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बारिश, समंदर और ज़िंदगी: गायत्री सिंह चरक की 3 दिल छू लेने वाली कविताएं | Heart-Touching Poems

बारिश, समंदर और ज़िंदगी: गायत्री सिंह चरक की 3 दिल छू लेने वाली कविताएं | Heart-Touching Poems

 बारिश, समंदर और ज़िंदगी: गायत्री सिंह चरक की 3 दिल छू लेने वाली कविताएं | Heart-Touching Poems

बारिश, समंदर और ज़िंदगी: गायत्री सिंह चरक की 3 दिल छू लेने वाली कविताएं

साहित्यशाला के मंच पर हम हमेशा नई और प्रतिभाशाली आवाज़ों को पेश करने में विश्वास रखते हैं। आज, हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसी ही उभरती हुई कवयित्री, गायत्री सिंह चरक से, जिनकी कलम से निकले शब्द प्रकृति और इंसानी जज़्बातों के बीच एक गहरा रिश्ता बनाते हैं। उनकी कविताएं सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एहसास हैं जो पढ़ने वाले के दिल में उतर जाते हैं।

मैं साहिल पे दोबारा चली आई (Main Sahil Pe Dobara Chali Aai)

पेश है गायत्री की तीन चुनी हुई कविताएं, जो बारिश की पहली बूँद सा सुकून, और समंदर की गहराइयों सा आत्म-मंथन करने पर मजबूर कर देती हैं।

बारिश - Baarish

बारिश और इंसानी दिल का रिश्ता बहुत पुराना है। यह कविता उसी रिश्ते की एक ख़ूबसूरत झलक है। गायत्री ने बारिश को एक साथी, एक मरहम और एक राज़दार के रूप में चित्रित किया है, जो बिना कहे ही सब समझ जाती है। यह दिल को छू लेने वाली बारिश पर कविता आपके मन को शांत कर देगी।

बारिश - Baarish

मौसम भी कैसा मशरूफ़ है इस दिल को धड़काने में,

एक बूंद बारिश ही काफी है खुद को खुद से मिलाने में।

रूठूं तो हवा मना लेती है, टूटूं तो वही सुलझा देती है,

पुकारूं तो खुद ही आ जाती है,

आकर दिल की गलियां महका जाती है।


दिल मायूस हो तो बारिश दबे पांव आ जाती है,

अपने होने का एहसास खुद ही दिला जाती है।

पूछूं उससे अगर कि क्यूं आती है,

तो बस यही बताती है कि मुझ जैसे किसी को महफ़ूज़ बनाती है,

किसी को किसी से मोहब्बत कराती है,

और बस इसलिए आती है क्योंकि यही तो आसमान को ज़मीन से मिलाती है।

बारिश, समंदर और ज़िंदगी गायत्री सिंह चरक की 3 दिल छू लेने वाली कविताएं  Heart-Touching Poems

मैं साहिल पे दोबारा चली आई (Main Sahil Pe Dobara Chali Aai)

समंदर की गहराई और साहिल का ठहराव – इन दोनों के बीच फंसी ज़िन्दगी के कुछ सवाल। यह कविता समंदर से एक संवाद है, जिसमें गहरे दर्द और उस दर्द के साथ जीने की अदा पर चिंतन किया गया है। इस समंदर और साहिल की शायरी में आपको अस्तित्व और प्रेम की एक नई समझ मिलेगी।

मैं साहिल पे दोबारा चली आई

मैं साहिल पे दोबारा बेबाक होकर चली आई,

समंदर को पास से देखा तो कुछ घबराई।

समंदर गहरा था, मगर साहिल ठहरा था।


समंदर से पूछा मैंने —

"गहरे होकर भी कैसे तुम नमकीन हो?

साहिबे-फ़िक्र होकर भी कैसे तुम ग़मगीन हो?

संजोग है ये कैसा?

सितम है ये किसका?

कि ता-उम्र सब कुछ खोकर भी तुम हसीन हो?"


चाँद तुम्हें छू न सका — क्या इसलिए नमकीन बन गए,

या उसकी परछाई ही काफी थी

इलाज-ए-जख़्म-ए-दिल के लिए।

समंदर न बोला कुछ, साहिल ने भी राज़ न खोला कुछ।

जब आधे से चाँद की हँसी समंदर की आँखों में दिखी,

तो बेबाकी का सबब मैंने जाना।

ग़म में डूबी शाम जब आँसुओं की रात बन गई,

तो चाँद ने भी समंदर को पहचाना।

The Ocean

यूँ तो समंदर हिंदी में गहरी बातचीत का विषय हो सकता है, लेकिन इसका शांत और शक्तिशाली स्वभाव सार्वभौमिक रूप से गूंजता है। यह अंग्रेजी कविता एक शांत बाहरी आवरण के भीतर छिपी हुई ताकत को दर्शाती है। यह लचीलेपन, आंतरिक सुनामी और कोमल आत्माओं की अक्सर अनकही ताकत के बारे में एक सुंदर रूपक कविता है।

The Ocean

The ocean was calm, effortless, and strong,

The ones drifting in her assumed nothing was wrong,

But clueless were they about the tsunami she held

In her deep, shining waters where all the waves dwelled.


Despite that, she welcomed them with love and devotion.

She was given no credit but rebukes over her beautiful notion.

But the waves of her still kept reaching out

And embracing every soul with not a single doubt.

बारिश, समंदर और ज़िंदगी: गायत्री सिंह चरक की 3 दिल छू लेने वाली कविताएं | Heart-Touching Poems

कवयित्री के बारे में - About the Poet

नाम (Name): गायत्री सिंह चरक 

कलमी नाम (Pen Name): गायत्री 

इंस्टाग्राम (Instagram): @gaya1ri.

ईमेल (Mail): ankucharak28@gmail.com

गायत्री की लेखनी में एक ऐसी ताज़गी और गहराई है जो उन्हें समकालीन कवियों की भीड़ में अलग करती है। हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं और साहित्यशाला पर उनका स्वागत करते हैं।

गायत्री सिंह चरक

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