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मातृभाषा का महोत्सव - Matribhasha Ka Mahatva | Hindi Diwas Par Kavita

दुर्योधन पर हिंदी कविता - Duryodhan Par Hindi Kavita | Mahabharata Par Hindi Kavita

दुर्योधन पर हिंदी कविता - Duryodhan Par Hindi Kavita

Mahabharata Par Hindi Kavita

दुर्योधन

हाँ! दुष्ट हूँ, हूँ हठी मैं

हाँ! मैं एक क्रोधित-मन हूँ

कुरुराज का बिगड़ा बेटा

हाँ! मैं दुर्योधन हूँ | 

दुर्योधन पर हिंदी कविता | Duryodhan Par Hindi Kavita

न सत्य न धर्म का ज्ञान है,

बस ! युद्ध मेरा विकल्प था

इन्द्रप्रस्ठ और पांचाल के

अपमान का संकल्प था |


ओ कृष्ण! तुम खुद आये थे

तब भी विवाद नहीं रुका

देवों को भी धरा ले आया

फिर भी दुर्योधन नहीं झुका |


विष्णु का तुम रूप स्वयं

खुद मृत्यु कहलाते हो

जब धर्म भी छल से किया

तब फिर क्यों हर्षाते हो ?

दुर्योधन पर हिंदी कविता | Duryodhan Par Hindi Kavita

सबको मरते छोड़ दिया

अभिमन्यु को मार दिया

जब अपनों को न बचा पाए

फिर क्या गीता-सा सार दिया ?


पार्थ के रथ पर स्वयं बैठे थे

और बैठाया हनुमान को

मुझसे सब कुछ छीन लिया

बस बचाने एक इंसान को |


कहाँ उपस्थित थे तुम कान्हा

जब द्रुपदा का अपमान हुआ ?

जब धर्मराज ने चौसर खेला

जब कुरुवंश बदनाम हुआ |


धर्म जो गहा धर्मराज ने

क्या तुम धर्म क्षीण हुए ?

कण-कण में हो तुम केशव,

उस क्षण कहाँ तुम लीन हुए ?


दुर्योधन पर हिंदी कविता | Duryodhan Par Hindi Kavita

सुभद्रा मुझको देकर छीनी

तब तुम कृष्णा कौन थे ?

मेरी जंघा टूटी थी जब

तब बलदाऊ क्यों फिर मौन थे ?


मेरे सारे अनुजों को मारा,

ये सब तुम्हारा धर्म है ?

मेरा हर निर्णय सही था,

मुझे न कोई शर्म है ||

दुर्योधन पर हिंदी कविता | Duryodhan Par Hindi Kavita

नेत्रहीन का पुत्र हूँ मैं,

हाँ! मैं एक अज्ञानी हूँ ||

कर्ण का हूँ मित्र प्रिय,

हाँ! मैं दुर्योधन अभिमानी हूँ ||

हाँ! मैं एक अज्ञानी हूँ ||

 -

Harsh Nath Jha 

 

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