ शेष, न श्रम का सार है,
साँसों का यह सिलसिला भी एक निराधार है।
निमेष में नश्वर हुए सब स्वप्न, सब विस्तार,
बचे हैं बस अरण्य-नाद और शून्य का पुकार।
प्रपंच की परिधियाँ मिटीं, सब रेखाएँ धुँधली,
न भू की चाह अब रही, न गगन की आकुली।
स्फुरणहीन हो चला हृदय, बिंबहीन चेतना,
दिशाओं के क्रन्दन में डूबी है संवेदना।
वाणी हुई निष्प्राण, अर्थ बिन व्याकरण विलीन,
चिरकाल से मौन बसा, जैसे हो कोई ऋषि दीन।
संसार की सजीवता भी अब बोधगम्य नहीं,
मिथ्या प्रतीत होता है गति का हर एक प्रवाह कहीं।
सृष्टि के इस महासमापन में भी क्रिया शून्य है,
जहाँ सब कुछ दिखता है, वहाँ भी दृष्टि शून्य है।
न प्रारंभ, न कोई अंत — बस निर्वात का संधान,
अस्मिता विलीन हो, लय में समाहित हर एक प्राण।
तो किससे करें प्रश्न अब, जब उत्तर भी मौन हैं?
और कौन सुनेगा बात, जब शब्द स्वयं गौण हैं?
अस्तित्व की यह यात्रा भी भ्रम ज्यों रेखा जल की,
सब शून्य है — यह सत्य है, शेष कथा सब काल की।
— हर्ष वर्धन सिंह (+91 74087 20232)
शून्यता का दर्शन
यह कविता "शून्यवाद" या "निर्वात" के दर्शन को बड़ी ही खूबसूरती से छूती है। कवि उस चरम बिंदु की बात कर रहे हैं जहाँ भौतिक संसार की इच्छाएं (भू की चाह), सपने, और यहाँ तक कि चेतना के बिंब भी मिट जाते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ न कोई शुरुआत है, न कोई अंत।
कविता का अंतिम प्रश्न सबसे गहरा है — "तो किससे करें प्रश्न अब, जब उत्तर भी मौन हैं?" यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या अस्तित्व की खोज स्वयं में एक भ्रम है और अंतिम सत्य केवल 'शून्य' ही है।
इस गहन रचना पर आपके क्या विचार हैं? क्या आपने कभी जीवन में ऐसी शून्यता का अनुभव किया है? अपनी भावनाओं को नीचे कमेंट्स में साझा करें।
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