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लगी हवा यों मन्द-मधुर इस - Inspirational Poems in Hindi by Rabindranath Tagore | रबिन्द्रनाथ टैगोर हिंदी कवितायेँ

लगी हवा यों मन्द-मधुर इस -Inspirational Poems in Hindi by Rabindranath Tagore

रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता

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Rabindranath Tagore Hindi Poems

Hindi Poems By Rabindranath Tagore

Inspirational Poems in Hindi by Rabindranath Tagore

लगी हवा यों मन्द-मधुर इस

नाव-पाल पर अमल-धवल है;

नहीं कभी देखा है मैंने

किसी नाव का चलना ऐसा।


लाती है किस जलधि-पार से

धन सुदूर का ऐसा, जिससे-

बह जाने को मन होता है;

फेंक डालने को करता जी

तट पर सभी चाहना-पाना !

Inspirational Poems in Hindi by Rabindranath Tagore


पीछे छरछर करता है जल,

गुरु गम्भीर स्वर आता है;

मुख पर अरुण किरण पड़ती है,

छनकर छिन्न मेघ-छिद्रों से।


कहो, कौन हो तुम ? कांडारी

किसके हास्य-रुदन का धन है ?

सोच-सोचकर चिन्तित है मन,

बाँधोगे किस स्वर में यन्त्र ?

मन्त्र कौन-सा गाना होगा ? 

-

रबिन्द्रनाथ टैगोर


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रबिन्द्रनाथ टैगोर की हिंदी कविता

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