तुम्हारी यादें: सिमरन की यह कविता हर टूटे दिल की आवाज़ है | Heart Touching Sad Hindi Poem
क्या आपने कभी किसी को ख्यालों में ख़त लिखे हैं? क्या आपने भी किसी से वे सवाल पूछे हैं जिनका जवाब शायद कभी नहीं मिलेगा? मोहब्बत जब अधूरी रह जाती है, तो अपने पीछे सिर्फ़ यादें और कुछ अनकहे सवाल छोड़ जाती है। यह एक ऐसा एहसास है जिससे हर कोई कभी न कभी ज़रूर गुज़रता है।
आज Sahityashala.in पर हम एक ऐसी ही दिल को छू जाने वाली कविता लेकर आए हैं जो इन्हीं गहरे जज़्बातों को आवाज़ देती है। प्रस्तुत है दिल्ली विश्वविद्यालय की युवा कवयित्री सिमरन की कलम से निकली एक बेहद ख़ूबसूरत और दर्द भरी कविता - "तुम्हारी यादें"।
तुम्हारी यादें - Tumhari Yaadein
सुनो, एक बात कहूँ तुमसे?
मुझे आज भी तुम्हारी बहुत याद आती है,
तुम्हारे साथ की गई हर बात याद आती है,
क्या करुँ,
लाख कोशिश की मगर अब तक तुम्हें भुला नहीं पाई,
भुला दूँगी एक दिन तुम्हें ये झूठ खुद से कह नहीं पाई,
अच्छा एक बात पूछूं जवाब दोगे?
मुझे छोड़ कर जाने की वजह बताओगे?
बताओ न तुम क्यूँ गए मुझे छोड़ कर,
मेरे सपने, उम्मीदें और भरोसा तोड़ कर,
क्या हुआ?
हर बार की तरह तुम आज भी ख़ामोश हो,
या कि अपने हीं किन्ही ख्यालों में मदहोश हो,
खैर जानती हूँ आदत तुम्हारी,
हमेशा की तरह तुम अब भी ख़ामोश ही रहोगे,
और आँखों से अपनी खुद को निर्दोष ही कहोगे,
लेकिन इन सब में मेरी गलती क्या थी कम से कम यही बता दो,
मुझे लेकर जो भी ख्याल तुम्हारे दिल में है आज वो सब कह दो,
क्या मैंने तुम्हें समझा नहीं या भावनाएं मेरी जायज़ नहीं थी?
या जोड़ सको मेरा नाम खुद से मैं इसके लायक नहीं थी?
कितनी पागल हूँ, तुमसे इस तरह ख्यालों में बातें करती हूँ,
और बात भी क्या हर बार तो वही पुराने सवाल दोहराती हूँ,
अच्छा अब छोड़ो ये सारी बातें और ये बताओ कि कैसे हो तुम?
आखिरी बार जब देखा था क्या आज भी बिल्कुल वैसे हो तुम?
हाँ याद है मुझे, थोड़े गंभीर, सुलझे हुए और थोड़े से शर्मीले थे तुम,
और जिसे देखा था पहली बार नज़र भर कर वो शख्स पहले थे तुम,
देखो,
मैं कुछ नहीं भूली, मुझे तों आज भी वो सब याद है,
तुम्हारी बातें, वो आँखें और तुम्हारी आवाज़ याद है,
पता है,
अक्सर मैं सोचती हूँ कि काश मैं भी किसी के रोज़ की यादों का हिस्सा होती,
लिखता मुझे भी कोई इतनी हीं ख़ूबसूरती से, मैं ऐसा एक किस्सा होती,
खैर छोड़िये,
ऐसी बातो पर अब क्या अफ़सोस जताना,
जब दर्द अपना है तो दुनिया को क्यूँ बताना,
…
अरे वक़्त ज़्यादा हो गया क्या? माफ़ करना बातों का ख्याल नहीं रहा,
हाँ जानती हूँ, तुम्हारा वक़्त बहुत कीमती है पर आज इसका ध्यान नहीं रहा,
चलो लम्बे अरसे बाद तुमसे बात तो हुई,
ख्यालों में ही सही तुमसे मुलाक़ात तो हुई,
अच्छा बहुत देर हुई अब जाओ तुम, अपना ख्याल रखना,
और सुनो,
कविता का भावार्थ: एक अनकही दास्तां
यह Emotional Hindi Poetry एक ख़ूबसूरत लेकिन दर्द भरा एकालाप (monologue) है। कवयित्री अपने उस साथी से बात कर रही हैं जो अब साथ नहीं है। यह कविता उन लाखों दिलों की कहानी है जो आज भी अपने अधूरे सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं। कविता में यादों का बोझ, ख़ुद से की गई झूठी तसल्ली और आख़िर में थककर उस याद को भी आज़ाद कर देने की एक मार्मिक कोशिश दिखाई देती है। "मेरे ख्यालों से चले जाने का मुझ पर ये आखिरी एहसान करना..." यह अंतिम पंक्ति इस अधूरी मोहब्बत की कविता के पूरे दर्द को अपने आप में समेट लेती है।
कवयित्री के बारे में: सिमरन
सिमरन, दिल्ली विश्वविद्यालय की अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। जैसा कि वह कहती हैं, "दिल से निकले हर लफ़्ज़ को काग़ज़ पर उतारना एक आदत सी बन गई है..." उनकी लेखन यात्रा कॉलेज के पहले साल से शुरू हुई, जब शब्दों ने उनके जज़्बातों को आवाज़ देनी शुरू की। उन्हें कविताएं, लघु कथाएं, एवं लेख आदि लिखना और पढ़ना बेहद पसंद है — खासकर वे रचनाएँ जो प्रेम, जीवन, भावनाएं, स्त्री-शक्ति और आत्म-अनुभूतियों को छूती हैं। कविताएं और कहानियां लिखना उनके लिए केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि एक ऐसा आईना है जिसमें वह खुद को बार-बार खोजती हैं।


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