इंन्दु जी, इंन्दु जी, क्या हुआ आपको ?
|| Nagaarjun Poem On Indira Gandhi ||
|| Nagaarjun Poems On Indian Politics ||
इंन्दु जी, इंन्दु जी, क्या हुआ आपको?
इंन्दु जी, इंन्दु जी, क्या हुआ आपको?
सत्ता की मस्ती में,
भूल गई बाप को?
इन्दु जी, इन्दु जी, क्या हुआ आपको?
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!
इंन्दु जी, इंन्दु जी, क्या हुआ आपको?
आपकी चाल-ढाल देख- देख लोग हैं दंग,
हकूमती नशे का वाह-वाह कैसा चढ़ा रंग |
सच-सच बताओ भी,
क्या हुआ आपको ?
यों भला भूल गईं बाप को!
छात्रों के लहू का चस्का लगा आपको,
काले चिकने माल का मस्का लगा आपको |
किसी ने टोका तो ठस्का लगा आपको,
अन्ट-शन्ट बक रही जनून में |
शासन का नशा घुला खून में ||
फूल से भी हल्का,
समझ लिया आपने हत्या के पाप को |
इंन्दु जी, इंन्दु जी, क्या हुआ आपको?
बेटे को तार दिया,
बोर दिया बाप को!
बचपन में गांधी के पास रहीं,
तरुणाई में टैगोर के पास रहीं |
अब क्यों उलट दिया ‘संगत’ की छाप को?
क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको ?
बेटे को याद रखा, भूल गई बाप को,
इंन्दु जी, इंन्दु जी, इंन्दु जी, इंन्दु जी...
रानी-महारानी आप,
नवाबों की नानी आप |
नफाखोर सेठों की अपनी सगी माई आप,
काले बाजार की कीचड़ आप, काई आप ||
सुन रहीं, गिन रहीं,
गिन रहीं, सुन रहीं |
सुन रहीं, सुन रहीं,
गिन रहीं, गिन रहीं ||
हिटलर के घोड़े की एक-एक टाप को,
एक-एक टाप को, एक-एक टाप को |
सुन रहीं गिन रहीं,
एक-एक टाप को |
हिटलर के घोड़े की, हिटलर के घोड़े की,
एक-एक टाप को…
यही हुआ आपको |
यही हुआ आपको ||
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