मातृ छाया: दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर अनिल दुबे की दिल छू लेने वाली किताब | Matri Chhaya Book 2025
'मातृ छाया': जब एक पुलिस इंस्पेक्टर की कलम समाज का दर्द बयां करती है
वर्दी की सख्ती के पीछे एक संवेदनशील दिल भी धड़कता है, जो समाज के दर्द को महसूस करता है और उसे शब्दों में पिरो देता है। हमें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत श्री अनिल कुमार दुबे का मार्मिक साहित्य संग्रह "मातृ छाया - एक संकलन" अब पाठकों के लिए उपलब्ध है।
35 वर्षों से साहित्य लेखन में सक्रिय, श्री दुबे जी की यह किताब उन अनकही कहानियों और भावनाओं का दस्तावेज़ है जो हमारे आस-पास घटती हैं पर अक्सर नज़रअंदाज़ कर दी जाती हैं।
'लेखक की कलम से...'
लेखक के अनुसार, यह पुस्तक समाज को सचेत करने का एक प्रयास है। वे लिखते हैं:"इस पुस्तक में समाज को सचेत करने के आशय से सामान्य व्यक्ति के जीवन में घटित होने वाली छोटी-छोटी घटनाओं को संकलित कर समाज में व्याप्त विसंगतियों की तरफ ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। जहाँ एक तरफ बाल विवाह का न केवल वर वधु बल्कि पूरे समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की चर्चा की गई है वहीं भगवान कहे जाने वाले चिकित्सा कर्मियों की संवेदनहीनता की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया गया है।"
यह किताब सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि हमारे समाज का आईना है, जो संयुक्त परिवारों के विघटन से लेकर सामाजिक कुरीतियों तक कई गंभीर मुद्दों पर प्रकाश डालती है।
किताब के अंदर क्या है खास?
यह संकलन कहानियों और कविताओं का एक गुलदस्ता है। पुस्तक का मुख्य आकर्षण इसकी शीर्षक कहानी "मातृ छाया" है, जो 'अम्मा' के जीवन के संघर्ष, बाल विवाह की पीड़ा और पारिवारिक कलह को बड़ी ही संवेदनशीलता से प्रस्तुत करती है।
इसके अलावा, इस संग्रह में आपको दिल को छू लेने वाली कविताएं भी मिलेंगी, जैसे:
माँ याद आती है
सपने में मोय राम मिल गए
चित्रगुप्त का खाता
शामियाना
लेखक के बारे में: श्री अनिल कुमार दुबे
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के मूल निवासी श्री अनिल कुमार दुबे वर्ष 1991 से दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं और वर्तमान में निरीक्षक पद पर तैनात हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर (M.A.) और एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की है। साहित्य के प्रति उनका गहरा लगाव और समाज को समझने की उनकी गहरी दृष्टि इस किताब के हर पन्ने पर झलकती है।
यह पूरी किताब निःशुल्क पढ़ें
लेखक श्री अनिल कुमार दुबे की हार्दिक इच्छा है कि उनकी यह रचना अधिक से अधिक पाठकों तक पहुंचे। आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके इस पूरी किताब को पढ़ सकते हैं या डाउनलोड कर सकते हैं।
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