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Man Me Itni Mayusi | मन में इतनी मायूसी - Emotional Poems In Hindi | Harsh Nath Jha

मन में इतनी मायूसी

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मन में इतनी मायूसी

पहली बार हुई है

ख़ुद में ख़ुद की कमी ऐसी

पहली बार हुई है

ऐसे आँसू, ऐसी ख़ुशी

पहली बार हुई है

महफ़िल में ख़ामोशी

पहली बार हुई है |


महफ़िल में ख़ामोशी

पहली बार हुई है

मन में इतनी मायूसी

पहली बार हुई है

शब्दों के पीछे तंज

समझने मैं अब लगा हूँ

शब्दों की कमी ऐसी

पहली बार हुई है |


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जिनको मैंने जाना था

वो सब दूर हुए हैं

जिनसे दिल लगाया था

सब मजबूर हुए हैं

जिनसे लोरी सुनते थे

जिनकी गोद में सोए हैं

जिनको मैंने जाना था

जिनके लिए रोये हैं |


आँसू है, आँखों में

मुँह से शब्द कैसे हैं

साथ हैं सब लेकिन

साथी न अब वैसे हैं

ये झूठी मुस्कुराहटें

लगती कितनी सच्ची हैं

मन में बसी वो यादें पुरानी

लगती कितनी अच्छी है |


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कैसे तोड़ दे रिश्ता

दिल का जो सजाया था ?

आशियाना सपनों का

मन में जो बसाया था

जेबें न अब खाली है

पैसा बहुत कमाया है

ये कैसी है खुशियाँ

जिन्होंने बहुत रुलाया है ?


ये ख़ामोशी पहले जो

बहुत अधूरी लगती थी

हर महफ़िल, हर पंक्ति

बहुत ज़रूरी लगती थी

अब आँखें वे दिखाते हैं

जिन्होंने सिर झुकाया है

हर महफ़िल, हर पंक्ति में

अब अंजानो का साया है |


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कितना जोड़ें हम रिश्ता

जो रिश्ता टूट जाता है !

कितना मनाएँ हम उनको

जब दिल ही रूठ जाता है

ये कैसा है रिश्ता

मुश्किल में छूट जाता है ?

ये आँसू तब नहीं बहता

जब साहस टूट जाता है |


मन में इतनी मायूसी

पहली बार हुई है

ख़ुद में ख़ुद की कमी ऐसी

पहली बार हुई है

ऐसे आँसू, ऐसी ख़ुशी

पहली बार हुई है

महफ़िल में ख़ामोशी

पहली बार हुई है |

-

हर्ष नाथ झा

मन में इतनी मायूसी - Harsh Nath Jha - हर्ष नाथ झा

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